जशपुर इलाके में एक जनजाति है. जो कि विशेष पिछड़ी जनजाति के तहत संरक्षित जनजाति भी है और जिसे राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है. इन जनजाति को कोरवा कहा जाता, पहाड़ी कोरवा. कोरवा पहाड़ पर ही बसते है इसलिए इन्हें पहाड़ी कोरवा कहते हैं। आज विकास के इस खास कड़ी में सरकार की ओर से जो प्रयास कोरवा जनजातियों के लिए किए जा रहे खबर उसकी है. खबर उन कोरवाओं की जो देश में स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा ही नहीं बल्कि प्रतीक बन रहे हैं. खबर उन कोरवाओं की जिनके तम-मन और जीवन को डॉ. रमन बदल रहे हैं. आखिर कैसे देखिएं हमारी इस खास रिपोर्ट में-


ये है जशपुर जिले का एक छोटा सा गाँव लोटापानी. गाँव का नाम लोटापानी है लेकिन यहां रहने वाले पहाड़ी कोरवा लोटा में पानी लेकर खुले में शौच को नहीं जाते हैं. ये और बात है खुले में शौच की तस्वीर आपकों राजधानी में दिख जाएगी पर लोटापानी में नहीं. क्योंकि रमन सरकार ने पहाडी कोरवाओं के तन-मन और पूरे जीवन को बदलने का सकारात्मक प्रयास जो किया है और यह सच्चा प्रयास लोटापानी गाँव आने से दिखते हैं.  पहाड़ी कोरवा विशेष पिछड़ी और संरक्षित जनजाति है. इसलिए इसे राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है.  ये अपने जीवन का अधिकांश समय जंगल में शिकार करने,वनोपज इकट्ठा करने और मांदर की थाप पर उत्सव मनाने में बिता देते हैं.

शासन ने लंबे प्रयास के बाद इन्हें कपड़ा और मकान में रहने की आदत डलवाई. धीरे – धीरे इन कोरवा जनजाति के इस गाँव में आंगनबाड़ी,स्कूल खोलकर इन्हें आधुनिक समाज से जोड़ा गया. इसके बाद अब गड़ाकटा पंचायत के सरपंच, पंच, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रेरणा से लोटापानी गाँव के पहाड़ी कोरवा स्वच्छ भारत अभियान से जोड़ा गया है. प्रधानमंत्री के सपनों के भारत में स्वच्छ गाँव की तस्वीर लोटापानी में अब तैयार हो रही है. गाँव में पहाड़ी कोरवाओं के घरों में अब शौचालय बन गए हैं. गाँव के लोग शौचालय का उपयोग करने लगे हैं. लोटपानी के मनकु, बुधना, दशरत कोरवा बताते है कि हमारा गाँव हाथी प्रभावित क्षेत्र हैं. खुले में शौच के दौरान कई लोगों की जान भी जा चुकी है. वहीं बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा समस्या आती थी. लेकिन अब सरकार की ओर से जो प्रयास किए जा रहे हैं उसका लाभ लेकर हम अपना जीवन स्तर सुधार रहे हैं. हमें खुशी है कि हमारे घर में अब शौचालय है. इससे विशेषकर महिलाओं का का सम्मान बढ़ा है.

मनकु, बुधना और दशरत ही के घर में ही शौचालय नहीं, बल्कि उनके जैसे कई कोरवाओं के घर में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालयों का निर्माण कराया गया है. आधुनिक सभ्यता से जुड़ रहे इस जनजाति के लोगों को शौचालय बनाने और इसका उपयोग सिखाने के लिए जनप्रतिनिधियों ने तो खूब मेहनत की साथ ही जिला व ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने भी इनके इस व्यवहार परिवर्तन को एक मिसाल बताया. गाँव की सरपंच ग्लोरिया टोप्पों कहती है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत गाँव वालों को पहले जागरुक किया. फिर उन्हें स्वच्छता की ओर प्रेरित कर एक-एक कर घर में शौचालय बनवाएं. आज परिणाम ये कि सभी के घरों में शौचालय हैं और पहाड़ी कोरवा इसका उपयोग करने लगे हैं.

स्वच्छता अभियान को लेकर लगातार जिले में अनेक तरह के कार्यक्रम में इलाके में समाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की ओर से चलाए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार करने रमन सरकार दुर्गम इलाकों और विशेष पिछड़ी जनजातियों तक योजनाओं को बेहतर क्रियान्वयन करा रही है. स्थानीय जनप्रतिनि भी पहाड़ी कोरवा की बदलती दशा को लेकर बेहद खुश है. क्योंकि इसमें उनके अपने प्रयासों को भी सफल होते दिख रहा है.

