आज के महंगाई के इस दौर में जहां एक प्लेट नास्ता भी 20 रुपये कम नहीं वहां अगर आपको भरपेट भोजन 10 और 5 रुपये मिल जाए तो शायद आपको यकीन नहीं होगा. लेकिन ये सच है. रमन सरकार 5 और 10 रुपये में भरपेट भोजन प्रदेशवासियों को करा रही है. जैसा कहा, वैसा किया इस विशेष रिपोर्ट में आज दो योजनाओं की बात होगी. पहली अन्नपूर्णा दाल-भात की और दूसरी मुख्यमंत्री केंटिन की. लेकिन सबसे पहले बात 14 साल पहले शुरू की गई अन्नपूर्णा दाल-भात योजना की. जब इस योजना शुरुआत हुई थी तब 5 रुपये में भरपेट भोजन मिलता था, लेकिन अब 15 साल बाद में महज 5 रुपये की वृद्धि के साथ 10 रुपये में भरपेट भोजन कराया जा रहा है. प्रदेश भर यह योजना संचालित है. गरीब तबके लिए यह योजना पेट की भूख मिटाने वाली यह सबसे बड़ी योजना है.
साल 2003. इसी साल के अंतिम में छत्तीसगढ़ भाजपा की सरकार बनी थी. डॉ. रमन सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. साल 2004 सरकार बने कुछ माह ही हुए थे कि रमन सरकार ने गरीब तबके के लिए बड़ी योजना की घोषणा कर दी. फिर इसी साल ही इस योजना की शुरुआत भी डॉ. रमन सिंह ने कर दी. इस योजना का नाम है अन्नपूर्णा दाल-भात केन्द्र. 2004 में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अन्नपूर्णा दाल भात योजना शुरू की थी. योजना के पीछे रमन सरकार का मकसद था गरीब तबके को 5 रुपये में भरपेट भोजन कराना. सरकार की यह योजना सफल रही. और 14 साल भी यह योजना अनवरत संचालित है. जब इस योजना की शुरुआत हुई थी तब 5 रुपये में भर पेट भोजन कराया जा रहा था. लेकिन महंगाई काफी बढ़ने के बाद वर्मतान में इसमें 5 रुपये की वृद्धि की गई है. मतलब अब 10 रुपये में भरपेट खाना मिल रहा है. वर्तमान में इसके तहत राज्य में क़रीब डेढ़ सौ दाल भात केंद्र चलाए जा रहे हैं. इन्हें स्वयंसेवी संगठन, पंचायत और सहकारिता आधारित संस्थाएं चला रही है. इन संस्थाओं को राज्य सरकार सस्ते में चावल उपलब्ध कराती है और रसोई की ज़रुरी सामग्री भी देती है.
खाने में दाल भात सब्ज़ी और निंबू का अचार था. स्वाद घर के खाने की तरह ही था और इतना था कि पेट भर जाए. राजधानी रायपुर के जेल परिसर संचालित अन्नपूर्णा दाल-भात केन्द्र की ये नजारा बताता है कि सरकार की योजना का लाभ आज भी हजारों लोगों को मिल रहा है. प्रदेश भर में रोजाना 20 हजार लोग अन्नपूर्णा दाल भात केन्द्र में भोजन करते हैं. संचालक शिवशंकर कहते हैं कि वे 13 साल से दाल-भात केन्द्र चला रहे हैं. 10 रुपये में अनलिमिटेड भोजन कराते हैं. इसके साथ 5 रुपये में सब्जी आचार और पापड़ देते हैं.
कुछ लोग वर्षों से यहां खाने आते हैं और इनका कहना है कि खाना अच्छा है और वे कभी इसे खा कर बीमार नहीं हुए है. 10 रुपए में भरपेट खाना मिलना बड़ी बात है. क्योंकि महंगाई के इस दौर में नाश्ता भी इतने रुपये में नहीं मिलता. अन्नपूर्णा दाल-भात केन्द्र रायपुर में ऐसे में स्थान पर खुला जहां हर दिन हजारों की संख्या में लोग पहुँचते हैं. जेल परिसर में रोज कैदियों से मिलने उनके परिजन आते हैं. वहीं दाल-भात केन्द्र ठीक मेकाहारा अस्पताल के सामने है. लिहाजा बड़ी संख्या में रायपुर से बाहर के लोग आते हैं. गरीब तबके के लिए लोगों के लिए सस्ता और अच्छा भोजन करने का यही एक मात्र स्थान है. भोजन करने पहुँचे भारत लाल साहू का कहना है कि सरकार की यह योजना बहुत ही अच्छा है. इससे सस्ता खाना तो और कहीं नहीं मिलेगा. वहीं बिलासपुर से पहुँचे नंदकुमार यादव कहते हैं कि वे मेकाहारा अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे थे. यहां बहुत ही सस्ता खाना मिल रहा इससे भले वाली बात क्या हो सकती है.
