किसी भी व्यक्ति के लिए ढलती उम्र सबसे बड़ी चिंता की वजह होती है. चिंता घर के छोटे-मोटे खर्चे की. जब हाथ-पांव ठीक से काम ना करे.. जब व्यक्ति शारीरिक श्रम कर पाने में असमर्थ हो. वृद्धावस्था की यह चिंता उम्र की उस दहलीज में पहुंचते-पहुंचते हर किसी को होने लगती है. आर्थिक असुरक्षा की भावना से ग्रस्त व्यक्ति उस दहलीज में पहुंचने से पहले ही खुद को असहाय और वृद्ध महसूस करने लगता है. ऐसी सभी चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने बुजुर्गों के लिए कई तरह की योजनाओं की शुरुआत की है. सरकार की बुजुर्ग, विधवा और निराश्रित पेंशन योजना ऐसी योजनाएं हैं जिसने बुजुर्ग के चेहरे से गायब मुस्कान को वापस लौटाने का काम किया है वहीं चिंता की माथे पर खिंची लकीर को मिटाने में अहम भूमिका निभाई है.
सिर पर उम्र के अनुभव की सफेदी… चेहरे पर झुर्रियां… आंखों में मोटे-मोटे चश्मे और चिंताओं के बोझ से झुकी हुई कमर… उसके बावजूद होठों पर हंसी.. ढलती उम्र में चिंताओं की लकीरों की बजाय, ऐसी खुशी और आत्म संतुष्टि सिर्फ छत्तीसगढ़ में रहने वाले बुजुर्गों के चेहरे पर देखी जा सकती है. लेकिन कुछ साल पहले ऐसा नहीं था… बुजुर्गों के चेहरे में संतुष्टि और खुशियों की बजाय तनाव की लकीरें नजर आती थी. दूसरों के ऊपर छोटी-छोटी सी जरुरतों के लिए निर्भर रहना पड़ता था.. ना सिर्फ बुजुर्गों को ये चिंताएं रहती थी बल्कि उस उम्र की दहलीज पर जिन्होंने अपना पांव नहीं रखा है वह भी चिंता से ग्रस्त हो जाते थे. सूबे में रमन सरकार के अस्तित्व में आने के बाद सरकार ने लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाना शुरु किया. कुछ योजनाएं पहले से चल रही थी उनमें व्यापक फेरबदल कर उसे ज्यादा लाभकारी बनाया. क्योंकि डॉ रमन जानते थे कि हर बच्चे को और युवा को एक ना एक दिन वृद्धावस्था में पहुंचना है. लिहाजा सरकार ने निराश्रित पेंशन, विधवा पेंशन, निशक्तजन पेंशन जैसी अनेकों कल्याणकारी योजनाओं को बनाई. और उसका लाभ प्रदेश के एक-एक बुजुर्ग तक पहुंचे इसकी भी सरकार ने समुचित व्यवस्था की.
वृद्धों और निशक्तजनों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं और योजनाओं से लाभान्वित लोगों से आपको रुबरु कराने से पहले जरा इन ग्राफिक्स पर नजर डाल लेते हैं.
सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन योजनाएं
- सामाजिक सहायता कार्यक्रम अन्तर्गत 5 पेंशन योजनाएं संचालित हैं.
- वर्ष 2003-04 में 4 लाख 88 हजार 425 हितग्राही लाभान्वित हो रहे थे.
- वर्ष 2017 में बढ़कर 16 लाख 7 हजार 344 हितग्राही हो गए.
- 2003-04 की तुलना में 11 लाख 18 हजार 897 हितग्राहियों की वृद्धि हुई.
- पेंशन वर्ष 2003-04 में हितग्राहियों को राशि रुपये 150 प्रतिमाह पेंशन दी जा रही थी. राज्य पेंशन योजनाओं में राशि रुपये 150 प्रतिमाह तथा केन्द्रीय पेंशन योजनाओं के राज्यांश में वृद्धावस्था पेंशन व विधवा पेंशन अन्तर्गत राशि रुपये 50 प्रतिमाह तथा निशक्तजन पेंशन में राशि रुपये 200 प्रतिमाह की वृद्धि की गई है.
- बौने व्यक्तियों को भी पेंशन योजना में सम्मिलित किया गया है. 134 बौने लाभान्वित हो रहे हैं.
