रायपुर- मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने आज मंत्रालय में प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर राज्य में बारिश और संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के उपायों की समीक्षा की। उन्होंने राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को राजधानी रायपुर में राज्य स्तर और सभी जिलों में जिला स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्षों को चैबीसों घंटे खुला रखने के निर्देश दिए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बस्तर संभाग के कमिश्नर और बस्तर जिले के कलेक्टर को फोन लगाया और उनसे उस इलाके में लगातार हो रही वर्षा और कुछ नदी-नालों में आयी बाढ़ की स्थिति के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि राज्य आपदा मोचन बल (एस.डी.आर.एफ.) को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखा जाए। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि कल सोमवार सवेरे आठ बजे से आज मंगलवार सवेरे आठ बजे तक बस्तर जिले में 112 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गयी है। जिले में इंद्रावती, नारंगी और मारकण्डी नदी सहित अन्य नदी-नालों के जल स्तर पर भी लगातार निगाह रखी जा रही है।
मुख्यमंत्री को कलेक्टर धनंजय देवांगन ने बताया कि उन्होंने आज प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जगदलपुर की निचली बस्तियों सहित अन्य क्षेत्रों का मुआयना कर प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के निर्देश दिए। उन्होंने संभावित बाढ़ प्रभावितों के लिए बनाए गए राहत शिविरों में खाद्यान्न एवं जलाऊ लकड़ियों की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए। कलेक्टर ने जगदलपुर के पुराना पुल, महादेवघाट, सनसिटी तथा गणपति रिसोर्ट के समीप जलभराव की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने पुराना पुल में यातायात को पूरी तरह बंद करने के लिए जवानों को तैनात करने के निर्देश दिए। उन्होंने लगातार हो रही वर्षा से लगातार बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सुरक्षित स्थानों में व्यवस्था हेतु मुनादी करने के निर्देश दिए। इस दौरान पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख, वन मंडलाधिकारी राजू अगसिमनि, अपर कलेक्टर हीरालाल नायक, एसडीएम एसआर कुर्रे, तहसीलदार माधुरी सोम सहित अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
कलेक्टर ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर स्थित कलेक्टोरेट में जिलास्तर पर बाढ़ आपदा प्रबंधन के क्रियान्वयन और नियंत्रण हेतु नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है, जिसका दूरभाष क्रमांक- 07782-223122 है। प्रत्येक तहसील और ब्लाक मुख्यालय में भी इसी प्रकार नियंत्रण कक्ष की स्थापना करते हुए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जिला कार्यालय के साथ ही तहसील कार्यालयों में स्थापित सभी बाढ़ नियंत्रण कक्षों में सप्ताह के पूरे सात दिन चैबीसों घंटे के लिए अधिकारियों, कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये गये। ये नियंत्रण 24 घंटे खुले रहेंगे, जो स्थानीय स्तर से शासन स्तर तक समस्त सूचनाओं के आदान-प्रदान में अपनी भूमिका निभायेंगे।
बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर प्रभावित परिवार को पहुंचाने के लिए जिला कार्यालय में दो ट्रक हमेशा तैयार रखने के साथ ही वाहन चालकों के मोबाईल नम्बर आदि की जानकारी रखने को कहा गया। बाढ़ नियंत्रण कार्य में मिट्टीतेल और डीजल के लिए कोई समस्या उत्पन्न न हो इस हेतु खाद्य नियंत्रक जगदलपुर को मिट्टीतेल और डीजल का पर्याप्त भण्डारण सुरक्षित रखने हेतु निर्देशित किया गया है। बैठक में सभी विभाग वर्षाकाल के समय अत्यधिक सचेत रहने को कहा गया। साथ ही कहीं से भी अथवा मैदानी अमले से बाढ़ और रास्ता बंद होने की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल बाढ़ नियंत्रण कक्ष को सूचित करने को कहा गया।
अस्थायी शिविर 16 स्थानों पर
