रायपुर। पूर्व मंत्री और नेता प्रतिपक्ष रहे महेन्द्र कर्मा के पुत्र आशीष कर्मा को डिप्टी कलेक्टर के पद पर सरकार द्वारा अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं. पूर्व आईएएस अधिकारी और भाजपा नेता ओपी चौधरी ने भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर इस मामले में लिखा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में कर्मा परिवार को टिकट नहीं देना चाहती लिहाजा वह दावेदारी रोकने के लिए परिवार के सदस्य को डिप्टी कलेक्टर के पद पर अनुकंपा नियुक्ति देकर तुष्टिकरण का कदम उठाया है. उन्होंने इस फैसले को उन युवाओं के साथ अन्याय बताया है जो कि पीएससी की परीक्षा की बरसों से तैयारी कर रहे हैं. चौधरी ने इस फैसले पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर महेन्द्र कर्मा जीवित होते तो वे अपने बेटे को काबिलियत के आधार पर ही डिप्टी कलेक्टर बनाना चाहते न कि राजनीतिक तुष्टीकरण की बजाय. उन्होंने सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि सिर्फ शहीद कर्मा के पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति देकर झीरमकांड में शहीद हुए अन्य लोगों के साथ कांग्रेस सरकार ने अन्याय नहीं किया है.

आपको बता दें कि शनिवार को सीएम आवासा में हुई कैबिनेट की बैठक में कर्मा के पुत्र आशीष को डिप्टी कलेक्टर के पद पर अनुकंपा नियुक्ति देने का सरकार ने फैसला लिया था.

भाजपा सरकार ने क्यों नहीं निर्णय लिय़ा था

ओपी चौधरी के इस पोस्ट पर कांग्रेस ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कांग्रेस के प्रदेश संगठन के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन ने कहा कि इतने दिनों से यह मामला पिछले सरकार के शासन काल में लंबित था तो उन्होंने इस पर निर्णय क्यों नहीं लिया. शहीद कर्मा के परिवार वालों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से मुलाकात की थी, विधानसभा में भी सीबीआई जांच की मांग की गई. उस दौरान उनकी सद्भावना कहां थी. किस मुंह से ये बात कर रहे हैं.

यह लिखा है

मेरे व्यक्तिगत विचार:
मैं आदरणीय महेन्द्र कर्मा जी का बहुत सम्मान करता हुँ।कर्मा जी के बाद उनके परिवार से विधायक रहे,नगर पंचायत अध्यक्ष हैं, जिला पंचायत में भी प्रतिनिधित्व है,लोकसभा में भी उनके परिवार से चुनाव लड़ा गया।ये सब अपनी जगह है।लेकिन अब उनके एक पुत्र को कांग्रेस सरकार ने सीधा डिप्टी कलेक्टर बना दिया।कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि कर्मा परिवार को लोक सभा की टिकट की दावेदारी से रोकने के लिये कांग्रेस ने तुष्टिकरण का यह कदम उठाया है।यदि कर्मा जी होते तो शायद वो अपने बेटे को काबिलियत के आधार पर कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर बनाना पसंद करते न कि तुष्टिकरण की राजनीति के तहत।बेहतर होता कि कांग्रेस की सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करके लाखों युवाओं के साथ अन्याय करने के बजाय कर्मा जी के परिवार के आर्थिक सुरक्षा हेतु अनुकम्पा का कोई अन्य उपाय करती।।
इस परिवेश में मेरे मन में कुछ सवाल उठ रहे हैं,जिन्हें सार्वजनिक करना मैं अपना धर्म समझता हुँ।
1/ छत्तीसगढ़ के उन लाखों युवाओं के साथ क्या यह अन्याय नहीं है??जो युवा सालों से प्रदेश के सर्वोच्च प्रशासनिक पद को अपनी योग्यता से प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं??
2/ क्या जीरम कांड के अन्य शहीदों के परिवारों को कांग्रेसी सरकार के तुष्टिकरण के इस निर्णय से पीड़ा नही हुई होगी??
3/ हजारों जाबांज जवान,नक्सलियों से सीधे लड़ते हुए शहीद हुए हैं।उनके परिवारों को दर्द नही हो रहा होगा??
4/ बस्तर के सभी दलों के सामान्य जनप्रतिनिधि और आम आदिवासी भाई-बहन हर रोज माओवादी हिंसा से प्रभावित हो रहे हैं।दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी के आस्था गुरुकुल में नक्सल हिंसा से अनाथ हुए सैकड़ो आदिवासी बच्चे अपने बेहतर भविष्य के लिये पढ़ाई कर रहे हैं।क्या इन सब लोगों के साथ कांग्रेस सरकार का यह निर्णय अन्याय नही है??
जहां इस बार के पी०एस०सी० परीक्षा में डिप्टी कलेक्टर के लिये General- 1,ST -2,SC-0,OBC-0 पद कुल मात्र 3 पद,निकाले गये हैं, वहीं कांग्रेस सरकार का उक्त तुष्टिकरण का कदम छत्तीसगढ़ के युवाओं के साथ अन्याय नहीं है??