सरकार की इस योजना की तारीफ हर वो व्यक्ति कर रहा है जो यहां भोजन कर चुका है. क्योंकि शहर में कहीं भी जाओ तो 20 रुपये पानी का एक बोतल मिलता है. लेकिन यहां 10 रुपये में भरपेट भोजन मिल रहा है. भोजन करने वाले सभी लोग इस बात खुश है कि उन्हें घर जैसा ही स्वाद मिलता है. मतलब खाने की गुणवत्ता बढ़िया है. राज्य सरकार की इस योजना का लाभ प्रदेश भर के एक सौ साठ केन्द्रों में मिल रहा है. सरकार योजना की अच्छी बात ये है कि सभी तबके लोग यहां भोजन करते हैं. जिन्हें बहुत साधारण खाना है वह बहुत सस्ते दर पर भोजन दाल-भात केन्द्र में कर सकते हैं. आगे आपको बताएंगे कि किस तरह से श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री केंटिन योजना की शुरुआत रमन सरकार ने की है.
मजदूर वर्ग के लिए रमन सरकार द्वारा अनकों योजनाएं लाई गई है. जिसका फायदा ये मेहनतकश वर्ग को लगातार मिल भी रहा है. अब रमन सरकार द्वारा इन मजदूरों को भूखा पेट काम ना करना पड़े इसके लिए भी योजना की शुरुआत की है. दीनदयाल श्रम अन्न सहायता ऐसी योजना है जिसके माध्यम से मजदूर सिर्फ 5 रुपए में भरपेट भोजन कर सकते हैं. बल्कि वे चाहें तो टिफिन में भी भोजन ले जा सकते हैं.
ये वो मेहनतकश हाथ हैं, जो इस प्रदेश के विकास की योजनाओं को तराशने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों से लेकर सड़क-नाली, विभिन्न जगहों में काम करने वाले ठेकादारों के अंडर में काम सहित कई तरह के काम ये मजदूर करते हैं. प्रदेश की धीमी विकास के रफ्तार के साथ ही इनका जीवन भी दिशाहीन होकर चिंताओं और निराशाओं से भरा जा रहा था. जीवन में ना तो प्रार्थानाओं का असर हो रहा था और ना ही दुआओं को. एक उम्मीद थी वो भी दम तोड़ते जा रही थी. कोई सहारा ना था ना ही निराशा के दौर से बाहर निकालने वाला कोई अपना ही था. सुबह होता तो कई मजूदर ऐसे थे जो कि बगैर टिफिन लिए हुए ही काम पर निकल जाते, इस उम्मीद के साथ कि आज भरपूर काम मिलेगा. लेकिन कई दफा निराशा भी हाथ लगती. धूप हो या छांव चाहे मौसम कोई भी हो इन मजदूरों की ना तस्वीर बदली और ना ही इनकी तकदीर. इसकी वजह मेहनतकश लोगों के लिए कोई योजना ही नहीं थी. प्रदेश के ऐसे सभी मेहनतकश लोगों के लिए रमन सरकार ने योजना बनाया. छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल, छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल का गठन किया. इसे बनाने के साथ ही सरकार ने ऐसे सभी मजदूरों के पंजीयन का काम शुरु कर दिया ताकि उन तक सरकारी की सारी योजनाएं पहुंच सके. पूर्ववर्ती सरकारों को ये भी नहीं पता था कि प्रदेश में ऐसे मजदूरों की संख्या कितनी है. सरकार ने इनके रजिस्ट्रेशन के साथ ही इनके कल्याण की दिशा में कार्य करना शुरु कर दिया. इसी के तहत इन्हें और इनके परिवार के सभी सदस्यों के लिए भी योजनाएं बनाई गई. सरकार ने पंजीकृत मजदूरों के लिए उनके काम के हिसाब से उन्हें निशुल्क औजार भी दिए. अब ऐसे मजूदर जो की भूखे पेट रहकर दिन भर काम करते थे उन मजदूरों के लिए डॉ रमन ने दीनदयाल श्रम अन्न सहायता योजना की शुरुआत की है. योजना के तहत मजदूरों को सिर्फ 5 रुपए में भरपेट भोजन दिया जा रहा है. जिसके बाद अब किसी भी मजदूर को भूखे पेट काम नहीं करना पड़ता है.
