रायपुर- भू राजस्व संहिता संशोधन विधेयक वापस लेने के सरकार के फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों से प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है. बीजेपी ने जहां सरकार के इस निर्णय को आदिवासी समाज की भावना को ध्यान में रखकर संवेदनशीलता दर्शाने वाला मामला बताया है, तो इधर कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर दो टूक कहा कि कांग्रेस की दबाव का नतीजा था कि सरकार को यू टर्न लेना पड़ा.
कैबिनेट में बिल वापस लेने के फैसले के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि – लोकतंत्र में सरकार को निर्णय व उनके निर्णयों पर आने वाली प्रतिक्रियानुसार सरकार को कार्य करना चाहिए और बीजेपी सरकार ने उसी जनभावना व आकांक्षा अनुसार अपने लिए फैसले को वापस लेकर संवेदनशील होने का परिचय दिया है. इधर बीजेपी राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष औऱ राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा कि लोकतंत्र में जनभावना का ख्याल सरकार ने रखा है. इससे बीजेपी छत्तीसगढ़ में और मजबूत होगी. इस फैसले से आदिवासी समाज के बीच अच्छा संदेश जाएगा. समाज को यह लगेगा कि सरकार उस तबके की सुनती है. सरकार ने यह फैसला लेकर यह संदेश भी दिया है कि रमन सरकार आदिवासी हितैषी सरकार है. नेताम ने कहा कि बीजेपी संगठन के भीतर भी सांसद-विधायक चाहते थे कि आदिवासी समाज की भावना का ख्याल रखते हुए विधेयक वापस ले लिया जाए. अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सिध्दनाथ पैकरा ने कहा कि इस निर्णय से लोकतंत्र मजबूत हुआ है
इधर कांग्रेस ने पूछा- क्या सरकार आदिवासियों को मरीज समझती है?
इधर कांग्रेस प्रवक्ता आर पी सिंह ने राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय के उस बयान पर आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दवाई कितनी भी अच्छी हो यदि मरीज का शरीर सूट नहीं कर रहा है, तो अच्छा यही है कि दवा वापस ले ली जाए. आर पी सिंह ने मंत्री के इस बयान पर कहा कि यह आदिवासी समाज का अपमान करने वाला है. उन्होंने कहा- काले कानून की तुलना मंत्री ने अच्छी दवाई से की है और प्रदेश के आदिवासी की तुलना मरीज से की है. क्या इस प्रदेश का आदिवासी सरकार की निगाहों में मरीज है. क्या सरकार आदिवासियों को एक बीमार के तौर पर देखना चाहती है. यह सरकार पूंजीवादी सरकार है, जहां दलित-आदिवासियों के लिए कोई स्थान नहीं है. आर पी सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि आदिवासियों के प्रति यदि उनके मन में जरा भी सम्मान है, तो राजस्व मंत्री के इस बयान के लिए उनसे इस्तीफा लिया जाए.