ये वो आंकड़े हैं जो योजनाओं के द्वारा लाभान्वित हो रहे हैं. वहीं निशक्त जनों के लिए सरकार द्वारा जो भविष्य की कार्य योजना बनाई गई है वह इस प्रकार है.-
- निशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2018 अनुसार निशक्तता की परिभाषा को वृहद किया गया है. जिसके अनुरुप निशक्तजनों का सर्वेक्षण कराया जाएगा.
- निश्क्तजनों के लिए बीमा की व्यवस्था की जाएगी.
- निशक्तजनों के लिए कॉल सेन्टर की स्थापना की जाएगी.
- प्रत्येक जिले में कम से कम एक वृद्धाश्रम की स्थापना की जाएगी.
- राज्य के ऐसे शासकीय एवं सार्वजनिक भवन जहां निशक्तजनों का आवागमन अधिक होता है. ऐसे भवनों को निशक्तजनों के अनुकूल बाधारहित किया जाएगा.
- वरिष्ठ नागरिकों को वृद्धावस्था में होने वाली समस्या का निराकरण करने हेतु आवश्यकता अनुसार निश्कतजनों की भांति सहायक उपकरण की व्यवस्था की जाएगी.
वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले वृद्धजनों को आर्थिक सहायता प्रदान कर सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने के लिए सहयोग प्रदान करना. योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 60 से 79 वर्ष के बीच के बुजुर्गों के लिए 350 प्रतिमाह, जिसमें केन्द्रांश – रू .200, राज्यांश – रू .150 शामिल है. वहीं 80 वर्ष या उससे ज्यादा की उम्र के बुजुर्गों को 650 रुपये प्रतिमाह जिसमें केन्द्रांश – 500 रुपए, राज्यांश 150 रुपए शामिल है. इस योजना में बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग छूट रहे थे जिनका नाम गरीबी रेखा सूची में नहीं आ पाया था या छूट गया था. लिहाजा सरकार ने इसमें बड़ा बदलाव करते हुए गरीबी रेखा की अनिवार्यता को ही समाप्त कर दिया. जिसके बाद पेंशन की राशि सभी बुजुर्गों को मिलने लगी. वर्तमान में इस योजना के तहत लगभग 90 हजार लोगों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है. वहीं पेंशन वितरण में मिल रही शिकायतों को देखते हुए इसमें बड़ा बदलाव किया गया है. पेंशनधारियों की पेंशन राशि को सीधे उनके खाते में जमा किया जा रहा है. इसके लिए समाज कल्याण विभाग ने पेंशनधारियों का खाता भी खुलवाया है. जिसके बाद बुजुर्गों को अब सरकारी दफ्तरों में पेंशन के लिए भटकना नहीं पड़ता है. इसके पहले बुजुर्गों को अक्सर अपनी पेंशन राशि के लिए कई कई किलोमीटर का सफर करते हुए हर महीना सरकारी कार्यालय आना पड़ता था. वहीं हर माह पेंशन मिलने की वजह से उन्हें अब अपनी छोटी-छोटी जरुरतों के लिए किसी के ऊपर आश्रित भी नहीं रहना पड़ता है.
सरकार ने ना सिर्फ बुजुर्गों के कल्याण व सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत जीवन यापन करने के लिए पैसे दे रही है बल्कि राज्य में हजारों दिव्यांग भी रहते हैं. इनमें से कई दिव्यांग ऐसे हैं जो अपनी शारीरिक अक्षमता की वजह से कोई भी काम करने में सक्षम नहीं हैं. सरकार द्वारा निशक्त व्यक्तियों और बौने व्यक्तियो को आर्थिक सहायता मुहैया कराने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई. योजना के तहत छत्तीसगढ़ के मूल निवासी जिनकी उम्र 6 से 17 वर्ष के बीच के बच्चों के साथ ही 18 वर्ष या उससे अधिक के सामान्य निश्क्त व्यक्तियों और बौने व्यक्तियों को राज्य सरकार की तरफ से 350 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है. रमन सरकार की इस योजना से बड़ी संख्या में दिव्यांगों को मदद मिल पा रही है. जिससे उन्हें अपनी जरुरतों के लिए किसी का मोहताज होना नहीं पड़ता है. वहीं सरकार के द्वारा निश्क्तजनों के स्वरोजगार के लिए भी उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. योजना का लाभ उठाकर दिव्यांग अपना खुद का व्यवसाय स्थापित कर रहे हैं. निश्चित तौर पर राज्य सरकार की ये योजनाएं बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए किसी बड़े उपहार से कम नहीं है. अब उन्हें अपनी छोटी-छोटी जरुरतों के लिए किसी के सामने हाथ फैलाना नहीं पड़ता है. कह सकते हैं रमन सरकार ने उनका आत्मसम्मान उन्हें लौटाया है.
