खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब, पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब. जी हां एक दौर था जब पढ़ें-लिखें लोगों को ही जीवन में सफलताएं मिलती थी. उस दौर के मुताबिक ये कहावत सही भी थी. गुलामी की जंजीरों को तोड़कर देश आजाद हुआ था. देश को विकास के पथ पर ले जाने का जिम्मा पढ़ें-लिखें लोगों के ही कांधों पर था. लिहाजा खेल को पढ़ाई से कमतर आंका गया. लेकिन वक्त गुजरने के साथ ही खेल-कूद का भी दौर शुरु हुआ. देश के युवा खेल कूद के माध्यम से अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन कर रहे हैं. मध्यप्रदेश से विभाजित होकर छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना. राज्य बनने से पहले छत्तीसगढ़ से निकले कुछ खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक प्रदेश का नाम रौशन कर चुके थे. लेकिन फिर भी छत्तीसगढ़ को खेलगढ़ के रूप में विकसित करने की एक बड़ी चुनौती थी. चुनौती यहां अच्छे मैदान और खेल सुविधाओं के विस्तार को लेकर थी. चुनौती खिलाड़ियों की तरक्की की थी. लेकिन इस चुनौती को अवसर में बदलने काम तब हुआ जब 2003 में रमन सरकार सत्ता में आई. सत्ता में आई रमन सरकार ने नई खेल नीति बनाई. सरकार द्वारा हर स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया. जिसका ही नतीजा था कि अब छत्तीसगढ़ इस क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए खेलगढ़ के नाम से भी पहचाना जाने लगा है. रमन सरकार ने खेलों के विकास को लेकर जैसा कहा, वैसा किया.
ये छत्तीसगढ़ है….ये खेलगढ़ है. बीते 18 सालों में छत्तीसगढ़ की तस्वीर भी बदली और तकदीर भी. रमन सरकार ने खेल के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का वादा किया था. रमन सरकार ने जैसा कहा था वैसा ही किया. अपने संकल्प को पूरा करने के लिए सरकार ने नया रायपुर के परसदा में शहीद वीर नारायण सिंह अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, पंडित रवि शंकर शुक्ल विश्व विद्यालय परिसर स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम, अन्तर्राष्ट्रीय स्वीमिंग पूल और राजनांदगांव में अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम का निर्माण कराया. इसके साथ ही रमन सरकार द्वारा बिलासपुर में राज्य खेल प्रशिक्षण केन्द्र का भी निर्माण कराया जा रहा है. सरकार के द्वारा न सिर्फ खेल अधोसंरचना का विस्तार किया जा रहा है बल्कि खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा कई खेल सम्मानों से नवाजा भी जा रहा है. जिसमें सम्मान प्राप्त खिलाड़ियों को प्रतीक चिन्हों के साथ एक बड़ी राशि सम्मान स्वरूप भी दी जा रही है. इसके साथ ही खिलाड़ियों को सरकार शासकीय नौकरियां भी दी जा रही है. जिसका नतीजा है कि आज प्रदेश हर खेलों में आगे है. इसके साथ ही भारतीय खेल प्राधिकरण के दो सेंटर रायपुर और राजनांदगांव में भी खोले गए. इसके साथ बिलासपुर के शिवतराई में अंतर्राष्ट्रीय तीरांदाजी प्रशिक्षण केन्द्र भी खोला गया. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कहते हैं कि छत्तीसगढ़ एशियन गेम्स की तैयारी में लगा है. इसके साथ छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेल की मेजबानी करना है. खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने काम किया जा रहा है. हमारा टारगेट ओलंपिक है. जहां पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए सरकार की ओर से 2 करोड़ तक की राशि की घोषणा की गई है.
एक नजर रमन सरकार की ओर से खेलों के विकास और खिलाड़ियों को दी जा रही सौगातों पर-
- राज्य शासन द्वारा वर्ष 2004-05 में राज्य खेल अलंकरण पुरस्कार शुरु किया गया.
- 2017-18 में सैकड़ों खिलाड़ियों को 95 लाख का पुरस्कार दिया गया. राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को खेल अलंकरण से सम्माति किया गया.
