बढ़ती महंगाई की मार ने राज्य के गरीब तबके के परिवार वालों के सामने एक बड़ी परेशानी खड़ी कर दी थी. परेशानी इस बात को लेकर थी कि उनके घरों की बेटियों के हाथ पीले कैसे होंगे. बेटियां आखिर कैसे डोली चढ़कर अपने ससुराल विदा होगी. माथे पर सिकन थी और चेहरे पर चिंता की लकीरें. रमन सरकार ने गरीबों के इस दर्द को ना केवल समझा बल्कि बीड़ा उठाया प्रदेश भर के गरीब परिवार की बेटियों के कन्यादान करने का. मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के ऐलान का असर हुआ और  2005 से राज्य में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की शुरूआत हुई. राज्य सरकार की योजना मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत हो रहे सामूहिक विवाह समारोह कई मायनों में काफी उपयोगी साबित हुआ हैं. इससे समाज में दहेज व बाल -विवाह जैसी सामाजिक बुराईयों एवं समस्याओं का भी काफी हद तक मिटाया जा सका है. 

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इस योजना की  विशेषता यह भी है कि इसके तहत आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में एक ही स्थान पर विभिन्न धर्म व समुदाय के परिवार, जात-पात धर्म व पंथ की संकीर्ण भावनाओं से ऊपर उठकर, अपने-अपने रीति रिवाजों के अनुसार उत्साह व उल्लासजनक वातावरण में बेटियों की शादी करवाते हैं. यह सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा उदाहरण है. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह समारोह संपूर्ण भारत की सांस्कृतिक-सामाजिक व धार्मिक एकता व समरसता की तस्वीर पेश करती है. जहां एक ही मंडप में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह सम्पन्न होते हैं, वही मुस्लिम व इसाई जोड़ो की शादी में उनके रीति रिवाज व रस्मों के अनुसार सम्पन्न कराये जाते हैं. हजारों की तादात में वर पूरे बैंड-बाजे के साथ बारात निकालकर मंडप तक पहुंचते हैं और उनके स्वागत के लिए मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक बतौर घराती बारात का स्वागत करते हैं. अलग-अलग धर्मों के मुताबिक विधि-विधान से शादी की रस्म अदायगी की जाती हैं. मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह कहते हैं कि-

कन्यादन करना सबसे बड़ा पुण्य का काम होता हैं और अपनी एक बेटी की नहीं, बल्कि राज्य की हजारों बेटियों के पिता के रूप में कन्यादान कर सौभाग्य महसूस करता हूं.

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साल 2005 में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में शुरू की गयी ”मुख्यमंत्री  कन्या विवाह योजना” सरकार की सबसे लोकप्रिय, महत्वाकांक्षी और मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी साबित हो रही हैं. इस योजना ने गरीबी व आर्थिक समस्या से जूझ रहे परिवारों को राहत दे रही है. य़ह योजना ना केवल विवाह कराने के लिए आर्थिक मदद उपलब्ध कराती है, बल्कि हर समाज के लोगों को उत्साह और सम्मान के साथ जीवन जीने का संदेश दे रही है. यह दो परिवारों को जोड़ने का काम कर रही है. वहीं बेटियों को अर्थाभाव के कारण किसी का बोझ बनने की कुविचारों से छुटकारा दिलाती है. इसने हर गरीब की बेटी में हाथ पीले होने का भरोसा जगाया है.

अब नहीं बिकते खेत और मकान

छत्तीसगढ़ में अब बेटियों की शादी की चिंता करने वाला पिता खेत और मकान बेचने को मजबूर नहीं है. राज्य में अब न तो खेत बिकते हैं और न ही मकान न ही घर के गहने गिरवी रखने की नौबत आती है. गरीब परिवारों में बेटी होने पर अब कोई शिकवा-शिकायत भी नहीं करता. दरअसल मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का यह सकारात्मक नतीजा ही है. बलौदाबाजार जिले के किसान रामअवतार साहू बताते हैं कि उनके पांस कुल पांच एकड़ जमीन ही थी, जो उनके परिवार के गुजारे के काम आती थी. इस जमीन पर खेती करके उनके परिवार का भरण पोषण होता था, लेकिन जब घर में दो-दो बेटियों ने जन्म लिया, तो माथे पर चिंता की लकीरे उभर आई थी कि बड़ी होने पर उनका ब्याह कैसे रचाया जाएगा. भला हो रमन सरकार का जिसने हमारी बेटियों के शादी की चिंता की. रामअवतार बताते हैं कि उनकी दोनों बेटियों की शादी उन्होंने कन्या विवाह योजना के तहत ही की है. दोनों अपने-अपने परिवार में खुशहाली की जिंदगी बिता रही हैं.

