रायपुर। 15 अगस्त को भारत सहित विश्व के उन तमाम देशों में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है जहां भारतीय रहते हैं. अपने घर, समुदाय के बीच आजादी का जश्न पूरे सम्मान के साथ मनाया जाता है. लेकिन यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि तिरंगा के राष्ट्र ध्वज बनने से पहले क्या था देश का ध्वज?

ये है राष्ट्र ध्वज की यात्रा

भारत का पहला राष्ट्र ध्वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था. इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था. इसमें ऊपरी हरे रंग पर आठ कमल के फूल थे. बीच में पीले रंग की पट्टी थी जिसमें वन्दे मातरम लिखा था और नीचे लाल रंग की पट्टी में बाएं तरफ अर्ध चन्द्र व दाएं तरफ सूरज का चित्र बना था.

 

देश के दूसरा ध्‍वज को 1907 में पेरिस में मैडम कामा और उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था. यह भी पहले ध्‍वज के समान था लेकिन इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर कमल की जगह सात तारे थे. जो कि सप्‍तऋषि को दर्शाते हैं. इसमें बाएं तरफ नीचे सूरज और दाहिन तरफ अर्ध चन्द्र सितारे के साथ था.

तीसरा ध्‍वज 1917 में डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया था. इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के तर्ज पर सात सितारे बने थे. झंडे के दायीं ओर ऊपरी कोने में अर्धचन्द्र और सितारा था वहीं  बांयी ओर ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक था.

चौथा ध्वज 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक के दौरान बेजवाड़ा में फहराया गया. यह दो रंगों में बना था , लाल रंग हिन्दू और हरा रंग मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है. गांधी जी के सुझाव दिया कि इसमें बीच में सफेद रंग की पट्टी और राष्ट्र प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए.

पांचवा ध्वज 1931 में फहराया गया. इस वर्ष हुई बैठक में तिरंगे ध्‍वज को हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्‍ताव पारित किया गया. यह ध्‍वज वर्तमान राष्ट्र ध्वज स्‍वरूप का पूर्वज माना जाता है, केसरिया, सफेद और हरे रंग का है. इस ध्वज के मध्‍य में चलते हुए चरखे के साथ था.

22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्‍त भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया. ध्‍वज में चलते हुए चरखे की जगह सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया.