खून पसीने बहाकर खेतों में दिन रात मेहनत कर एक किसान फसल लगाता है इस आस में कि फसल पकने पर वह सारे कर्जों को चुका देगा. आने वाले साल के लिए भी कुछ बचा लेगा, बेटे-बेटियों के हाथ भी पीले कर देगा. लेकिन फसल पकने के बाद उसके सामने सबसे बड़ी समस्या बेचने की आती थी कि वह कहां जाए. उचित बाजार नहीं होने की वजह से अक्सर इसका फायदा बिचौलिये उठाया करते थे. वे किसानों की लाचारी का फायदा उठाकर औने-पौने दाम पर अनाज खरीद लिया करते थे. कर्ज के बोझ से लदा किसान मायूस होकर उसे धान बेच देता था. ऐसे में ठगा हुआ किसान जो कुछ भी मिलता उससे वह कुछ कर्ज चुका देता और कुछ गुजारा करने के लिए अपने पास रख लेता. कुछ साल पहले तक देश में अधिकतर किसानों की यही हालत थी. छत्तीसगढ़ भी किसानों की इस त्रासदी से अछूता नहीं था. इसी बीच सत्ता बदली डॉ रमन सिंह के हाथों में शासन की बागडोर आई. उन्होंने दुखी किसानों के दर्द को महसूस किया. रमन ने जैसा कहा वैसा किया. उन्होंने धान खरीदी की नीति को और भी ज्यादा सशक्त बनाया. जिससे प्रदेश के किसान बिचौलियों के हाथों न ठगे जाए. उन्होंने समर्थन मूल्य की राशि इतनी बढ़ा दी कि किसान बिचौलिये के झांसे में आने से बच गए. यही नहीं रमन ने एक नई शुरुआत भी कि वो शुरुआत धान के बोनस देने की थी.
लहलहाते हरे-भरे खेत.. खेतों को देखकर मुस्कुराते किसानों के चेहरे. किसानों के चेहरे पर अब चिंता की बजाय उम्मीदें भरी हैं. ये खुशियां आप केवल छत्तीसगढ़ के किसानों के चेहरे में ही देखेंगे. उनकी इस खुशी के पीछे अगर किसी का हाथ है तो वह है मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का जिनकी बदौलत आज इनकी ज़िंदगी बदल गई है. ये किसान अब न सिर्फ सपने देखते हैं बल्कि उन्हें खुशियों के साथ पूरा भी करते हैं. ऐसी खुशियां किसी और राज्य के किसानों में देखने को नहीं मिलेगी. किसान अब खुशी-खुशी फसल काटकर अपने खलिहान लाते हैं और फिर मिजाई के पश्चात गांव के नजदीक में बनाए गए धान खरीदी केन्द्र में ले जाकर बेच देते हैं. लेकिन चंद साल पहले ऐसा बिल्कुल नहीं था. फसल पकने से पहले ही बिचौलिये गांवों में कैम्प कर लेते थे और औने-पौने दाम पर किसानों का धान खरीद लेते थे. किसानों के बिचौलियों के चंगुल में फंसने की सबसे बड़ी वजह ये थी कि धान खरीदी केन्द्रों की संख्या न के बराबर थी. जिसकी वजह से उन्हें गाड़ियों में भरकर धान ले जाना पड़ता था और फिर उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता था. लिहाजा किसान आसानी से बिचौलियों के चंगुल में फंस जाता था. मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने धान खरीदी को लेकर नीतियां बनाई. सोसायटी के माध्यम से धान खरीदी की जाने लगी. धान खरीदी केन्द्र अब किसानों के गांवों के नजदीक खोले गए. जहां अब वे आसानी से पहुंचकर अपना धान बेच सकते हैं.