गांधीजी का सपना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत मिशन योजना इस दुर्गम इलाके में सफल होने से जनप्रतिनिधियों के साथ ही उन्हें प्रेरित करनेवाले अधिकारी भी काफी खुश हैं. जिससे साफ़ कहा जा सकता है कि अब खुले में शौच जैसी सामाजिक कुरीति का अंत होने जा रहा है. वास्तव में छत्तीसगढ़ के भीतर रमन सरकार की ओर से खुले में शौच मुक्त प्रदेश बनाने का जो अभियान चल रहा है उस अभियान की प्रगति और भविष्य के सुखद परिणाम को लोटापानी गाँव से देखा और समझा जा सकता है. अब आपको तय करना है. पहाड़ी कोरवाओं ने अपनी सोच बदली, खुले में शौच से मुक्त हुए.  और आप ?
छत्तीसगढ़ में बहुत कुछ बदल रहा है. बदल रही है पहाड़ी कोरवाओं की जिंदगी. उस विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों की जिंदगी जिनके हिस्से गरीबी और तंगहाली रही है. जिनके हिस्से शिक्षा और स्वास्थ्य की कमी रही है. ऐसे परिवार के बच्चों के लिए रमन सरकार एक सफल प्रयास किया है. एक ऐसी कोशिश की है जिससे पहाड़ों पर गुजर करने वालों के बच्चें के हाथ अब कॉपी-किताब है और इस प्रयास को साकार कर रहा कोरबा जिले का एकलव्य विद्यालय. 


केंद्र व राज्य शासन के संयुक्त तत्वावधान में जिले के अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को केंद्रीय विद्यालय की तर्ज में शिक्षा देने के लिहाज से सन् 2012-13 में एकलव्य आवासीय विद्यालय की शुरूवात की गई है. विद्यालय संचालन के लिए छुरीकला में 17 करोड़ की लागत से भवन बनाया गया है.  विशेष पिछड़ी जनजातियों की उत्थान एवं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढाने की दिशा में दूरस्थ एवं वनांचल क्षेत्रों के पहाड़ी कोरवा बच्चों को एकलव्य आवासीय विद्यालय छुरी में प्रवेश के लिये सकारात्मक पहल किया है.  रमन सरकार के विशेष प्रयास से 30 पहाड़ी कोरवा बच्चों को एक नया शैक्षणिक माहौल मिला है. वहीं जिले के विभिन्न ग्रामों से आये छात्र-छात्राओं से मिलने-जुलने और नया साथी बनाने का अवसर भी मिलेगा. कल तक पहाड़ों के आसपास घने जंगल के बीच माता-पिता के साथ रहते आए कोरवा जनजाति के बच्चों को एकलव्य आवासीय विद्यालय में बेहतर शिक्षा के साथ समय पर नाश्ताभोजनखेलने-कूदने का अवसर और मनोरंजन भी उपलब्ध कराया जायेगा.

अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों के लिए संचालित इस विद्यालय में कक्षा 6 वीं से 12 वीं तक कक्षाएं लगती है. दो शिक्षा सत्र से प्रारंभ एकलव्य आवासीय विद्यालय में वर्तमान में कक्षा वीं वीं एवं कक्षा वीं संचालित है. एकलव्य आवासीय विद्यालय में पहाड़ी कोरवा बच्चों को प्रवेश दिलाने एवं अन्य बच्चों के साथ बेहतर शैक्षणिक माहौल प्रदान करने जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में कोरवा बच्चों को चिन्हित कराया था. प्रवेश के इच्छुक पहाड़ी कोरवा बच्चों को कक्षा वीं में दाखिला हेतु शिक्षा विभाग को निर्देशित कर प्रवेश दिया गया है. ये सभी दूरस्थ ग्राम कदमझेरियाजामभांठालेमरूचीतापाली सहित अन्य ग्राम के हैं. पहाड़ी कोरवा बच्चों को निःशुल्क किताबेयूनिफार्म के साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा अन्य बच्चों की तरह कोरवा बच्चों के विकास के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है. एकलव्य आवासीय विद्यालय छुरी में पहाड़ी कोरवा 15 छात्र एवं 15 छात्राओं को प्रवेश दिया जा रहा है. चूंकि कोरवा बच्चों का रहन सहन अन्य बच्चों से थोड़ा भिन्न है. इसलिए कोरवा बच्चों को छात्रावास में रहने किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए अधिकारियों को विशेष देखरेख के निर्देश कलेक्टर ने दिए हैं. 

वास्तव में रमन सरकार की ओर से जो प्रयास पहाड़ी कोरवा के बच्चों के लिए किया जा रहा वह बहुत ही सराहनीय है. विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार के बच्चों के लिए ये एकल्वय प्रयास ही है. उन बच्चों के लिए ये प्रयास उस भागीरथ की तरह है जिसके निर्मल गंगा में पहाड़ी कोरवा की नवल धार बह रही है. ये प्रयास , रमन सरकार के प्रति विश्वास को भरता है. उम्मींद जब कोरवा जनजाति से कोई बच्चा पढ़ कर नव छत्तीसगढ गढेगा तब ये प्रदेश खूब आगे बढ़ेगा.

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