हो सकता था कि इन बच्चों के हाथों में भी हथियार होते और ये भी उस जमात का हिस्सा होते जो लाल आतंक का पर्याय बन चुके हैं, लेकिन इन बच्चों ने अपनी मेहनत से नक्सलवाद को मुंह तोड़ जवाब देते हुए मिसाल कायम की है. नक्सलियों ने भले ही इन बच्चों के स्कूलों को विस्फोट से उड़ा डाला हो, लेकिन इनके पढ़ने के जज्बों पर बड़े धमाके भी कोई असर नहीं छोड़ पाए. नक्सल दंश का शिकार रहे आदिवासी बच्चे अब इंजीनियर-डाॅक्टर बनकर उन्हीं इलाकों में जाकर विकास के काम करना चाहते हैं, जहां नक्सलियों ने आतंक फैला रखा है. शिक्षा की बुनियाद के बूते अब नक्सलवाद को मुंह चिढ़ाते आदिवासी इलाकों के ये बच्चे देश के बड़े शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन हालात हमेशा से यूं ही नहीं थे. दशकों तक बीहड़ों के नौनिहाल बदलाव की एक अदद चिंगारी ढूंढते रहे. उनके इस दर्द को महसूस किया मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने. रमन ने अपने एक ‘प्रयास’ से इन बच्चों के अरमानों को पंख दिए. उनका यह ‘प्रयास’ ही था, जो आने वाली पीढ़ियों का निर्माण कर रहा है.
नक्सलियों ने जब इन बच्चों के स्कूलों को विस्फोट से उड़ा डाला, तो मुमकिन था कि भवन के साथ इनके पढ़ने के अरमान भी धूल में मिल जाते, लेकिन रमन सरकार के मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत शुरू किए गए प्रयास विद्यालय ने इन बच्चों के अरमानों को पंख दिए. आज जब ये बच्चे इंजीनियर-डाॅक्टर बनने की दिशा में आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं, तो इन बच्चों के परिजन भी बेहद उत्साहित हैं. इन बच्चों की सफलता में उन शिक्षकों का भी विशेष योगदान रहा, जिन्होंने आदिवासी बच्चों को कठिन और चुनौतीपूर्ण प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराकर सफलता दिलाने में मदद की है. राज्य सरकार ने इन बच्चों की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण संस्थान से अनुबंध किया और प्रशिक्षण के बाद नक्सलवाद की गहरी चोट खाकर निकले बच्चे भी तमाम सुविधाओं के बीच रहने वाले शहरी बच्चों से अब किसी मायने में कम नहीं हैं. प्रयास विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे आज जब आईआईटी, ट्रीपलआईटी, एनआईटी जैसी परीक्षाओं में सफलता अर्जित कर रहे हैं, तब ये सरकार के लिए भी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. दरअसल नक्लवाद की वजह से अपना सब कुछ खो चुके इन बच्चों का प्रयास विद्यालय के जरिए मिल रही सफलता महज एकेडमिक नतीजा नहीं है, बल्कि ये नतीजा उस लक्ष्य को भेदने की दिशा में आगे बढ़ रहे कदमों का है, जिनकी मंजिल नक्सलवाद के किले को विकास के साथ ध्वस्त करने की है. रमन सरकार की एक कोशिश ने नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों को बुनियादी शिक्षा तो दी ही, साथ ही नक्सलवाद को मुंह तोड़ जवाब दिया हैं. सरकार ने भी बुनियादी शिक्षा को नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ा हथियार मान लिया हैं. आज ये बच्चे वनांचलों के गांवों की मिट्टी से बाहर निकलर शहरों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. प्रयास विद्यालय से निकलकर इन बच्चों में कई बच्चे ऐसे हैं, जो गुवाहाटी से लेकर खड़गपुर, रुड़की से लेकर कोलकाता तक के आईआईटी में कामयाबी की बुलंदी छू रहे हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसे नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों की सुध ली और इन्हें उच्च शिक्षित करने बनाई मुख्यमंत्री बाल भविष्य योजना जिसके तहत राजधानी रायपुर में खोला प्रयास आवासीय विद्यालय. प्रयास आवासीय विद्यालय की शुरुआत 2010 में हुई और इस विद्यालय में प्रदेश भर के 14 नक्सल प्रभावित जिलों के बच्चों को प्रवेश मिला. उन बच्चों का चयन किया गया जिन्होंने 10वीं की परीक्षा मेरिट में पास की. मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह कहते हैं कि-
हम राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के बच्चों को रायपुर, दुर्ग और भिलाई जैसे बड़े शहरों के स्तर की कोचिंग दिलाना चाहते थे, ताकि पढ़ाई के मामले में क्षेत्रीय असंतुलन की स्थिति न बनें. इन बच्चों की सफलता में मेरी भी सफलता छिपी हुई है. चुनौतियों लड़कर आगे बढ़ रहे इन बच्चों की सफलता मेरी भी सफलता है. ये सिर्फ बच्चों की ही परीक्षा नहीं थी. यह मेरी भी परीक्षा थी और बस्तर के सुदूर इलाकों के बच्चों को इंजीनियर-डाॅक्टर बनते देख मुझे लगता है कि मैं परीक्षा में पास हो गया हूं.
