रायपुर. खरसिया क्षेत्र में चुनावी संग्राम जारी है इसके साथ ही लोगों का ध्रुवीकरण भी हो रहा है,और नये नये परिदृश्य सामने आ रहें हैं,उमेश पटेल अपने लोगों को दूसरे खेमे में जाने से रोक रहें है तो, भाजपा नेता ओपी चौधरी क्षेत्र में धुंआधार जनसम्पर्क कर अपनी टीम मजबूत कर रहें हैं. उनसे प्रभावित होकर कट्टर कांग्रेसी परिवार के लोग भी भाजपा से जुड़ रहें हैं.
घरगोड़ा विधानसभा से पटेलपाली के पूर्व कांग्रेस विधायक स्व. दुर्गाचरण पटेल के परपोते हितेश पटेल भाजपा के साथ जुड़ने जा रहे है. वे खरसिया से संभावित भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी से खासे प्रभावित है. भिलाई बीआईटी से एमबीए पासआउट हितेश शिक्षा एवं व्यवसाय क्षेत्र से जुड़े हैं. जिसके कारण वे ओपी चौधरी के शिक्षा,स्किल एवं करियर मार्गदर्शन रोजगार क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य से प्रभावित हुए और अपने परिवार के दशकों पूर्व कांग्रेशी इतिहास के बावजूद भाजपा के पाले में जा रहें हैं.  वे ओपी के विचारधारा से प्रभावित हैं.
यह परिवार वर्तमान में तब चर्चा में आया था जब परिवार के पूर्व आईपीएस एवम् एडीजी रेवतीचण पटेल ने सोशल मिडिया के माध्यम से ओपी चौधरी के खिलापत बयान जारी किया था . स्व दुर्गाचरण पटेल मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व . रविशंकर शुक्ल  के मित्र और अच्छे खासे करीबी रहें स्व रविशंकर का कई बार चेरगापाली(पटेलपाली तब चेरगापाली के नाम से जाना जाता था, जिसे स्व दुर्गाचरण पटेल के प्रयाश से पटेलपाली नामकरण किया गया था) आगमन हुआ है. इस परिवार का कांग्रेस  में अच्छी पैठ है तथा इस कांग्रेसी परिवार का क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है. राजनांदगाव अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तारकेश्वर पटेल भी इसी परिवार से हैं . इसके आलावा उमेश पटेल एवं ओमप्रकाश चौधरी दोनों से इस परिवार की रिश्तेदारी है.
हितेश पटेल के साथ क्षेत्र के सैकड़ों युवा एवम् महिलाएं भाजपा प्रवेश करने जा रहे है. 18 सितम्बर को ओपी चौधरी के पटेलपाली दौरे के समय भाजपा में उनका प्रवेश होगा. ओपी चौधरी से हितेश पटेल लगातार संपर्क में हैं,कई बैठकों का दौर चला है. माना जा रहा है कि इस गठजोड़ के लिए ओपी चौधरी के करीबी एवम् सिपहसालार लोगों की प्रमुख भूमिका रही है. इस गठजोड़ से कांग्रेसी खेमे में काफी हलचल है, उनका बैठा बैठाया समीकरण बिगड़ गया है,क्योंकि इस क्षेत्र से हमेशा कांग्रेस को लीड मिलती थी,कांग्रेसियों ने इस गठजोड़ को रोकने का प्रयाश भी किया है, पर सफलता नहीं मिल पाई है. खरसिया चुनाव में इस बार जबरदस्त उफान होने की सम्भावना है. ऐसे में दोनों खेमे अपनी ताकत बढ़ा रहें है.  अब देखना ये है की कौन कितनों और कैसे लोगों को अपने साथ जोड़ पाता है.