वहीं सरकार की इस योजना से लाभान्वित मजदूर अब भरपेट खाना खा रहे हैं. वे सरकार की इस योजना की तारीफ करते हुए इसे मजदूरों के लिए बनाई गई बेहतर योजना बता रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि वे बमुश्किल दिनभर 150-200 रुपए ही कमा पाते हैं उसमें भी अगर 60-70 रुपए का वे एक टाइम अकेले खाना खा लेंगे तो फिर परिवार के लिए बचेगा क्या. रमन सरकार मजदूरों को 5 रुपए में भरपेट खाना खिला रही है. मजदूरों का कहना है कि आज के जमाने में 5 रुपए में तो चाय भी नहीं मिलती और सरकार 5 रुपए में भरपेट खाना खिला रही है. वे सरकार के इस कदम की तारीफ करते हुए डॉ रमन सिंह को धन्यवाद दे रहे हैं.
रमन सरकार द्वारा राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा राजधानी रायपुर के गांधी मैदान स्थित चावडी और तेलीबांधा में असंगठित मजदूरों के लिए दीनदयाल श्रम अन्न सहायता योजना संचालित की जा रही है. योजना के शुरुआती दौर में छत्तीसगढ़ के आठ जिलों के शहरों में इस योजना की शुरुआत की गई. इनमें रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, कबीरधाम, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, बस्तर (जगदलपुर), सरगुजा, कोरिया और रायगढ़ शामिल हैं. इस योजना के तहत चावड़ी में जहां श्रमिक काम की तलाश में एक जगह एकत्रित होते है, उस स्थान पर उनका पंजीयन किया जाएगा और उन्हें प्रतिदिन श्रमिकों को प्रतिदिन सवेरे आठ बजे से 11 बजे तक गर्म भोजन दिया जाएगा. रायपुर शहर में इस योजना के तहत 15 हजार श्रमिकों को सिर्फ पांच रूपए में गर्मागर्म दाल, भात, मौसमी सब्जी, अचार, पापड़ और सलाद दिया जाएगा. उन्हें टिफिन में भी यह भोजन ले जाने की सुविधा मिलेगी. कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा राजधानी रायपुर में यह योजना श्रमिक बहुल उरला, भनपुरी और बोरियाखुर्द में भी शुरू की गई. रमन सरकार के कार्यकाल के प्रथम पांच हजार दिन पूर्ण होने के उपलक्ष्य में तेलीबांधा और उरला में 14 अगस्त 2018 को योजना का शुभारंभ किया गया था. मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने आज जब इतिहास रचा, तो उन मजदूरों के बीच बैठकर जश्न मनाया, जिनके समर्थन के बूते ये मुकाम हासिल हुआ है. इस बीच उन्होंने प्रदेश के श्रमवीरों की चिंता करते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रम अन्न सहायता योजना का शुभारंभ भी किया. योजना शुरू की तो खुद मजदूरों के साथ दोपहर का खाना खाया. गर्म दाल-चावल, सब्जी और आचार.
निश्चित ही आज 5 रुपए में खाने के लिए नाश्ता भी नहीं मिलता वहीं रमन सरकार द्वारा मजदूरों को भरपेट अच्छा खाना खिलाया जा रहा है. और किसी भूखे को भरपेट खाना खिलाना किसी पुण्य से भी कम नहीं है. लिहाजा मजदूर वर्ग भी आज डॉ रमन को धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ ही उन्हें दिल से दुआ दे रहे हैं.
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