एक वो दौर था, जब राज्य के किसान खेती के लिए बारिश के पानी पर आश्रित रहते थे. अच्छी बारिश हुई, तो खेतों में हरियाली नजर आती, लेकिन बारिश के न होने से किसान मायूसी से भर उठते, माथे पर चिंता की लकीरें उभर आती. छत्तीसगढ़ में रमन सरकार ने किसानों की इस चिंता को करीब से महसूस किया. मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह इस बात को बखूबी जानते थे कि छत्तीसगढ़ की पहचान जिन किसानों के बूते हैं, उस पहचान को बरकरार रखनी है, तो सिंचाई के बेहतर साधन जुटाने होंगे. रमन ने जैसा कहा-वैसा किया भी. किसानों को बारहमासी सिंचाई के लिए पानी मिल सके, लिहाजा राज्य में एनीकट, डैम, जलाशय बनाने की कार्ययोजना पर तेजी से काम किया गया. यही वजह है कि बीते दो सालों में जब राज्य सूखे की भयंकर चपेट में आया, तो यही वो साधन थे , जिसने किसानों को संभाले रखा.

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एक वो दिन था जब किसान चिंता में बैठा रहता था, उसका परिवार भगवान से बरसात के लिए विनती करता था.  राज्य की सत्ता में काबिज होने के बाद कृषि प्रधान सूबे के मुखिया डॉ रमन सिंह ने कहा था कि वे राज्य के किसी भी किसान की आंखों में आंसू नहीं आने देंगे, किसी भी किसान की फसल पानी के अभाव में सूखेगी नहीं. लिहाजा उन्होंने जैसा कहा, वैसा किया,और इस दिशा में काम करते हुए उन्होंने सिंचाई की कई योजनाएं बनाईं. सूबे में नहरों का निर्माण किया गया. हर नदी को नहरों से जोड़ा गया और गांव-गांव में सिंचाई के लिए नहरों का जाल बिछा दिया. यही नहीं सिंचाई पंपो में छूट के साथ सोलर पंपों में दी जारी सब्सिडी का असर है कि किसान खुशहाल और उन्नतशील है.

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रमन सरकार की वजह से किसानों की चिंताएं खत्म हो गई, अब सूबे का किसान खुशहाल है और जब किसान खुशहाल है तो प्रदेश खुशहाल है. रमन सरकार की वजह से सूबे में धान की बंपर पैदावार होने लगी है. धान की फसल की पैदावार में सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. सूबे में इतने डैम, एनीकट व जलाशय बन गए हैं कि किसानों को पानी की कमी नहीं होती. गांव-गांव में किसानों को नहरों से पानी मिलने लगा है. इसी का नतीजा है कि जो धान की फसल साल में एक बार बारिश के मौसम में होती थी उसी धान की फसल अब किसान साल में दो-दो बार लेने लगे हैं. न सिर्फ धान बल्कि अन्य फसलें भी किसान बेफिक्र हो कर लगा रहे हैं जिसकी वजह से उनके जीवन में खुशहाली आई है. अब किसानों द्वारा पैदा किया गया धान पूरे देश की जरुरतों को पूरा कर रहा है. रमन सरकारी की योजनाओं की वजह से आज छत्तीसगढ़ विकास के रास्ते में तेजी से दौड़ते हुए कई विकसित राज्यों को पछाड़ते हुए आगे आ गया है. राज्य गठन के पश्चात राज्य शासन द्वारा जल संसाधनों के विकास एवं सिंचाई क्षमता को बढ़ाने के प्रयासों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई. राज्य गठन के समय प्रदेश की निर्मित सिंचाई क्षमता 13.28 लाख हेक्टेयर थी, जो अब बढ़कर 20.59 लाख हेक्टेयर हो गई. इस तरह सिंचित रकबा में उत्तरोत्तर वृद्धि के साथ वर्तमान में प्रदेश की सिंचाई का प्रतिशत 36 प्रतिशत हो गया है.

