नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान ई-क्लास चला रहे निजी स्कूलों को फीस लेने से रोकने के लिए दाखिल याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ई-एजुकेशन कोई बच्चों का खेल नहीं है, और ऑनलाइन क्लास के लिए शिक्षक जितनी मेहनत करते हैं, वह फिजिकल क्लास से कही ज्यादा है.
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने याचिका की वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए सुनवाई करते हुए लॉकडाउन के दौरान ट्यूशन फीस लेने से निजी स्कूलों को रोकने से इंकार करते हुए कहा कि ऑनलाइन क्लास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े सुधार की जरूरत होती है. इसमें ऑनलाइन प्लेटफार्म तक तमाम सहुलियतों को पहुंचाने के लिए स्कूल ट्यूशन फीस न ले, यह कहना ठीक नहीं है.
अधिवक्ता प्रशांत कुमार द्वारा दायर याचिका में दिल्ली सरकार के 17 अप्रैल के आदेश को भी दरकिनार सा संशोधित करने की मांग की गई थी, जिसमें स्कूलों के खुलने के बाद माकूल समय में ट्यूशन फीस ली जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार के आदेश में लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई खराब नहीं हो इसके लिए अनेक निजी स्कूलों के ऑनलाइन क्लासेस का स्वागत किया था.
बेंच ने कहा कि हम इस भावना का सम्मान करते हैं, नियमित क्लास की तुलना दूर-दूर तक ऑनलाइन क्लास से नहीं की जा सकती है. यह सामान्य सी बात है कि ऑनलाइन क्लास के लिए शिक्षक जितना प्रयत्न करते हैं, वह बहुत ज्यादा है. यही वजह है कि शिक्षक के कार्य को सबसे अच्छा माना जाता है. जिसका आला दर्ज का सम्मान होना चाहिए. हम शिक्षकों के साथ स्कूलों के इस प्रयास का दिल से सम्मान करते हैं.
कोर्ट ने अधिवक्ता प्रशांत कुमार की य़ाचिका को मौलिक तौर पर गलत बताते हुए कहा कि जब तक स्कूल ऑनलाइन क्लास संचालित कर रही हैं, ट्यूशन फीस की हकदार हैं. बल्कि ऑनलाइन क्लासेस के लिए फिजिकल क्लास की तुलना में ज्यादा खर्च आता है. ऑनलाइन क्लास कोई बच्चों का खेल नहीं है.