देश में बना अनूठा माॅडल
मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह की पहल पर साल 2010 में मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना की शुरूआत की गई थी. शुरूआत में राजधानी के गुढ़ियारी इलाके में नक्सल प्रभावित इलाकों के करीब तीन सौ छात्रों का चयन किया गया था. प्रयास आवासीय विद्यालय में रहकर बच्चों ने 11 वीं और 12 वीं की पढ़ाई की. विद्यालय में बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कराई गई. राष्ट्रीय स्तर की ख्यात कोचिंग से अनुबंध कर बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई गई. प्रयास विद्यालय में अत्याधुनिक कम्प्यूटर लैब के साथ ही फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी की सुसज्जित प्रयोगशालाएं शुरू की गई. लाइब्रेरी बनाई गई. बीते सात वर्षों में प्रयास विद्यालय हजारों होनहार बच्चों को तराशा है. नियमित और निःशुल्क पढ़ाई के साथ ही कोचिंग सुविधा मिल जाने से अब तक 700 से भी अधिक बच्चों ने देश के सबसे प्रतिष्ठतम उच्च शिक्षा संस्थानों IIT, NIT इंजीनियरिंग कॉलेजों और मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर मुकाम हासिल कर रहे हैं. अभी तक इन स्कूलों में 11वीं से प्रवेश मिलता था, लेकिन तब तक बच्चे काफी पिछड़ जाते थे, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब 9वीं कक्षा से ही प्रयास स्कूलों में बच्चों को प्रवेश देने का निर्णय किया है.
राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के 5 संभागीय मुख्यालयों-दुर्ग, बिलासपुर, अम्बिकापुर और जगदलपुर और कांकेर में प्रयास आवासीय विद्यालयों का संचालन आदिम जाति विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है. रायपुर में बालक और बालिकाओं दोनों के लिए दो अलग-अलग प्रयास आवासीय विद्यालय सड्डू और गुढ़ियारी में संचालित किए जा रहे हैं. इन सभी प्रयास विद्यालयों में अब तक बड़ी संख्या में पी.एम.टी., पी.ई.टी, जे.ई.ई. आदि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल की है. इन आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो प्रयास के शुरु होने से लेकर अब तक आईआईटी में 23 विद्यार्थी, एनआईटी में 117, मेडिकल कॉलेज में 27 और विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में 528 विद्यार्थियों को प्रवेश मिल चुका है.
प्रदेश में इस वक्त प्रयास विद्यालयों में कुल 3620 सीट स्वीकृत है. 2017-18 से प्रयास रायपुर में 30 सीटर कॉमर्स(सीए-सीएस) की कोचिंग प्रारंभ किया गया. साइंस, मैथ्स, आर्ट्स के अलावा अब इन विद्यार्थियों को लॉ की कोचिंग देना शुरु कर दिया गया है. जिससे विद्यार्थियों को विधि के बड़े कॉलेजों में प्रवेश मिल सके. 2017-18 से प्रयास आवासीय विद्यालय बिलासपुर में बालिकाओं के लिए 30 सीटर विधि (क्लैट) की कोचिंग प्रारंभ किया गया. इतना ही नहीं राज्य सरकार द्वारा आईआईटी में चयनित विद्यार्थियों की पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत न आए इसलिए उन्हें पढ़ाई के लिए 2017-18 से आईआईटी में प्रवेशित विद्यार्थियों को 40 हजार रुपए प्रतिवर्ष आगे की पढ़ाई के लिए दिये जाने की शुरुआत की गई है. वहीं अब सरकार ने छात्रवृत्ति 1000 से बढ़ाकर 1500 रुपए कर दिया गया है.
डॉक्टर बन वनांचल में स्वास्थ्य सेवाएं देंगी
नक्सल इलाकों की बच्चियों से मिलकर आप भी उन के हौसलों को जान जाएंगे. जिन्हें पंख देकर कामयाबी की उड़ान भरने के लिए मुख्यमंत्री बाल भविष्य योजना ने प्रोत्साहित किया था. धुर नक्सल प्रभावित इलाका दंतेवाड़ा और कांकेर से निकलकर राजधानी के प्रयास संस्था में पढ़ने वाली छात्रों की सोच और उनकी बातें सुनने से पता चलता है कि वे अपने लक्ष्य को लेकर कितनी सकारात्मक है. अब उनके भीतर लाल आतंक का खौफ नहीं, बल्कि सरकार की हिम्मत दिखती है. कांकेर की रवीना और दंतेवाड़ा की कंचन कहती है कि वे एक बेहतरीन डॉक्टर बनकर वनांचल इलाके में स्वास्थ्य सेवा को सुगम बनाएंगी. आज वे अपने सपने का साकार करने पहुँची तो ये सिर्फ रमन सरकार की इस योजना का ही नतीजा है.
जब प्रधानमंत्री मोदी ने प्रयास के बच्चों को कहा- वेलडन
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए थे, तब उन्होंने भिलाई में प्रयास विद्यालय के आईआईटी में चयनित बच्चों से मुलाकात की थी. प्रयास विद्यालय की नेता तिर्की, किरण पतबंधी, प्रदीप कुमार नाग और अजय सोरी के आईआईटी में चुने जाने पर मोदी बेहद खुश हुए थे. प्रधानमंत्री ने इन बच्चों को शाबाशी दी. उन्होंने उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह अच्छी शुरूआत है. आगे भी इसी तरह मन लगाकर पढ़ाई करो. जशपुर की नेहा का चयन आईआईटी बीएचयू, बलरामपुर की किरण का चयन आईआईटी दिल्ली, बस्तर के प्रदीप का चयन आईआईटी मंडी और कोंडागांव के अजय का चयन आईआईटी रोपड़ के लिए हुआ है. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री को जब बताया कि प्रयास योजना के माध्यम से जनजातीय क्षेत्र के प्रतिभाशाली बच्चों को आईआईटी और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है. इसके माध्यम से हर साल बड़ी संख्या में बच्चे आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थानों में पहुँचते हैं. प्रधानमंत्री ने बच्चों को इस बड़ी सफलता पर वेलडन कहा.
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