योजनाएं जिसने बदली प्रदेश की सिंचाई की तस्वीर

  • मोहड़ जलाशय परियोजना जिला बालोद एवं राजनांदगांव के अंतर्गत शिवनाथ नदी की सहायक नदियों पर ग्राम मोहड़ के समीप रुपए 288.22 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन है. परियोजना से राजनांदगांव जिले के 6 ग्रामों की 800 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी साथ ही एनएसपीसीएल के 500 मेगावाट पावर प्लांट को 17 मिघमी जल प्रतिवर्ष प्रदाय की जावेगी. इसके लिए एनएसपीसीएल द्वारा रुपए 110 करोड़ अग्रिम जलकर के रुप में शासन को प्राप्त हुई है.
  • अरपा भैंसाझार परियोजना जिला बिलासपुर के अंतर्गत अरपा नदी के ग्राम भैंसाझार के समीप रुपए 1142 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन है. परियोजना से बिलासपुर जिले के 102 ग्रामों की 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी.
  • औद्योगिक बैराज- महानदी पर प्रस्तावित 6 बैराज में से 4 बैराज जिसमें समोदा बैराज, बसंतपुर बैराज, मिरौनी बैराज एवं कलमा बैराज का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है. 2 बैराज जिसमें शिवरीनारायण बैराज एवं साराडीह बैराज पूर्णता की ओर हैं. इन बैराजों से 21उद्योगों को 852 मिलियन घन मीटर वार्षिक जल आबंटित है. जिससे शासन को प्रतिवर्ष 469 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा तथा निस्तारी, भूजल संवर्धन एवं 3149 हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि कार्य भी हो सकेगा.
  • उद्योगों को जल प्रदाय- जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित हसदेव बांगो जलाशय (कोरबा), रविशंकर सागर जलाशय (धमतरी) एवं सिकासार जलाशय (गरियाबंद) से क्रमशः 120, 10 एवं 7 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन हो रहा है. जिसमें लाखों टल कोयले की बचत हो रही है. इसके अतिरिक्त जल संसाधन विभाग द्वारा राज्य में एनटीपीसी एवं राज्य विद्युत मंडल के ताप विद्युत गृहों सहित अन्य, निजी ताप विद्युत संयंत्रों. इस प्रकार 134 संयंत्रों को 2400 घन मीटर जल आबंटित है.
  • पेयजल एवं निस्तारी- प्रदेश में 35 नगरीय निकायों को पेयजल हेतु विभिन्न संरचनाओं से 188.60 मिलियन घन मीटर जल आबंटित है. इसके अतिरिक्त विभाग अनेक ग्रामों के निस्तारी तालाबों में भी नहरों द्वारा प्रतिवर्ष जल प्रदाय करता है. वर्ष 2018 में भी2520 ग्रामों के 4557 तालाबों को निस्तार हेतु जल प्रदाय किया गया.
  • नया रायपुर पेयजल- विकासशील नया रायपुर शहरी क्षेत्र में वर्ष 2040 तक पेयजल की सुविधा के दृष्टिगत ग्राम टीला तथा ग्राम रावर के समीप महानदी पर दो एनीकट का निर्माण किया गया है.
  • अभियान लक्ष्य भागीरथी- राज्य शासन द्वारा प्रदेश में सिंचाई क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2028 तक उपलब्ध सतही जल से 32 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता प्राप्त कर 100 प्रतिशत सिंचाई क्षमता का सृजन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए एक अभिनव पहल “अभियान लक्ष्य भागीरथी” के नाम से प्रारंभ किया गया है. इसके अंतर्गत राज्य बननने के पश्चात पहली बार वर्श 2016-17 में 101795 हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षमता सृजित करने में  सफल हो सके हैं. यह राज्य के इतिहास में पहली बार हुआ है इस लक्ष्य की प्राप्ति में अभियान लक्ष्य भागीरथी में शामिल 70 पुरानी सिंचाई योजनाओं को पूर्ण किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 21 जुलाई 2017 को आयोजित मुख्यमंत्रियों की बैठक में छत्तीसगढ़ सरकार के इस अभिनव पहल “अभियान लक्ष्य भागीरथी” की प्रशंसा करते हुए अन्य राज्यों को भी इसे एक रोल माडल के रुपए में अपनाने की सलाह दी गई है.
  • सूक्ष्म सिंचाई योजना- जल का समुचित उपयोग किये जाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म सिंचाई एवं सौर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से सिंचाई की कार्य योजना बनाई गई है. इस पद्धति द्वारा कम पानी से अधिक क्षत्रफल में सिचाई होगी तथा असिंचित क्षेत्रों में भी सिंचाई संभव होगी. सूक्ष्म सिंचाई से खरीफ एवं रबी फसलों के साथ-साथ सब्जी तथा दलहन-तिलहन की फसल ली जा सकेगी. इस प्रकार कृषकों का आर्थिक उन्नयन होगा एवं रोजगार के अवसर निर्मित होंगे.
  • सूक्ष्म सिंचाई योजना- रायपुर जिले की “हरदी एनीकट सूक्ष्म सिंचाई योजना” का कार्य प्रारंभ है   योजना से 750 हेक्टेयर क्षश्रेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है. राजनांदगांव जिले की “धामनसरा-मोहड़ एनीकट सूक्ष्म सिंचाई योजना” हेतु कार्य एजेंसी निर्धारित कर ली गई है.योजना में 480 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है. इसी प्रकार वर्ष 2016-17 के बजट में 14 योजनाओं एवं मौजूदा बजट में 5 योजनाओं का नवीन मद के अंतर्गत शामिल किया गया है.
  • सौर सूक्ष्म सिंचाई योजना- सौर सूक्ष्म सिंचाई हेतु वर्ष 2016-17 के बजट में 11 योजनाओं एवं वर्ष 2018 के बजट में 15 योजनाओं को नवीनमद में शामिल किया गया है.
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत प्रदेश की प्रमुख 3 योजनाएं जिसमें केलो वृहद सिंचाई परियोजना, खारंग सिंचाई परियोजना एवं मनियारी सिंचाई परियोजना शामिल की गई है. इससे कुल 42 हजार 625 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजित होगी.
  • “हर खेत पानी” देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत पुरानी एवं जीर्णशीर्ण लघु सिंचाई योजनाओं की मरम्मत, पुनर्नवीनीकरण तथा पुनरोद्धार को शामिल किया गया है. जिससे सिंचाई योजनाओं की क्षमता पुनर्स्थापित होगी. वर्ष 2010-11 में स्वीकृति प्राप्त 131 योजनाओं की लागत रुपए 122.91 करोड़ है. केन्द्रांश राशि 110.62 करोड़ रुपए के विरुद्ध अब तक रुपए 72.65 करोड़ प्राप्त हुआ है. मार्च 2017 तक राज्यांश रासि सहित रुपए 84.12 करोड़ व्यय कर 120 योजनाएं पूर्ण की जा चुकी है. इन योजनाओं से 12567 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता पुनर्स्थापित हुई, शेष 11 योजनाओं को 2018 तक पूर्ण कर 1786 हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता पुनर्स्थापित किये जाने का लक्ष्य है.
  • नाबार्ड- वर्तमान में नाबार्ड पोषित योजनाओं के अंतर्गत 15 वें चरण से 23 वें चरण तक 120 योजनाएं स्वीकृत हैं, जिनकी कुल लागत रुपए 165406 लाख है तथा सिंचाई क्षमता 104033 हेक्टेयर प्रस्तावित है. स्वीकृत योजनाओं से अब तक 44 योजनाएं पूर्ण कर17079 हेक्टेयर में सिंचाई निर्मित की जा चुकी है.
  • इंटरलिंकिंग परियोजना- इसके अंतर्गत महानदी-तांदुला लिंक परियोजना, पैरी-महानदी लिंक परियोजना, रेहर-अटेम लिंक परियोजना, अहिरन-खारंग लिंक परियोजना तथा हसदेव-केवई लिंक परियोजना शामिल है.
  • नीर निधि- प्रदेश के जलाशयों में जल भराव की जानकारी तत्काल प्राप्त करने हेतु रियल टाइम एपलीकेशन साफ्टवेयर “नीरनिधी” तैयार कर जून 2016 से वृहद एवं मध्यम जलाशयों के जल भराव की जानकारी का निरंतर संकलन किया जा रहा है. यह साफ्टवेयर डेस्कटॉप कम्प्यूटर तथा एन्ड्रायड मोबाइल पर संचालित किया जा रहा है.
  • जल कान्ति- देश में समग्र एवं एकीकृत दृष्टिकोण के दृष्टिगत जल संरक्षण, जल उपयोग दक्षता तथा जल उपयोग प्रबंधन के क्रियाकलापों को बढ़ावा देने और सुदृढ़ बनाए जाने की अविलंब आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा इसमें सभी पणधारियों को शामिल करते हुए “जल क्रांति अभियान ” का आयोजन किया गया है ताकि यह एक जल आंदोलन बन जाए.
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सौर सुजला ने बदली किसानों की दिशा और दशा

