नई दिल्ली- गांधी परिवार समेत कई वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा में कटौती करने के बाद केंद्र सरकार ने एनएसजी कमांडोज को वीआईपी सिक्युरिटी से पूरी तरह अलग किए जाने का फैसला लिया है. आधिकारिक सूत्र इस बात की तस्दीक करते हैं. केंद्र के इस फैसले के बाद जल्द ही छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह की एनएसजी सुरक्षा जल्द हटाई जा सकती है. बता दें कि हाल ही में राज्य सरकार की प्रोटेक्शन रिव्यू ग्रुप ने रमन सिंह की जेड प्लस की सुरक्षा घटाकर जेड कर दिया था. तब बीजेपी ने यह आरोप लगाया था कि केंद्र में गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा लिए जाने के विरोध में भूपेश सरकार ने उनकी जेड प्लस सुरक्षा घटाई है. बीजेपी के इस जवाब पर सरकार के वरिष्ठ मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा था कि दिल्ली जो रास्ता दिखा रही है, उस पर हम चल रहे हैं. दिल्ली ने यह एहसास कराया है कि देश का वातावरण अच्छा हो रहा है. अब लोगों को सुरक्षा की जरूरत कम है. हमें भी केंद्र सरकार से सीखना पड़ता है.
नक्सलियों के हिट लिस्ट में होने की वजह से साल 2013 में डाक्टर रमन सिंह को केंद्र सरकार ने एनएसजी सुरक्षा मुहैया कराई थी. तब वह मुख्यमंत्री थे. तब से लेकर अब तक उनकी यह सुरक्षा व्यवस्था बरकरार रही है. गौरतलब है कि एनएसजी वीआईपी लोगों को मोबाइल सुरक्षा कवच प्रदान करता है.
डाक्टर रमन सिंह के अलावा देश के कई वीवीआईपी जैसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, मुलायम सिंह यादव, चंद्रबाबू नायडू, प्रकाश सिंह बादल, फारूक अब्दुल्ला, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि वीआईपी को दी जाने वाली सुरक्षा का मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आता है. एसपीजी, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के एक विभाग के रूप में काम करती है. गृह मंत्रालय वक्त-वक्त पर वीआईपी सुरक्षा की समीक्षा करता है, जिसके मुताबिक सुरक्षा को नियमित अंतराल पर घटाया या बढ़ाया जाता है. VIP की सुरक्षा के लिए देश में एसपीजी के अलावा X, Y, Z और Z+ सुरक्षा की व्यवस्था रही है.
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का मानना है कि एनएसजी (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) को आतंक निरोधी अभियानों पर ही अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए. वीआईपी की सुरक्षा में एनएसजी कमांडोज की तैनाती से इस बल पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है जो इसकी विशेष क्षमताओं पर असर डाल सकता है.कहा जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से वीआईपी की सुरक्षा में लगे 450 कमांडोज एंटी टेरर ऑपरेशनों के लिए खाली हो जाएंगे.