मुंबई। अभिव्यक्ति की आजादी कहने को तो मौलिक अधिकार है लेकिन अगर आप सरकार की आलोचना करने की भूल कर देंगे तो आपके इस मौलिक अधिकार को छीना जा सकता है. रविवार को मुंबई में हुई घटना इसका उदाहरण है. दरअसल एक जमाने मशहूर फिल्म अभिनेता और निर्माता-निर्देशक अमोल पालेकर को मुंबई में एक कार्यक्रम के बीच ऐसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्हें बीच में ही अपने भाषण को खत्म करना पड़ा.
पालेकर मोदी सरकार के संस्कृति मंत्रालय के कामकाज को लेकर उसकी आलोचना कर रहे थे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों के बारे में बात कर रहे थे. इसी दौरान आयोजकों ने उन्हें बोलने से मना कर दिया. कार्यक्रम में मचे अवरोध के बीच पालेकर को अपना भाषण बीच में ही खत्म करना पड़ा. पालेकर को जब कार्यक्रम के अधिकारी ने भाषण के दौरान टोका तो उन्होंने कहा कि आप मुझे बोलने से मना कर रहे हैं. पालेकर ने कहा कि अगर आप नहीं चाहते हैं कि मैं बोलूं तो मैं नहीं बोलूंगा. इसके बाद वे वहां से हट गए.
पालकेर अपने भाषण में संस्कृति मंत्रालय के एक आदेश की आलोचना कर रहे थे जिसके तहत मुंबई और बेंगलुरु के नेशनल गैलरी ऑफ मॉर्डन आर्ट से लोकर आर्टिस्ट की एडवाइजरी कमेटी को खत्म कर दिया गया है और सरकार ने इसे अपने कंट्रोल में ले लिया है.
घटना के दौरान का वीडियो पोस्ट करते हुए कांग्रेस नेता अनु टंडन ने लिखा कि वर्तमान समय में असहिष्णुता यही है. यह दुखी करने वाला है. उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मंत्रालय की आलोचना करने के कारण एक कलाकार को बोलने से रोका गया. उधर इस पूरे मामले में अमोल पालेकर पुणे स्थित पत्रकार भवन में आज दिन के दो बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
पालेकर 70 के दशक में अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की थी. इस दौरान उन्होंने कई फिल्मों में काम किया लेकिन उनकी गोलमाल एक ऐसी यादगार फिल्म रही है जिसे आज भी देखा और पसंद किया जाता है.