- 2016-17 में 75 खिलाड़ियों को 53 लाख रुपए की राशि प्रदान की गई और राज्य खेल पुरस्कारों से अलंकृत किया गया.
- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2005-06 में खेल प्रोत्साहन नियम बनाए गए. इन नियमों में राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों को नगद राशि पुरस्कार, खेल संघों को प्रेरणा निधि, खिलाड़ियों को ट्रेकसूट प्रदान किया गया. खिलाड़ियों का जोखिम बीमा, अति उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को आजीवन सम्मान निधि, शारीरिक शिक्षा में साहित्य सृजन एवं शोध कार्य के लिए प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है. वर्ष 2016-17 में 20 खेलों के 296 खिलाड़ियों को 36 लाख 52 हजार की राशि मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के हाथों खेल अलंकरण समारोह में प्रदान की गई.
- राज्य सरकार ने वर्ष 2016-17 में खेल के साथ-साथ युवा गतिविधि को भी आगे बढ़ाने के लिए युवा शक्ति योजना को स्वीकृति दी है. इस योजना के तहत युवाओं के लिए रचनात्मक, ज्ञानवर्धक, साहसिक, मनोरंजनात्मक, कला-कौशल के परर्शन, व्यावसायिक मार्गदर्शन से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
- वर्ष 2014-15 में राज्य सरकार ने रायपुर में हॉकी एवं तीरंदाजी की खेल अकादमी प्रारंभ करने की स्वीकृति दी गई. इस अकादमी में स्थानीय खिलाड़ियों का खेल प्रशिक्षण शुरु किया गया है.
- राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र खेल अभ्यास योजना प्रारंभ की है. इस योजना के तहत राज्य के सभी विकासखंडों में तीन ग्रामीण क्रीड़ा केन्द्र विद्यालयों में बनाए गए हैं.
- वर्ष 2017-18 में राज्य शासन ने नई खेल नीति जारी की है. इस खेल नीति में सभी वर्ग के नागरिकों के लिए खेल एवं स्वस्थ जीवन से संबंधित विभिन्न नीतिगत प्रावधानों का उल्लेख किया गया है.
- अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम नया रायपुर का लोकार्पण 11 सितंबर 2008 को किया गया. स्टेडियम का नामकरण शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम परसदा नया रायपुर किया गया. यह क्रिकेट स्टेडियम देश का दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट मैदान है.
- अंतर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम राजनांदगांव का लोकार्पण 20 जनवरी 2014 को किया गया. स्टेडियम में पॉलीग्रास सिंथेटिक सतह बिछाई गयी है. जिसे अंतर्राष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन द्वारा विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए प्रमाणित किया गया है.
- बिलासपुर में राज्य प्रशिक्षण खेल केन्द्र का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए 111.84 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है. इस प्रशिक्षण केन्द्र में आउटडोर स्टेडियम एवं इंडोर स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है. इसमें एथलेटिक्स ट्रेक, सिंथेटिक सतह का हॉकी मैदान एवं इंडोर गेम्स के लिए इंडोर स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है. बिलासपुर में खेल प्रशिक्षण केन्द्र शुरु करने के लिए बजट एवं पदों की स्वीकृति भी दे दी गई है.
- अंतर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम रायपुर का लोकार्पण 29 अगस्त 2014 को किया गया. इस स्टेडियम में ब्लू सिंथेटिक सतह बिछाई गई है.
- सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम रायपुर में 27 नवंबर से 6 दिसंबर 2015 के मध्य हॉकी वर्ल्ड लीग फायनल राउंड के मैचों के आयोजन की मेजबानी प्राप्त हुई. इस आयोजन में इंडिया, अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन और नीदरलैण्ड के दल ने भाग लिया. वर्ष 2016 में 12 से 16 जनवरी के मध्य 30 वां राष्ट्रीय युवा उत्सव का आयोजन किया गया.
- छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मैराथन दौड़ का आयोजन 19 फरवरी 2017 को कराया गया. जिसमें केन्या, इथोपिया एवं यूके के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के धावकों ने हिस्सा लिया. हाफ मैराथन में लगभग 15 हजार धावकों ने भाग लिया था. इस आयोजन में मिल्खा सिंह तथा कुमारी गीता फोगट जैसे विस्वस्तरीय खिलाड़ियों को आमंत्रित किया गया था. इस आयोजन में तीस लाख रुपए के पुरस्कार वितरित किया गया.