वास्तव में छत्तीसगढ़ के भीतर सिंचाई के क्षेत्र में जितना काम हुआ है. 15 सालों में यह एक रिकार्ड है. रमन सरकार ने किसानों को समृद्ध करने ढेरों योजनाएं बनाई है और इसका असर राज्य में दिखता है. धमतरी जिले के किसानों को इस योजना के माध्यम से बारहों महीने खेतों में पानी मिल रहा है. पानी मिलने की वजह से किसान अब बगैर किसी चिंता के अच्छी पैदावार ले रहे हैं. सूबे के कई क्षेत्रों में लो वोल्टेज और जिन इलाकों में बिजली पहुंचाना संभव नहीं है ऐसे इलाकों के किसानों के लिए रमन सरकार ने सब्सिडी के साथ सोलर पंप उपलब्ध करवा रहे हैं.सोलर पंप किसानों को सब्सिडी की वजह से बेहद कम कीमत में मिल रहे हैं. किसान सोलर पंप लगा रहे हैं जिससे अब लो वोल्टेज जैसी समस्याएं खत्म हो गई है. और अब किसान अपने खेतों को आसानी से सिंचाई कर पा रहे हैं. किसानो ने बताया कि वह धान के अलावा विभिन्न प्रकार की सब्जियों का भी उत्पादन करते है जिससे उनकी आवक बनी रहती है. पहले डीजल पम्प से सिंचाई करके काम चलाते थें पर सोलर पम्प लग जाने से अब बारहों महीने धान व सब्जी की फसलों को पानी उपलब्ध हो रहा है. सरकार के इस योजना से मिले लाभ से किसान काफी गदगद हैं और इसके लिये प्रदेश सरकार को बधाई दे रहे है. राज्य में हर साल भीषण गर्मी से कई इलाकों में अकाल जैसे हालात बन जाते हैं. ये वो हालात रहते हैं जब किसान बेबस हो जाता है, खुद को असहाय पाता है. परिवार के गुजर बसर की चिंता किसानों के आंखों से सुकून के साथ उसकी नींदे भी उड़ा ले जाती हैं. डॉ रमन ने ऐसे उन सभी किसानों की तकलीफों को महसूस किया और टपक सिंचाई योजना की शुरुआत की ताकि सूखे के हालात में भी किसानों को सिंचाई के लिए तकलीफ न हो. टपक सिंचाई के माध्यम से एक तिहाई पानी में किसान फसल की बुआई कर पा रहे है. सूखे क्षेत्रों के लिए टपक सिंचाई सबसे ज्यादा कारगार साबित हो रही है. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इन योजनाओं के तहत टपक सिंचाई यंत्र लगाने के लिए सभी लघु और सीमांत किसानों को 60 प्रतिशत साथ ही अन्य किसानों को 35 प्रतिशत रियायत दिया जा रहा है. यही वजह है कि किसान अब उन्नत कृषि की ओर आगे बढ़ रहे है.

