भय, भूख और पलायन…छत्तीसगढ़ की कभी पहचान यही होती थी. बुनियादी जरूरत तो दूर की बात, दो जून का खाना मिल जाए. बस इसी कश्मकश में जिंदगी बेपटरी दौड़ लगा रही थी. कई टूटे-कई बिखरे, लेकिन तस्वीर न बदली. हालात बदलते का बीड़ा उठाकर सूबे में रमन सरकार आई. सरकार ने जैसा कहा- वैसा किया. बीते 15 सालों में प्रदेश की न सिर्फ तस्वीर नहीं बदली, बल्कि हर व्यक्ति के भूख की चिंता भी की. छत्तीसगढ़ ने देश को दिशा दिखाई और ये बताया कि यदि ठान लिया जाए तो भूख पर जीत भी दर्ज की जा सकती है. रमन के नेतृत्व में ही छत्तीसगढ ने देश में पहला खाद्य सुरक्षा कानून बनाया.
प्रदेश में हर गरीब को भोजन मिले इस संकल्प के साथ चलने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की सार्वजनिक वितरण आज केवल प्रदेश ही नहीं पूरे देश में रोल माडल बनी हुई है. सरकार का दायित्व बनता था कि इस योजना को न केवल सुचारू रूप से चलाए बल्कि इसका विस्तार भी करे, योजना की सफलता के बाद सरकार ने नया संकल्प लिया कि केवल चांवल ही नहीं गरीबों की आवश्यकता की अन्य सामग्रियों को भी इस योजना में शामिल किया जाए. इस योजना के तहत शुरूआत हुई गरीबों को चांवल के साथ साथ नमक और चने जैसी वस्तुओं के वितरण का. रमन सरकार के इसी पीडीएस सिस्टम की देन है कि आज छत्तीसगढ़ में कोई भी भूखा नहीं सोता. पीडीएस सिस्टम धीरे-धीरे विस्तार के साथ छत्तीसगढ़ की समृद्धि, विकास और विश्वास का नजीर बन गया है.
विश्व बैंक की हाल ही में रिलीज हुई सालाना रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल की प्रशंसा की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में इलेक्ट्रानिक उपकरणों के प्रयोग से लीकेज कम करने में सफलता हासिल की है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2005 में पीडीएस में लीकेज 52 फीसदी था, जिसे अब लगभग खत्म कर दिया गया है. विश्व बैंक की 2019 की रिपोर्ट-चेंजिंग नेचर ऑफ वर्क-में दुनिया भर में काम में तकनीकी के इस्तेमाल पर अध्ययन किया गया है. छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल की तारीफ दुनिया भर में पहले से होती रही है. देश के कई राज्यों ने छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल को अपनाया है. नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनोमिक्स की टीम ने छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल पर रिसर्च किया था. विश्व बैंक की रिपोर्ट में उसी अध्ययन के नतीजे लिए गए हैं. कई अध्ययनों से पता चला है कि इस योजना से ग्रामीण इलाकों में लोगों के जीवन का स्तर उठा है. पीडीएस में राशन की अफरातफरी की बहुत शिकायतें थीं. सरकार ने पीडीएस दुकानों में कम्प्यूटर लगाए और हितग्राहियों का डिजिटल रिकार्ड रखना शुरू किया. इससे राशन की काला बाजारी में अंकुश लगाने में सफलता मिली है.
पहले राशन दुकानों से किसे राशन मिला, कितने हितग्राहियों के नाम दर्ज आदि जानकारी राज्य स्तरीय सर्वर को भी नहीं मिल पाती थी. दुकानों में इलेक्ट्रानिक पाइंट ऑफ सेल लगाया गया. सभी आंकड़े डिजिटल दर्ज किए जाने लगे. किसे पात्रता है, किसे राशान दिया गया आदि जानकारी ऑनलाइन की गई. हितग्राहियों की तस्वीर से उनकी पहचान का तंत्र विकसित किया गया. इससे राशन की कालाबाजारी थम गई. देश के सबसे बेहतर पीडीएस सिस्टम को जानने के लिए अब तक 18 से ज्यादा राज्यों ने प्रदेश का दौरा किया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य के पीडीएस सिस्टम को देश के लिए एक नजीर बताया है.