महासमुंद की रहने वाली सुनीता की कहानी भी आम कहानियों की तरह है. बेटी होने का दंश किसे कहते हैं, उसने यह बचपन से झेला. रिश्तेदारों के तानों के बीच बड़ी हुई. लेकिन मां-बाप का साथ मिला. पढ़ लिखकर जब बढ़ी हुई तो शादी के लिए मां-बाप को चिंतित देखती, लेकिन कुछ कह नहीं पाती. साल 2006 में कन्या विवाह योजना के तहत उसकी शादी हुई. मां-बाप की चिंता खत्म हुई. सुनीता कहती है कि आज उसके दो बच्चे हैं. वह सरकार की इस योजना की तारीफ करती हुई कहती है कि हजारों लड़कियों की जिंदगी में इस योजना ने सुनहरे रंग भरे हैं.

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योजना के तहत अब तक 71 हजार से ज्यादा शादियां संपन्न

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की शुरूआत में एक कन्या के विवाह के लिए पांच हजार रूपए व्यय करने का प्रावधान था, वर्ष 2012-13 में इस सहायता राशि को बढ़ाकर प्रति कन्या 15 हजार रूपए व्यय का प्रावधान कर दिया गया है. योजना के प्रारंभ में केवल गरीबी रेखा के अंतर्गत शामिल परिवार को ही सहायता की पात्रता थी, जबकि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के अनुरूप इस मापदण्ड को शिथिल करते हुए वर्ष 2012-13 में मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के अंतर्गत कार्डधारी परिवार की बेटियों को भी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के लिए पात्र माना गया है. 2005-06 में प्रारंभ हुई इस योजना से राज्य के करीब 71 हजार बेटियां लाभान्वित हो चुकी हैं. इस योजना के तहत वर्ष 2005-06 में चार हजार 535 बेटियां, वर्ष 2006-07 में चार हजार 595, वर्ष 2007-08 में पांच हजार 430,  वर्ष 2008-09 में चार हजार 468,  वर्ष 2009-10 में चार हजार 619, वर्ष 2010-11 में चार हजार 410, वर्ष 2011-12 में आठ हजार 617 और वर्ष 2012-13 माह में एक हजार 856 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया…..वर्ष 2014-2015 में 6 हजार 197, वर्ष 2015-2016 में 12 हजार 996 बेटियों की शादी करवाई गई. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत समाज में व्याप्त दहेज रूपी दानव को समाप्त करने का अभिनव प्रयास सफल हो रहा है. राज्य के अनेक जाति, समुदाय तथा धर्म के लोग एक स्थान पर एक ही मंच पर अपने-अपने धार्मिक रीति-रिवाजों से सामूहिक विवाह का आयोजन गरीब मॉ -बाप के आंसू पोछने से कम नहीं है.

सूखे के दौरान बढ़ाई थी राशि

राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना अंतर्गत विवाह कराया जाता है. प्रति विवाह 15 हजार रुपए आर्थिक सहायता के रूप में प्रदान किया जाता था. इससे विवाह में होने वाले खर्च के अलावा नवविवाहिता को उपहार प्रदान किया जाता है. इसके अलावा कुछ राशि नगद दी जाती थी. 2015 में सूखे की मार के बाद रमन सरकार ने प्रदेश के किसानों की दशा को समझते हुए बड़ा निर्णय लिया था. सूखे की वजह से किसी भी कन्या के विवाह में बाधा न पहुंचे और किसी भी किसान परिवार को इसकी चिंता न करनी पड़ी. लिहाजा रमन सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के संबंध में संशोधित आदेश जारी किया था. इसके मुताबिक सूखा प्रभावित किसानों को उनकी बेटियों के विवाह के लिए प्रति विवाह 15 हजार की जगह 30 हजार रुपए प्रदान किए गए. आदेश के मुताबिक राशि सूखा प्रभावित किसान के खाते में जमा किया गया. हालांकि यह योजना 1 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2016 तक के लिए प्रभावशील थी. मुख्य मंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत निर्धन जोड़ों का विवाह महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से समारोह का आयोजन कर कराया जाता है, जिसमें वर-वधू के लिए विवाह सामग्री, समारोह में शामिल होने वाले संबंधित पक्ष के मेहमानों के लिए भोजन तथा वर -वधू को दिए जाने वाली उपहार सामग्री की व्यवस्था उक्त राशि से की जाती है. सूबे में सरकार द्वारा 71 हजार से ज्यादा कन्याओं का विवाह कराया जा चुका है. कन्याओं के विवाह के लिए 73 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई. जिस दौरान वर्ष 2016 में राज्य में सूखा पड़ा था उस दौरान सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों की 12 हजार 996 कन्याओं का विवाह कराया. जिसमें 30 हजार रुपए के खर्च के हिसाब से तकरीबन 39 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई थी. जो कि सूखे के दौरान किसान के आंखों के आंसू पोछना जैसा था.

कन्या विवाह सुख देता है. बेटियों के जीवन को संवारने का सुख. बेहतर भविष्य गढ़ने का सुख. राज्य के संवेदनशील मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना भी एक ऐसी ही योजना है. शायद यही वजह है कि सूबे के मुखिया भी बरबस ये कह जाते हैं कि उनकी पसंदीदा योजनाओं में से कोई योजना है तो वह है मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना.

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