रायपुर। छत्तीसगढ़ के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयम 30 से सितंबर को सिंधी अध्ययन-केंद्र का शुभारंभ हुआ. इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि शदाणी दरबार पीठाधीश डॉ. युधिष्ठिर लाल मौजूद. कुलपति डॉ. के.एल वर्मा और पूर्व विधायक रमेश वर्ल्यानी, श्रीचंद सुंदरानी भी मौजूद रहे.  संत शदाराम साहिब सिंधी अध्ययन-केंद्र पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद नई दिल्ली और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान संचालित होगा.

डॉ. युधिष्ठिर लाल कहा सिंधी भाषा संस्कारों की भाषा है, जिसमें भरपूर साहित्य का भण्डार है. यह विश्वविद्यालय एक तीर्थ स्थल है और इस विश्वविद्यालय में आकर सिंधी भाषा सीखना गर्व की बात है. सिंधी भाषा में पढ़-लिखकर उसके व्यवसायिक उपयोग भी हो. यू. पी. एस. सी. की परीक्षा देकर प्रशासनिक सेवा में जा सके.

कुलपति वर्मा ने कहा कि इसका नामकरण किसी और के नाम पर करने के बजाय संत शदाराम साहिब के नाम पर रखा गया, क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय नाम है. पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में सटिर्फिकेट कोर्स की शुरूवात अगले वर्ष से की जाएगी.  हमारे विद्यार्थियों को अधिक से अधिक संख्या में सिंधी भाषा सिखाना है. सिंधी भाषा बोलिए, प्रयोग करिए तभी भाषा बचेगी. जनसंख्या बढ़ रही है, लेकिन भाषा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है भाषा मर रही है. सभी भाषाओं को बचाना होगा. श्रीचंद सुंदरानी ने सिंधी भाषा के समृद्ध इतिहास पर प्रकाश डाला, वहीं रमेश वल्र्यानी ने कहा कि इस केंद्र का शुभारंभ कुलपति महोदय के प्रोत्साहन से ही संभव हो पाया है.

सिंधी अध्ययन-केंद्र साहित्य एवं भाषा-अध्ययनशाला के अंतर्गत संचालित होगा. प्रो. शैल शर्मा, अध्यक्ष, साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला को मानद निदेशक नियुक्त किया गया है। इस कार्यक्रम में प्रो. पी. डी. केवल रमानी, दीपिका शदाणी, डाॅ. पुरूषोतम बतरा,  गीता तलरेजा, डाॅ. श्याम अजवानी, दर्शन निहाल, डाॅ. मधुलता बारा, डाॅ. कौस्तुभ मणि द्विवेदी, डाॅ. सरोज चक्रधर, बरातु धु्रव, हितेश तिवारी उपस्थित रहे. आभार कन्हैयालाल छुगानी जी ने किया. संचालन डाॅ. सरोज चक्रधर ने किया.