रमन सरकार की नीतियों की वजह से देश भर के सभी राज्यों की नजर छत्तीसगढ़ पर टिक गई. यहां किसानों को मिलने वाला समर्थन मूल्य के साथ बोनस की राशि की वजह से प्रदेश में दूसरे राज्यों से लाकर धान खपाने की कोशिशें की जाने लगी. इस की भनक लगते ही रमन सरकार ने धान खरीदी को और भी ज्यादा पारदर्शी बनाते हुए आनलाइन धान खरीदी की शुरुआत की. इसके लिए सोसायटियों में धान बेचने से पहले किसानों को रजिस्ट्रेशन कराया जाना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके लिए पहले किसानों को अपना पंजीयन कराना होता है. पंजीयन के बाद नामों को ऑन लाइन कर दिया जाता है. समितियों में किसानों का पंजीयन हो जाने से उन्हें सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ भी दिया जा रहा है. इसके साथ ही किसानों को बारदाना की भी सुविधा प्रदान की जा रही है. किसान बारदाना में धान भरने के बाद उसका वजन कराता है. अपना खून पसीना बहाकर, खेतों में भूखे रहकर लोगों के लिए धान उगाने वाले किसान और उसके परिवार में खुशियां भरने के लिए रमन सरकार ने सबसे बड़ा फैसला लिया. रमन सरकार ने उद्योगों में काम करने वाले कर्मियों की तरह ही उन्हें बोनस देने का निर्णय लिया. इन किसानों को समर्थन मूल्य मिलने के साथ ही उन्हें सरकार द्वारा बोनस भी दिया जा रहा है. छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जहां समर्थन मूल्य में धान खरीदी के साथ ही किसानों को धान का बोनस भी दिया जा रहा है. धान संग्रहण केन्द्रों में धान बेचने के बाद अब किसानों को पैसों की भी चिंता नहीं रहती, बेचे गए धान के अनुसार उसका पैसा सहकारी बैंक के माध्यम से सीधे उनके अकाउंट में भेज दिया जाता है. जिससे उन्हें धोखाधड़ी या फिर ठगी जैसी किसी कोशिश की जरा भी चिंता नहीं रहती है. समर्थन मूल्य के साथ धान बोनस मिलने से अब सूबे के किसान और उनका परिवार खुशहाल है वे अपने सारे ख्वाबों को पूरा करने में सक्षम हैं. बदलते वक्त के साथ धान खरीदी की बदलती प्रक्रिया किस तरह से रही इसे समझने के लिए इन आंकड़ों को देखिए-
- वर्ष 2003 में धान उपार्जन केन्द्रों की संख्या 1323 थी जिसे बढ़ाकर 1992 किया गया.
- वर्ष 2003 में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या लगभग 8 लाख थी. जो वर्ष 2016-17 में 13.28 लाख हो गई है.
- वर्ष 2003 तक समर्थन मूल्य पर किसानों से 39 लाख 61 हजार मीट्रिक टन धान खरीद कर किसानों को कुल 2130 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था. विगत 14 वर्षों में 6 करोड़ 96 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर किसानों को कुल 75047 करोड़ रुपए का भुगतान किया.
- वर्ष 2012-13 से कोर बैंकिंग के जरिये किसानों के खाते में राशि ऑनलाइन ट्रांसफर करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई. इससे किसानों द्वारा बेचे गए धान की राशि उनके बैंक खाते में तत्काल जमा हो रही है.
- धान उपार्जन कार्य में पारदर्शिता तथा किसानों को सुविधा के लिए वर्ष 2007-08 में धान उपार्जन एवं कस्टम मिलिंग कार्य को कम्प्यूटरीकृत किया गया. जो देश में प्रथम एवं अभिनव प्रयास था. इसके अंतर्गत प्रत्येक किसान का डेटाबेस तैयार किया गया है. जिससे कोचियों-बिचौलियों द्वारा धान के बोगस विक्रय पर नियंत्रण संभव हुआ है.
- धान खरीदी में पारदर्शिता लाते हुए उसके समस्त आंकड़ों को खाद्य विभाग की वेबसाइट में उपलब्ध कराया गया है.
- वर्ष 2017 में सरकारी मंडियों में 69 लाख 48 हजार 854 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई. सबसे ज्यादा 7 लाख टन जांजगीर जिले में खरीदी की गई. जबकि सबसे कम दंतेवाड़ा में 5 हजार मीट्रिक टन धान खरीदी हुई.राज्य में 1988 खरीदी केन्द्रों के माध्यम से 13 लाख 26 हजार 369 किसानों ने अपना धान बेचा था. मार्कफेड ने धान खरीदी के लिए करीब दस हजार करोड़ की राशि जारी की थी. सबसे ज्यादा धान खरीदी के मामले में दूसरे नंबर पर महासमुंद था. वहां छह लाख 13 हजार 672, रायपुर में चार लाख 70 हजार 61, गरियाबंद में दो लाख 44 हजार 972, धमतरी में तीन लाख 74 हजार 730 और बलौदाबाजार में पांच लाख 55 हजार 621 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई. राजनांदगांव जिले में पांच लाख 17 हजार 807 और कवर्धा दो लाख 32 हजार 539 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी.
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की नीति जिस तरीके से रमन सरकार ने बनाई है उसे किसान अब खुशहाल और समृद्धि होते जा रहे हैं. सरकार ने किसानों के साथ किया वादा निभाया है. सरकार किसानों का धान खरीदने का जो लक्ष्य रखा उसे हर साल बढ़ाया है. किसानों को सरकार ने बिचौलिए से मुक्ति दिलाई है.
