रायपुर। आज छत्तीसगढ़ के उस विभूति को नमन करने, याद करने और श्रद्धांजलि देने का दिन है जिनके बिना छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की कल्पना को साकार करना संभव नहीं होता. क्योंकि उन्होंने सबसे पहले राजनीतिक घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाने का जिक्र किया था. बात हो रही है दैनिक हिंदुस्तान के संपादक, केन्द्रीय मंत्री और 5 बार के सांसद रहे चंदूलाल चंद्राकर. आज चंदूलाल चंद्राकर की पुण्यतिथि है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र को विनम्र श्रद्धांजलि दी है. भूपेश बघेल ने उन्हे याद करते हुए लिखा है-

अगर स्व चंदूलाल चंद्राकर जी ने छत्तीसगढ़ राज्य बनाने को घोषणा पत्र में शामिल न किया होता तो आज शायद राज्य न बना होता। वे राजनीतिक संत थे और ठेठ छत्तीसगढ़िया थे। पुण्य तिथि पर सादर नमन.

जानिए छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र चंदूलाल चंद्राकर को 
चन्दूलाल चन्द्राकर का जन्म 1 जनवरी 1921 को दुर्ग जिले के निपानी गांव के कृषक परिवार में हुआ था.  दुर्ग में प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ग्रामिणों की समस्या का समाधान करने में भी चंदूलाल चंद्राकर सदैव तत्पर रहते थे. राजनीति में आने से पहले सक्रिय पत्रकारिता में रहे. विशेष तौर पर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय से आप अभ्यस्त पत्रकारों जैसी सधी पत्रकारिता बड़ी उपलब्धि रही.

खेल पत्रकार के तौर पर आप दुनिया में विख्यात रहे.  1945 से पत्रकार के तौर पर आपकी ख्याति होने लगी . हिन्दुस्तान टाइम्स सहित देश-विदेश के अन्य अखबारों काम.  आपको नौ ओलंपिक खेलों और तीन एशियाई खेलों की रिपोर्टिंग का सुदीर्घ अनुभव रहा.  राष्ट्रीय अखबार दैनिक हिन्दुस्तान में संपादक के रुप में आपने सेवाएं दी. छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय समाचार पत्र के संपादक पद पर पहुंचने वाले आप प्रथम थे. युद्धस्थल से भी आपने निर्भीकतापूर्वक समाचार भेजे.  विश्व के अनेक देशों की यात्रा पत्रकार के रुप में की.

1970 में पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के साथ ही सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेने की शुरुआत हुई . 1970 , 71 , 80 ,84 , तथा 1991  तक 5 बार सांसद. वहीं 1980 तथा 1985 में केंद्रीय मंत्री रहे. इसमें पर्यटन, नागरिक उड्डयन, कृषि, ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री का दायित्व संभाले.  अखिल भारतीय कमेटी के महासचिव और मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता के रुप में आप सक्रिय रहे . छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण सर्वदलीय मंच के अध्यक्ष रह कर राज्य आंदोलन को नई शक्ति प्रदान की.

लेखनी से ज्वलंत मुद्दे उठाने, बहस की गुंजाइश तैयार करने वाले पत्रकारों में चन्दूलाल चंद्राकर को सम्मानजनक स्थान प्राप्त है . 2 फरवरी 1995 को चंदूलाल चंद्राकर का निधन हो गया . निर्भीक पत्रकारिता से छत्तीसगढ़ का नाम देश में रोशन करने वाले व्यक्तित्व से नई पीढ़ी प्रेरणा ग्रहण करे और मूल्य आधारित पत्रकारिता को प्रोत्साहन मिले, इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में पत्रकारिता के क्षेत्र में चन्दूलाल चन्द्राकर फेलोशिप स्थापित किया है.