सरकार ने ना सिर्फ बुजुर्गों और निशक्तजनों के कल्याण व सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए योजनाएं शुरु की बल्कि सरकार ने उन महिलाओं के आंखों का भी आंसू पोछने का काम किया है जिनके पति की मौत हो गई है. इसके साथ ही सरकार ने ऐसी महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की है जो कि परित्यक्ता हैं जिनका पति के साथ तलाक हो चुका हैं. सरकार की पेंशन योजना की वजह से आज हजारों महिलाएं सम्मान पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं. छत्तीसगढ़ में ऐसी महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है जिन्हें सरकार की इस योजना से लाभ मिल रहा है.
कई सपनों को संजोए कोई युवती शादी के बाद पति के साथ ससुराल जाती है. ससुराल में पति के साथ जीवन की गाड़ी चलती रहती है. सुख-दुख के कई पड़ाव जीवन में आते हैं लेकिन इन सबके बीच पति की मृत्यु चाहे वह वृद्धावस्था में हो या फिर असमय बीमारी या फिर कोई दुर्घटना से मौत हो जाती है. ऐसे में उस युवती उस महिला का सारा जीवन, उसकी पूरी दुनिया जैसे उजड़ ही जाती. सारे ख्वाब टूट जाते हैं. जीवन साथी के बिना पग-पग में मुश्किलें मुंह बाए खड़ी हो जाती है. कई अपने भी पराए से हो जाते हैं. सबसे ज्यादा दुखों का पहाड़ उन महिलाओं के ऊपर टूटता है जो कि काम-काजी नहीं होती हैं बल्कि घर में रहकर सारा घर संभालती हैं. ऐसे में छोटी-छोटी जरुरतों के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है. जिसमें कि कई बार ऐसे मौके भी आते हैं जब रिश्तेदार भी मदद करने से इंकार कर देते हैं. दुखों में डूबी ऐसी महिलाओं के कल्याण के लिए रमन सरकार ने विधवा पेंशन योजना की शुरुआत की. जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा ऐसी महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए उन्हें सम्मान पूर्वक जीवन जीने के लिए प्रतिमाह 350 रुपए पेंशन दे रही है. इस योजना के बाद अब महिलाओं को किसी के सामने छोटी-मोटी जरुरतों के लिए अपना हाथ फैलाना नहीं पड़ता है. अब वे स्वाभिमान और सम्मान के साथ जी रही हैं. वहीं इसके अलावा उन महिलाओं को भी सरकार के द्वारा पेंशन दिया जा रहा है जिनका पति के साथ किन्ही न किन्हीं वजहों से तलाक हो गया है. ऐसी परित्यक्ता महिलाओं को भी किसी के भी सामने झुकना ना पड़े लिहाजा सरकार ने उन्हें भी पेंशन योजना का लाभ दे रही है.
इसके साथ ही प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के सभी पेंशनधारियों को एक बड़ी सौगात दी है. दरअसल राज्य के सभी कर्मचारियों को अब पेंशन के लिए भटकना नहीं पड़ता. सरकार ने ऑलाइन पेंशन सिस्टम की शुरुआत कर दी है. वहीं कर्मचारियों के पेंशन संबंधी मामलों के निराकरण करने के लिए पृथक से व्यवस्था की है. सरकार की ओर से जुलाई में महीने में पेंशनधारियों के लिए एक सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया था. रमन सरकार की सही नीतियों की वजह है छत्तीसगढ़ के भीतर पेंशनधारियों की दिक्कतें दूर हो गई है.
छत्तीसगढ़ सरकार की सफल पेंशन नीति के चलते आज तमाम वर्गों के लिए चलाई पेंशन योजनाओं से जहां हर महीने उन्हें सरकारी राशि समय पर मिल रही है. वहीं सरकारी कर्मचारियों के लिए भी शुरू किए गए ऑनलाइन पेंशन से अब समय पर किसी को पेंशन का लाभ मिल रहा है.
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