एक नजर छत्तीसगढ़ में सिंचाई के क्षेत्र में किए गए कार्यों पर-

  • विभागीय बजट- वर्ष 2017-18 में विभागीय बजट रुपए 3155.03 करोड़ है. वर्ष 2003 के विभागीय बजट रुपए 493.90 करोड़ की तुलना में लगभग सात गुना वृद्धि हुई.
  • निर्मित सिंचाई- वर्तमान में राज्य की कुल सिंचाई क्षमता 20.59 लाख हेक्टेयर है. वर्ष 2003 तक की सिंचाई क्षमता 14.53 लाख हेक्टेयर की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
  • वृहद परियोजना- 3 वृहद परियोजना अंतर्गत महानदी परियोजना समूह, मिनीमाता(हसदेव) बांगो परियोजना, जोंक व्यपवर्तन योजना का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ.
  • लघु सिंचाई योजना- 440 लघु सिंचाई योजनाओं का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ.
  • एनीकट/स्टापडेम- 651 एनीकट/स्टापडेम का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ. इससे भूजल स्तर बढ़ाने, निस्तारी, भूजल संवर्धन में वृद्धि एवं नदी तट के समीप कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से निर्माण किया गया.

निर्माणाधीन योजनाएं

  • वृहद परियोजना- 4 वृहद परियोजना अंतर्गत सोंढूर जलाशय परियोजना, अरपा भैंसाझार परियोजना, केलो परियोजना एवं राजीव समोदा निसदा व्यपवर्तन योजना निर्माणाधीन है.
  • मध्यम परियोजना- 3 मध्यम योजना अंतर्गत मोहरा बैराज, सूखानाला बैराज एवं घुमरियानाला बैराज निर्माणाधीन है.
  • लघु सिंचाई योजना- 418 लघु सिंचाई योजना निर्माणाधीन है.
  • एनीकट/स्टापडेम- 157 एनीकट/स्टापडेम निर्माणाधीन है. इससे भूजल स्तर बढ़ने, निस्तारी, भूजल संवर्धन में वृद्धि एवं नदी तट के समीप कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से योजना निर्माणाधीन है.

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