वहीं इस साल प्रदेशभर के खिलाड़ियों को 95 लाख रुपए की पुरस्कार राशि बांटी गयी. मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह इस मौके पर नेशनल में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को 38 लाख रुपए और खेल अलंकरण के लिए चुने गए खिलाड़ियों को 47 लाख रुपए की पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया. पुरस्कार वितरण समारोह में शहीद राजीव पांडेय पुरस्कार, शहीद कौशल यादव पुरस्कार, वीर हनुमान सिंह पुरस्कार, शहीद पंकज विक्रम सम्मान, शहीद विनोद चौबे सम्मान और मुख्यमंत्री ट्रॉफी पुरस्कार दिए गए. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह मौके पर खिलाड़ियों को मिलने वाले डाइट की राशि में ढाई सौ रुपये तक की बढ़ोहतरी का ऐलान भी किया. छत्तीसगढ़ में खेलों के विकास के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों को लेकर खिलाड़ियों में जबरदस्त उत्साह भी देखने को मिलता है. राज्य के खिलाड़ी संस्कार दीवान, भूपत साहू, किशोर मिश्रा, सुकन्या, श्रेया विष्णु और वीरू बाघ कहते हैं कि रमन सिंह खुद क्रिकेट के बेहतर खिलाड़ी रहे हैं. लिहाजा वह खिलाड़ियों की भावनाओं से बखूबी वाकिफ है. शायद यहीं वजह है कि उनके व्यक्तिगत प्रयासों का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ मे खेल और खिलाड़ियों के विकास की दिशा में सरकार की कोशिश कामयाब हो रही है.
छत्तीसगढ़ में खेलों के विकास के हर स्तर प्रयास किया गया है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ को 37वें राष्ट्रीय खेल स्पर्धा की मेजबानी मिली है. लिहाजा सरकार ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है. खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक धर्मेश साहू कहते हैं कि सरकार की ओर से किए गए प्रयासों को बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. हम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडल हासिल करने में सक्षम है.
इसमें किसी तरह का कोई संशय नहीं कि बीते कुछ ही सालों में छत्तीसगढ़ में खेल को लेकर जबरदस्त प्रगति हुई है. आज कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में छत्तीसगढ़ में आयोजित हो रही है. खिलाड़ियों के पास आज मैदान के साथ भरपूर अवसर है. प्रदेश के खिलाड़ी अब देश और विदेश में नाम रौशन के लिए तैयार हैं. वैसे छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के खिलाड़ियों नगद राशि देकर सम्माति ही करती बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश को गौरवांवित करने वाले खिलाड़ियों को नौकरियां भी देती है. आगे ऐसे कुछ खिलाड़ियों से मिलवाएंगे और बताएंगे कि वे छत्तीसगढ़ को खेलगढ़ बनाने में किस तरह से प्रयासरत् हैं.