मुख्यमंत्री को कलेक्टर ने बताया कि संभावित बाढ़ के दौरान प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए बस्तर जिले में अस्थायी शिविर हेतु 16 चिन्हांकित किए गए हैं। इन शिविरों में बाढ़ प्रभावितों को अस्थायी रूप से रखा जाएगा। प्रत्येक अस्थायी शिविर के लिए एक प्रभारी अधिकारी अभी से नामजद कर दिया गया है। धनपूंजी और भेजापदर में बाढ़ की स्थिति मेें धनपूंजी के प्राथमिक शाला भवन में, नगरनार और उपनपाल क्षेत्र के लोगों को रखने के लिए नगरनार स्थित प्राथमिक शाला भवन को, जगदलपुर शहर के लिए पुत्रीशाला, गोयल धर्मशाला, भगतसिंह स्कूल, उत्कल भवन, नयामुण्डा स्थित मंगल भवन, पनारापारा स्थित प्राथमिक शाला भवन, पथरागुड़ा प्राथमिक शाला भवन, बड़ांजी और कुम्हली में बाढ़ की स्थिति आने पर लोगों के लिए तराई भाटा प्राथमिक शाला भवन, टाकरागुड़ा में बाढ़ आने पर प्राथमिक शाला भवन टाकरागुड़ा, भैंसगांव में बाढ़ आने की स्थिति में माध्यमिक शाला भवन भैंसगांव, हिरलाभाटा और सिवनी क्षेत्र में बाढ़ आने की स्थिति पर पालाबहार प्राथमिक शाला भवन, कोहकासिवनी में बाढ़ आने की स्थिति पर प्राथमिक शाला भवन मुण्डागांव, राजपुर में बाढ़ आने की स्थिति पर प्राथमिक शाला भवन राजपुर, आसना एवं डोंगाघाट में बाढ़ की स्थिति आने पर प्राथमिक शाला भवन आसना को अस्थायी शिविर के रूप में चिन्हांकित किया गया है।जगदलपुर के तथा प्राथमिक शाला भवन छेपरागुड़ा को अस्थायी राहत शिविरों के तौर पर चिन्हांकित किया गया है। प्रभारी अधिकारियों के सहयोग हेतु खाद्य, चिकित्सा, स्वास्थ्य, विद्युत, वन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एक-एक कर्मचारी को भी अनिवार्य रूप से लगाने के निर्देश दिये गये हैं।
तैनात रहेगा बचाव दल
बाढ़ और अतिवर्षा से उत्पन्न स्थितियों को ध्यान में रखकर बाढ़ बचाव राहत दल की तैनाती सुनिश्चित की गयी है। कमाण्डेंट नगरसेना के मार्गदर्शन में एसडीआरएफ एवं नगरसेना के जवान बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में जानमाल की सुरक्षा के लिए मुस्तैद किए गए हैं। विभाग के पास उपलब्ध नाव और नगरनिगम की नाव को भी चालू हालत में रखने के निर्देश दिए गए हैं। वर्षा के दिनों में पहुंचविहीन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जीवन रक्षक दवाईयां, खाद्यान्न एवं अन्य सभी आवश्यक वस्तुएं सतत् रूप से उपलब्ध होती रहे, इसके लिए इनका भण्डारण पहुंचविहीन क्षेत्रों में अभी से सुनिश्चित किये जाने को कहा गया है। स्वास्थ्य विभाग को मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया है कि वे सभी स्वास्थ्य केन्द्रों और गांवों के पंचायतों, डिपो होल्डरों के पास तथा मितानिनों के पास दवाईयों का पर्याप्त मात्रा में भण्डारण सुनिश्चित रखें। इसके साथ ही अस्थायी शिविरों में भी जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने की व्यवस्था रखें और शिविरार्थियों का परीक्षण करने की भी व्यवस्था रखें।
अतिवर्षा से उत्पन्न होने वाली स्थितियों को ध्यान में रखकर जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री को उड़ीसा में स्थित खातीगुड़ा डेम के परियोजना अधिकारी के सतत सम्पर्क में के सतत सम्पर्क में रहने और डेम से पानी छोड़े जाने के कम से कम 24 घंटे पूर्व जिला प्रशासन को इसकी सूचना देने को कहा गया। इसके साथ ही जलस्तर की निगरानी नियमित रूप से करने को भी कहा गया।
बाढ़ के पश्चात महामारी से निपटने की जाएगी आवश्यक व्यवस्था
बाढ़ खत्म होने के बाद महामारी की आशांका रहती है। इसे ध्यान में रखकर तत्काल नियंत्रण के अग्रिम उपाय सुनिश्चित कर लिए गए हैं। जल प्रदूषण को रोकने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जलस्रोतों का शुद्धिकरण और ’’क्लोरीनेशन’’ करने के साथ क्लोरीन टेबलेट भी जरूरतमंदों को प्रदान करने को कहा गया। इसके लिए पंचायतों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। बिगड़े हैंडपंपों को भी सफाई कर सुधारे जाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया है कि वे प्रभावित क्षेत्रों में डीडीटी और कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव करेंगे और सभी प्रभावित परिवार और व्यक्तियों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा बीमार और घायल पशुओं का उपचार और टीकाकरण किया जाएगा। संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा को भू-जन्य और सामान्य रोगों के उपचार हेतु पर्याप्त औषधियों का भण्डारण रखने तथा वन विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर चारे की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। वन विभाग को आवश्यकतानुसार बाढ़ के समय और बाढ़ के पश्चात इंधन के लिए लकड़ी और अस्थायी शिविर जहां बांस-बल्ली की आवश्यकतानुसार आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है।