नई दिल्ली- संभव हुआ तो जल्द ही लोकसभा में छत्तीसगढ़ विधानसभा का फार्मूला लागू हो जाएगा. संसद में सत्रों के दौरान लगातार बढ़ते हंगामें से नाराज लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन छत्तीसगढ़ विधानसभा के उस नियम को लागू किए जाने पर विचार कर रही हैं, जिसमें गर्भगृह(वेल) में आकर हंगामा करने वाले सदस्यों का स्वमेव निलंबन का प्रावधान है. इसे लेकर बीते शुक्रवार को सुमित्रा महाजन ने नियम समिति की बैठक भी ली है. इस बैठक में उन्होंने छत्तीसगढ विधानसभा के नियम की चर्चा करते हुए लोकसभा में इसे लागू किए जाने को लेकर ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि राजनीतिक दलों से इस पर रायशुमारी की गई है या नहीं, फिलहाल इसकी खबर नहीं है.
लोकसभा में हंगामें की तस्वीर बदलने की कोशिश में इसे स्पीकर सुमित्रा महाजन का एक अहम कदम माना जा रहा है. दरअसल संसद में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस हंगामें की वजह से नहीं हो पा रही है. केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से ही ऐसे हालात बने हुए हैं. संसद में कई महत्वपूर्ण बिल पर चर्चा भी विपक्षी सदस्यों के हंगामें के बीच ही होती रही है. हंगामें के बीच ही बिल पारित किए गए हैं. लेकिन इस तस्वीर को बदलने की कवायद में अब सुमित्रा महाजन जुटती नजर आ रही है.
लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद जब सुमित्रा महाजन छत्तीसगढ़ विधानसभा के दौरे पर आई थी, तब उन्हें राज्य विधानसभा के नियम की जानकारी साझा की गई थी. उन्हें यह बताया गया था कि राज्य गठन के वक्त से ही सदन में गर्भगृह में घुसकर हंगामा करने वाले विधायकों का स्वमेव निलंबन का नियम है. यह नियम राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय की आमराय के बाद बनाई गई थी. तब से लेकर अब तक इस नियम का पालन पक्ष-विपक्ष के सदस्य मिलकर करते आए हैं. देश में छत्तीसगढ़ विधानसभा में ऐसा नियम है. हालांकि इस बीच देश के कई राज्यों की विधानसभाओं में इस नियम की सराहना की जाती रही है, लेकिन लागू किए जाने की दिशा में कोई पहल नहीं की गई. सुमित्रा महाजन के पहले भी पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रहे सोमनाथ चटर्जी और मीरा कुमार ने भी छत्तीसगढ़ विधानसभा के इस नियम की तारीफ करते हुए अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी लागू किए जाने की वकालत की थी. लोकसभा में इसे लागू किए जाने पर विचार करने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन इसे लेकर कभी किसी तरह की पहल नहीं की जा सकी थी, लेकिन अब मौजूदा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस दिशा में पहल की शुरूआत की है.

अभी नियम 374 ए के तहत होता है सदस्यों का निष्कासन

सदन की कार्यवाही के दौरान वेल में आकर हंगामा करने वाले संसद सदस्यों पर अभी नियम 374 ए के तहत निष्कासन का प्रावधान है. स्पीकर की ओर से हंगामा करने वाले सदस्यों का नाम लेकर ही निष्कासन किया जाता है. हालांकि स्पीकर इस नियम का इस्तेमाल करने से बचते हैं. वजह बताई जाती है कि इससे स्पीकर पर सदस्यों के साथ पक्षपात करने का आरोप लग सकता है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के नियम को लागू किए जाने पर विचार किया जा रहा है. यह नियम सर्वमान्य होगा और पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्यों पर लागू होगा.

हर राज्यों ने की है इस नियम की तारीफ- चंद्रशेखर गंगराडे

इधर छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव चंद्रशेखर गंगराडे ने फिलहाल लोकसभा में चल रही इस कवायद की जानकारी से इंकार किया है, लेकिन उन्होंने बताया कि अब तक जितने भी लोकसभा स्पीकर छत्तीसगढ़ विधानसभा आते रहे हैं, उन सभी ने गर्भगृह में घुसने पर स्वमेव निलंबन के नियम की खुलकर प्रशंसा की है. सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए ऐसे नियम देश की सभी विधानसभाओं में बनाए जाने की वकालत भी की है. कई राज्यों के विधानसभाओं से आने वाले समितियों के प्रतिनिधियों ने भी इस नियम की सराहना की है. लेकिन यदि लोकसभा में अब इस नियम को बनाए जाने की कवायद की चर्चा है, तो निश्चित तौर पर इसकी सराहना की जानी चाहिए.