रांची- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच जनवरी को झारखंड के मेदिनीपुर में होने वाली सभा विवादों में आ गई है. दरअसल विवाद प्रशासन के उस आदेश को लेकर हैं, जिसमें कहा गया है कि सभा में काले रंग के कपड़ों के साथ किसी भी तरह की काली वस्तु लेकर आने पर रोक लगाई जाए. इस मामले को लेकर पलामू जिले के एसपी इंद्रजीत महथा ने कहा है कि सुरक्षा कारणों की वजह से सभा में काले रंग की चीजों को साथ लेकर आने पर रोक लगा दी गई है. लातेहार, पलामू, गढ़वा और चतरा के डिप्टी कमिश्नरों को भेजे गए संदेश में एसपी ने कहा है कि सरकारी कर्मचारी या आम लोग काला पैंट, शर्ट, कोट, स्वेटर, मफलर, टाई, जूते और मोजे न तो पहन कर आएं. उन्होंने कहा है कि वैध आईडी कार्ड के साथ ही सभास्थल में प्रवेश दिया जाएगा.

दरअसल झारखंड में इन दिनों पारा शिक्षकों का आंदोलन चल रहा है. शिक्षकों का यह आंदोलन बीते तीन माह से चल रहा है. शिक्षक राज्यभर में प्रदर्शन कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस आंदोलन के दौरान कुछ शिक्षकों की मौत भी हुई है. पारा शिक्षक नियमितीकरण के साथ-साथ सरकारी शिक्षकों की तर्ज पर वेतनमान की मांग कर रहे हैं. प्रशासन को लग रहा है कि विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे शिक्षक प्रधानमंत्री की सभा में विरोध दर्ज करा सकते हैं. यही वजह है कि एहतियात बरतते काले रंग की वस्तु के सभा में प्रवेश पर रोक लगाई गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार एवं झारखंड की संयुक्त बहुउद्देश्यीय जल परियोजना, उत्तर कोयल जलाशय, मंडल डैम की आधारशिला रखेंगे. सिंचाई परियोजना 1622 करोड़ रूपए की है, वहीं जल परियोजना 1136 करोड़ रूपए के करीब है.

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री के दौरे पर भी कुछ ऐसा ही हुआ था

सितंबर में जांजगीर चांपा में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान भी कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई थी. हालांकि उस वक्त कोई आधिकारिक आदेश नहीं था, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी खबरें आई थी, जिसमें कहा गया था कि मोदी की सभा में पहुंची ग्रामीण अंचलों की महिलाओं के काले रंग के ब्लाउज तक उतरवा लिए गए. साथ ही उन पुरूषों को प्रवेश नहीं दिया गया, जिन्होंने काले रंग के कपड़े पहने थे. काले रंग के मोजे भी उतरवा लिए गए थे. पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की विकास यात्रा के पहले चरण के समापन समारोह के दौरान भी ऐसी खबरें सामने आई थी. जहां पत्रकारों के मोजे, रूमाल और कपड़े जांचें गए थे. उन पत्रकारों को सभा स्थल पर प्रवेश नहीं दिया गया था, जिन्होंने काले रंग के परिधान पहने हुए थे.