2003 के बाद शुरू धान खरीदी की प्रकिया को बेहतर बनाने की कोशिशे सरकार लगातार करती रही है. सरकार ने अपनी प्रकियाओं में कई नवीन चीजों को शामिल किया. यहां सरकार ने धान खरीदी की निगरानी के लिए ऑनलाइन प्रकिया की भी शुरुआत कर दी है. रमन सरकार ने किसानों की पूरी तरह से लाभ दिलाने के लिए धान खरीदी के लिए व्यवस्थित रूप से काम करने के निर्देश दिए हुए हैं. खुद मुख्यमंत्री खरीदी केन्द्रों का निरीक्षण कर व्यवस्था का जायजा लेते रहते हैं. सही खरीदी प्रकिया का परिणाम ही है कि हर साल धान खरीदी का लक्ष्य सरकार की ओर से बढ़ाया जा रहा है. सरकार ने इस साल 75 लाख मीट्रिक धान खरीदी का लक्ष्य रखा है. धान खरीदी की शुरुआत इस साल 15 दिन पहले 1 नवंबर से होने जा रही है. धान खरीदी की तैयारी के निर्देश सरकार ने दे दिए है
सरकार ने किसानों को पिछले दो साल की तर्ज पर इस साल भी 300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान का बोनस देने का फैसला लिया है. कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस साल करीब 75 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है. मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने बताया कि धान के बोनस के लिये 2400 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है. उन्होनें बताया कि कैबिनेट में इस बात पर भी चर्चा की गई है कि इस बजट को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अनुपूरक बजट में पास किया गया. किसानों को धान का बोनस देने के लिये यह अनुपूरक बजट लाया गया है. राज्य सरकार के इस फैसले से लगभग 13 लाख किसानों को फायदा मिलेगा. यह पहली बार होगा जब किसानों को धान बेचते ही समर्थन मूल्य के साथ बोनस का पैसा जुड़ कर मिलेगा. यानि जैसे ही किसान धान बेचेगा, उसके बाद उसके खाते में धान की किस्म के अनुसार 2050 रुपये या 2070 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसा जमा हो जायेगा.
खरीफ फसलों का एमएसपी बढ़ाने जाने पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताते हुए कहते हैं कि मोदी सरकार ने किसानों को बड़ी सौगात दी है. किसानों की मांग को सरकार ने पूरा किया है. केन्द्र सरकार ने हमारे उस वादे को पूरा किया है जिसमें ने हमने 21 सौ रुपये समर्थन मूल्य देने का ऐलान किया था. अब किसानों को उनके लागत मूल्य से डे गुना ज्यादा मिलेगा. आने वाले वक्त में किसानों की आय दुगनी होने वाली है. मोदी सरकार के फैसले से देश के 12 करोड़ से अधिक किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. छत्तीसगढ़ में किसानों से इस वर्ष धान खरीदी बोनस मिलाकर 2 हजार 70 रूपये में किया जाएगा. साल2017-18 के धान खरीदी के लिए सरकार ने कॉमन धान के लिए 1750 रुपए और ए ग्रेड के लिए 1770 रुपए तय किया है. सरकार ने प्रति एकड़ 15 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदना तय किया है. धान खरीदी के बाद बोनस समेत पूरी राशि सीधे किसानों के खातों में जाएगी.
सरकार की सही नीति से धान खरीदी को लेकर किस तरह का प्रभाव छत्तीसगढ़ में दिखा है
- छत्तीसगढ़ में बढ़ लगातार बढ़ रहा धान का उत्पादन.
- सरकारी योजनाओं को किसानों को मिल रहा है लाभ.
- उन्नत बीज और सब्सिडी से किसानों को मिल रही है राहत.
- समर्थन मूल्य पर खरीदी से किसानों में बढ़ रहा विश्वास.
- धान की खेती करने के लिए किसान हो रहे हैं प्रोत्साहित.
- बोनस की राशि मिलने से किसानों में उत्साह.
- छत्तीसगढ़ ने धान को लेकर बेहतर नीति तैयार की.
- ऑनलाइन मॉनीनिटरिंग प्रकिया से खरीदी में गड़बड़ी रूकी.
- बार्डर पर सुरक्षा के इंतजाम से दूसरे राज्यों के धान की नहीं हो रही खपत.
- खरीदी केन्द्र में किसानों के लिए रहता है पूरा इंतजाम.
- किसानों के लिए बैठने, पानी, बोरा, पालीथिन की रहती है व्यवस्था.
- बिचौलियों से मुक्ति दिलाने हर 10 किलोमीटर में खरीदी केन्द्र.
- लगातार धान खरीदी केन्द्रों की संख्या सरकार बढ़ा रही है.
- खरीदी केन्द्र के नजदीक ही संग्रहण केन्द्र भी बनाए जाते हैं.
दरअसल आज छत्तीसगढ़ में बेहतर धान खरीदी प्रकिया, सही नीति और किसानों को धान के फसल को लेकर दिए जा रहे कई तरह की सौगातों का असर है कि किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती कर रहे हैं. किसानों को धान का सही समर्थन मूल्य तो मिल रहा है उन्हें इसके साथ-साथ बोनस भी मिलता है. नतीजा यह कि किसान धान के पैदावार बढ़ाने में लगे हैं. सरकार की नीतियों से खुश धान के रिकॉर्ड उत्पादन से बेहद खुश है. किसान धान के समर्थन मूल्य और बोनस की राशि लगातर प्रगति कर रहे हैं.