खाद्य मंत्री पुन्नू लाल मोहले ने का कहना है कि अब तक 18 राज्यों की टीम इसका अध्ययन कर चुकी है, जबकि कई राज्यों ने इसे अपना है. पीडीएस को और अधिक परदर्शी बनाने की कवायद की गई है. इसके लिए राशन दुकानों को कम्प्यूटराइज किया जा रहा है. अब तक 97 फीसदी दुकानों का कम्प्यूटीरीकरण हो चुका है. इसी तरह कुल 57.72 लाख राशनकार्ड में से 55.99 लाख को आधार से लिंक किया जा चुका है. विभागीय वेबसाइट के जरिए भी पूरी जानकारी सार्वजनिक की जा रही है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2004 में ही पीडीएस में निजीकरण को समाप्त कर दिया था. सभी उचित मूल्य दुकानों की जिम्मेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत सहकारी समितियों, महिला स्व-सहायता समूहों, ग्राम पंचायतों और वन सुरक्षा समितियों को सौंपी गई है.
बेहतर पीडीएस सिस्टम, खाद्य सुरक्षा कानून शायद यही वो योजनाएं है, जिनके बूते सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह छत्तीसगढ़ की तुलना रामराज्य से करते हैं. रमन कहते हैं कि-
रामायण और रामचरितमानस जैसे महाकाव्यों में जिस आदर्श रामराज्य का वर्णन किया गया है. वह वर्तमान छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए भी प्रेरणादायक है. रामराज्य की भावना के अनुरूप छत्तीसगढ़ सरकार ने समाज के सभी वर्गों की खुशहाली के लिए योजनाएं लागू की हैं. भगवान श्रीरामचंद्र जी के राज्य में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहता था. छत्तीसगढ़ सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की है और प्रदेश के गरीबों को खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा कानून बनाकर भोजन का अधिकार दिया है. गरीबों को सिर्फ एक रूपए किलो में चावल दिया जा रहा है. नमक निःशुल्क वितरित किया जा रहा है. इससे भूख की समस्या खत्म हो गई है. अब छत्तीसगढ़ में कोई भी व्यक्ति भूखा नही सोता.
मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना
इस योजना के जरिए 7.66 लाख राज्य अन्त्योदय परिवारों को 1 रूपये प्रतिकिलो की दर पर प्रतिमाह 35 किलो चावल, 60,277 निराश्रित राशनकार्डधारियों को प्रतिमाह 10 किलो निःशुल्क चावल तथा 8,194 निःशक्तजन राशनकार्डधारियों को 1 रूपये प्रतिकिलो की दर पर प्रतिमाह 10 किलो चावल प्रदाय किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत प्रचलित 42.61 लाख प्राथमिकता वाले राशनकार्ड पर प्रति सदस्य 2 किलो अतिरिक्त चावल के अलावा भारत सरकार द्वारा चावल की निर्धारित प्रदाय दर (3 रूपये प्रतिकिलो) तथा राशनकार्डधारियों हेतु निर्धारित उपभोक्ता दर (1 रूपये प्रतिकिलो) के अंतर की राशि का भुगतान भी इस योजना के जरिए किया जा रहा है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 में इस योजना के क्रियान्वयन हेतु 3,000 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है.
अन्त्योदय अन्न योजना –
अति गरीब परिवारों के लिये यह योजना राज्य में मार्च 2001 से लागू की गई है. इस योजना के अंतर्गत अति गरीब परिवारों को रूपए 1.00 प्रति किलो की दर से 35 किलो चावल प्रति परिवार, प्रतिमाह प्रदाय किया जा रहा है. वर्तमान में योजनांतर्गत 14.85 लाख राशनकार्ड प्रचलित है, जिसमें भारत सरकार द्वारा स्वीकृत अन्त्योदय परिवारों की संख्या 7.19 लाख तथा राज्य अन्त्योदय परिवारों की संख्या 7.66 लाख है.
अन्नपूर्णा योजना –
वृद्ध एवं निराश्रितों को 10 किलो निःशुल्क चावल प्रदाय की भारत सरकार की यह योजना राज्य में अक्टूबर, 2001 से लागू की गई है. छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम के तहत अन्नपूर्णा योजना के राशनकार्डधारियों को स्पेशल अन्त्योदय राशनकार्ड जारी किया गया है. स्पेशल अन्त्योदय राशनकार्ड में हितग्राहियों को प्रतिमाह 10 किलो चावल निःशुल्क तथा 25 किलो चावल 1 रूपए प्रति किलो की दर से प्राप्त करने की पात्रता है. प्रदेश में इस योजना से लाभान्वित होने वाले हितग्राही कार्डधारियों की संख्या 7,916 है .
