विधि अग्निहोत्रि रायपुर। प्लास्टिक की समस्या का दंश पूरी दुनिया झेल रही है. हर देश अपने स्तर पर प्लास्टिक से निजात पाने की मुहिम छेड़े हुए है. भारत के प्रधानमंत्री ने भी 2022 तक भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने की बात कही. तो वहीं भारत में एक ऐसा राज्य भी है जिसने प्रधानमंत्री की इस घोषणा के पहले ही अपने राज्य को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प लिया है. दरअसल यह मुहिम छेड़ी है मंदिर के पुजारियों ने. केरल के त्रिवेंद्रम में एक मंदिर है अर्णामूला पार्थ सारथी मंदिर. ये मंदिर भगवान कृष्ण का है जिसे 8वीं सदी में बनाया गया था. इस मंदिर में एक नोटिस चस्पा किया गया हैं यह नोटिस मंदिर के बाहर, मंदिर के अंदर हर जगह आप देख सकते हैं. इस नोटिस में लिखा है. परब्रम्ह और प्लास्टिक. यानि के अगर आपको भगवान के दर्शन करने हैं तो प्लास्टिक का कोई भी सामान अंदर लेकर ना जायें. आपके पास जो भी प्लास्टिक का सामान है वो आपको बाहर छोड़कर आना होना तभी आप प्रवेश ले सकते हैं. अर्णामूला पार्थ सारथी मंदिर अकेला ऐसा मंदिर नहीं है जिसने प्लास्टिक को पूरी तरह बैन कर दिया है. केरल में ऐसे 1058 मंदिर हैं जिन्होने पूरी तरह से प्लास्टिक का बहिष्कार कर दिया है.
इन मंदिरों में ना सिर्फ प्लास्टिक ले जाना बैन है बल्कि प्लास्टिक का कोई भी सामान यहां इस्तेमाल नहीं होता. बत्ती के पैकेट, गुलाब जल की बोतल, तेल के डिब्बे सब कुछ प्लास्टिक रहित है. यहां ऐसे समान इस्तेमाल होते हैं जो डिकंपोज़ हो जाए या जिनका रिसायकल यूज हो. प्लास्टिक को पूरी तरह मंदिर से बाहर रखना इतना आसान नहीं था. पुजारी ने बताया कि मंदिर में गुलाब जल सप्लाई करने वाली कंपनी के बोटल प्लास्टिक के थे लिहाजा कंपनी को प्लास्टिक की जगह दूसरा विकल्प चुनने के लिए मनाना बेहद मुश्किल था. अब लोगों की भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने लगी है. यह मुहिम पूरे केरल में चल पड़ी है.
यहां मंदिरों के साथ-साथ अब मस्जिद और चर्च ने भी अपनी नियमावली बना ली है कि कोई भी प्लास्टिक का समान उपयोग में नहीं लाया जाएगा. पालायम जुमा मस्जिद और सेंट जोसेफ कैथेड्रल चर्च में सभी तरह के प्लास्टिक सामानों को पूरी तरह बैन कर दिया गया है चाहे आप प्रेयर के लिए चर्च जाएं या नमाज अदा करने मस्जिद, आपको बिना प्लास्टिक के सामान के जाना होगा.
दरअसल पूरी तरह से प्लास्टिक बैन की शुरुआत एक पेरियर हाथी की मौत से हुई. पेरियर एक बीस साल का बूढ़ा हाथी था जिसने प्लास्टिक खा लिया था और इस वजह से उसकी मौत हो गई. पेरियर की मौत से मंदिर के पुजारी क्षुब्ध हुए क्योेंकि हाथी को भगवान गणेश का रूप माना जाता है. ऐसे में पुजारियोंं ने संकल्प लिया की प्लास्टिक को पूरी तरह से उपयोग के बाहर कर दिया जाए.
केरल की इस पहल ने देश के कई राज्यों को इस दिशा में सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. क्योंकि रिसर्च के मुताबिक देश में लगभग 100 में से 70 गायों की मौत प्लास्टिक खाने से होती है. लेकिन हम कोई ठोस कदम उठाना छोड़ किसी को घेर कर का मारना ज्यादा सही समझते हैं. हमें लगता है कि इससे हमारा अहम शांत होता है, हमारे अंदर के जानवर को सुकुन मिलता है. लेकिन वहीं कोई अच्छी पहल करने की बात पर हम एक दूसरे का मुंह ताकने से ज्यादा कुछ नहीं कर सकते. अगर ये खबर पढ़ के आप सोचने को मजबूर होते हैं और केरल में लिए निर्णय के पक्ष में पहल करते तो यह क्रांतिकारी कदम होगा.