उत्कृष्ठ खिलाड़ियों पर बरसी नौकरी
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार खेल के विकास पर पूरा जोर लगा रही है. खेलों के जरिए प्रदेश के भविष्य को संवारने सरकार हर संभव मदद कर रही है. सरकार खिलाड़ियों को सम्मानित, पुरस्कृत और प्रोत्साहित तो कर रही है राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर में प्रदेश का नाम रौशन करने वाले खिलाड़ियों को नौकरी भी दे रही है. बीते 15 सालों में सरकार ने 60 खिलाड़ियों को नौकरी दी गई है. बढ़ई पारा रायपुर निवासी हर्षा साहू कराते की अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. बीते 10 साल से हर्षा छत्तीसगढ़ के लिए कराते में अंतर्राष्ट्रीय स्तर प्रतिनिधित्व कर रही हैं. कराते में हर्षा साहू ब्लैक बेल्ट हैं. हर्षा ने अपने कैरियर के तौर पर कराते को ही अपनाया और बचपन से ही वह इसी के साथ आगे बढ़ती रही. हर्षा ने तमाम चुनौतियों के बीच खुद को साबित किया. राज्य सरकार ने हर्षा की मेहनत को मुकाम दिया. रमन सरकार ने हर्षा साहू को शहीद राजीव पाण्डेय खेल अलंकरण से सम्माति तो किया ही हर्षा को सरकारी नौकरी भी दी. हर्षा साहू कराते को लेकर जन-जागृति भी फैलाने का कर रही है. हर्षा साहू आत्म रक्षा के लिए लड़कियों को कराते की प्रशिक्षण भी देती हैं. कुछ माह पूर्व ही उन्होंने रेल में गर्जना नाम से एक अभियान की शुरुआत की थी. इसके जरिए उन्होंने रेल के भीतर लड़कियों को कराते की ट्रेनिंग दी थी. हर्षा के इन प्रयासों को राज्य के साथ केन्द्रीय स्तर पर खूब सराहना भी. वहीं इस कैंपेन के लिए हर्षा का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज हुआ है. हर्षा साहू रमन सरकार के काम-काज की तारीफ करते हुए कहती है कि बीते 15 साल में खेल के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है. सरकार की ओर से खिलाड़ियों को जिस तरीके से प्रोत्साहित किया जा रहा उससे अब बड़ी संख्या में प्रदेश के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हो रहे हैं. दीपेश सिन्हा को भी हर्षा की तरह राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी दी है. दीपेश रायपुर के प्रोफेसर कॉलोनी का रहने वाला है. दीपेश कई सालों से बॉलीबाल में छत्तीसगढ़ का प्रतनिधित्व कर रहे हैं. इस समय वे भारतीय बॉलीबाल टीम के प्रमुख सदस्य हैं. दीपेश रमन सरकार के काम-काज की तारीफ करते हुए कहते हैं सरकार ने खेल और खिलाड़ियों को लेकर जो नीति बनाई है आज उसका सीधा फायदा हो रहा है. दीपेश बताते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने के बाद पुलिस विभाग में उन्हें प्रधान आरक्षक के तौर पर सीधी नौकरी मिली है. वे छत्तीसगढ़ के लिए गोल्ड मेडल लाने का ख्वाब रखते हैं और इसे वे जरूर पूरा करेंगे.
- छत्तीसगढ़ में अब तक 60 खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी.
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को मिलती है नौकरी.
- सरकार विभिन्न विभागों में सीधी भर्ती से मिलती है नौकरी.
- रमन सरकार ने खिलाड़ियों को नौकरी देने का किया है सीधा प्रावधान.
- केन्द्रीय स्तर की सेवाओं में प्रदेश के खिलाड़ियों को मिली है नौकरीय
- दर्जनों खिलाड़ी रेल्वे में हैं पदस्थ.
- राज्य सरकार के पुलिस विभाग में बड़ी संख्या में खिलाड़ियों को मिली है नौकरी.
खिलाड़ियों का भत्ता बढ़ा
हाल ही में हुए राज्य खेल अलंकरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने खिलाड़ियों की चिंता करते हुए उन्हें दिए जाने वाले भत्ते में इजाफा किया. रमन ने ऐलान किया कि खिलाड़ियों को अब सौ रूपए की बजाए साढ़े तीन सौ रूपए का भत्ता दिया जाएगा. इस ऐलान से खिलाड़ियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं. जब तक पूरी डाइट और आने-जाने का खर्च नहीं मिलेगा तब तक अच्छे खिलाड़ी कैसे तैयार होंगे. उन्होंने घोषणा की कि अगर कोई खिलाड़ी ओलंपिक में प्रदेश-भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतता है तो राज्य सरकार दो करोड़ रुपये देगी. सिल्वर पदक जीतने पर डेढ़ करोड़ और कांस्य पदक पाने वाले को एक करोड़ रुपये दिये जाएंगे. इस मौके पर जिन शहीदों के नाम पर अवार्ड दिए गए उनके परिवार के लोगों को भी सम्मानित किया गया.
वास्तव में रमन सरकार ने जो प्रयास किया उसी का परिणाम है कि सरकार की नीतियों का सीधा लाभ आज प्रदेश के खिलाड़ियों को मिल रहा है. उम्मीद है सरकारी प्रोत्साहन से भविष्य छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी भी ओलंपिक में पदक जीतकर मुख्यमंत्री और प्रदेश की उम्मीदों को पूरा करेंगे.