कल्याणकारी संस्थाओं को खाद्यान्न प्रदाय –
इस योजना के अंतर्गत राज्य के कल्याणकारी संस्थाओं मे निवासरत हितग्राहियों को बी.पी.एल दर पर 15 किलो खाद्यान्न प्रतिमाह की पात्रता है. भारत सरकार की पूर्वानुमति से इस योजना के अंतर्गत प्राप्त आबंटन से अन्नपूर्णा दालभात केन्द्रों को राज्य शासन द्वारा रियायती दर 02 रुपए प्रतिकिलो पर चावल उपलब्ध कराया जा रहा है.
रिफाइन्ड आयोडाइज्ड अमृत नमक वितरण योजना –
इस योजना में राज्य के अन्त्योदय एवं प्राथमिकता वाले परिवारों को अनुसूचित क्षेत्र में निःशुल्क प्रतिमाह 02 किलो एवं गैर अनुसूचित क्षेत्र में निःशुल्क प्रतिमाह 1 किलो रिफाईन्ड आयोडाइज्ड नमक प्रदाय किया जा रहा है. इस योजना हेतु वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 में राशि रूपये 75.81 करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है.
चना वितरण योजना –
जनवरी 2013 से राज्य के सभी अनुसूचित विकासखण्डों के समस्त अन्त्योदय एवं प्राथमिकता परिवारों के राशनकार्डधारियों को प्रतिमाह 2 किलो चना 5 रूपए प्रति किलो के मान से प्रदाय किया जा रहा है. इस योजना हेतु वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 में राशि रूपये 400 करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है.
अन्नपूर्णा दाल-भात योजना –
गरीब एवं जरूरतमन्द व्यक्तियों को अत्यन्त कम मूल्य अर्थात पांच रूपये की दर से भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अन्नपूर्णा दाल भात योजना वर्ष 2004 से राज्य में संचालित है. वर्तमान में राज्य में 158 अन्नपूर्णा दालभात केन्द्र संचालित हैं. राज्य शासन द्वारा दालभात केन्द्रों को प्रोत्साहन स्वरूप निःशुल्क गैस चूल्हे एवं प्रेशर कुकर उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है. इसके अतिरिक्त दालभात केन्द्रों को 2 रुपए प्रतिकिलो की दर से चावल, 5 रुपए प्रतिकिलो की दर से चना तथा निःशुल्क अमृत नमक प्रदाय किया जा रहा है. दालभात योजना से प्रतिदिन 15 से 20 हजार जरूरतमंद हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं.
पहुंचविहीन क्षेत्रों में राशन सामग्री का अग्रिम भंडारण-
प्रदेश के ऐसे स्थानों जहां वर्षा ऋतु के दौरान आवागमन मार्ग अवरूद्ध हो जाते हैं वहां खाद्यान्न, शक्कर, अमृत नमक तथा केरोसिन उपभोक्ताओं को सुलभ उपलब्ध कराने की दृष्टि से वर्षा ऋतु के पूर्व अग्रिम भण्डारण किया जाता हैं. शासन द्वारा उचित मूल्य दुकान संचालनकर्ता एजेंसी को ऐसे क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुएं चार माह के लिए संग्रहित करने हेतु बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध कराया जाता है. वर्ष 2016-17 में 234 पहुंचविहीन केन्द्रों में राशन सामग्री के अग्रिम भण्डारण हेतु नागरिक आपूर्ति निगम को 250 लाख की राशि उपलब्ध करायी गयी थी.
उचित मूल्य दुकान कम्प्यूटरीकरण –
भारत शासन के लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के पूर्ण कम्प्यूटरीकरण योजना के अंतर्गत राज्य में पीडीएस के समस्त क्रियाकलापों का पूर्ण कम्प्यूटरीकरण किया जाना है. राज्य में पीडीएस के अंतिम चरण उचित मूल्य दुकानों का कम्प्यूटरीकरण मार्च, 2012 से कोर पीडीएस के माध्यम से प्रारंभ किया गया. कोर पीडीएस के साथ-साथ अगस्त 2015 से राज्य में उचित मूल्य दुकानों का कम्प्यूटरीकरण एंड्रायड आधारित टेबलेट के माध्यम से किया जा रहा है. वर्तमान में 12,068 उचित मूल्य दुकान एंड्रायड आधारित टेबलेट के माध्यम से कम्प्यूटरीकृत है.
छत्तीसगढ़ की संवेदनशील रमन सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ आज लाखों गरीब उठा रहे हैं, बेहद ही मामूली दाम पर न केवल चांवल बल्कि नमक, चना, केरोसीन, गेहूं, शक्कर और पका पकाया भोजन भी उपलब्ध है. सतत मानीटरिंग, सकारात्मक सोच और सरकारी योजनाओं का उचित उपयोग हर गरीब को भोजन को सपने को साकार कर रही है छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार.