रायपुर। 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की पच्चीसवीं बरसी पर देश भर में वामपंथी पार्टियों द्वारा ‘संविधान और धर्मनिरपेक्षता बचाओ’ का आयोजन किया जा रहा है. राजधानी रायपुर में गुरुवार को देशव्यापी संयुक्त आह्वान पर गुरुवार को राजधानी रायुपर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी तथा भाकपा (माले)-लिबरेशन शाम 5:00 बजे घड़ी चौक स्थित अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष धरना-प्रदर्शन करेगी. राजधानी के अलावा प्रदेश में अन्य जगहों पर भी इसी तरह का कार्यक्रम वामपंथी पार्टियों द्वारा आयोजित किया जाएगा.
आज जारी एक बयान में संजय पराते (माकपा), आरडीसीपी राव (भाकपा) व बृजेंद्र तिवारी (भाकपा-माले-लिबरेशन) ने कहा है कि 1992 में सांप्रदायिक तत्वों द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस के रूप में इस देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की मूल्यों पर सबसे बड़ा हमला किया गया था. आज ये ताकतें हिंदुत्व की राजनीति को और धारदार बनाकर वह सत्ता में काबिज रहने के सपने देख रही है. राम मंदिर विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसके बावजूद इसे आस्था का मामला बताकर उन्माद फैलाने की कोशिश की जा रही है.
उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक राजनीति ने अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों के अधिकारों पर करारा हमला किया है. गाय को केंद्र में रखकर सांप्रदायिक भीड़ को कानून हाथ में लेने की इजाजत दी जा रही है. पशुपालन करने वाले किसान परिवार इसके बर्बर शिकार हुए हैं. बुलंदशहर में हुई घटना बताती है कि इस आग की चपेट में वे पुलिस अधिकारी भी आ रहे हैं जो जाति-धर्म से ऊपर उठकर अपने कर्तव्यों का पालन करने और कानून-व्यवस्था की हिफाजत का काम कर रहे हैं.
वामपंथी नेताओं ने कहा है कि 6 दिसंबर बाबा साहेब अंबेडकर का निर्माण दिवस भी है. इस दिन को बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए चुना जाना एक सुनियोजित षड्यंत्र था. यह संविधान निर्माण में बाबा साहेब की योगदान तथा संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र व बहुलतावादी भारत के निर्माण के प्रति सांप्रदायिक ताकतों की हिकारत का ही प्रदर्शन था. वाम नेताओं ने कहा है कि हिंदुत्व की राजनीति के जरिए संघी गिरोह इस देश की एकता अखंडता को ही तोड़ने में लगा है, लेकिन सांप्रदायिक राजनीति की विरोधी सभी देशभक्त ताकतें इन मंसूबों को पूरा नहीं होने देंगी.