लखनऊ। योगी के यूपी में भीड़तंत्र इस कदर हावी है कि अब प्रदेश में पुलिस भी सुरक्षित नहीं है. बुलंदशहर में एक इंस्पेक्टर की हत्या को कुछ ही दिन बीते थे कि भीड़ ने गाजीपुर में एक और पुलिस कर्मी की हत्या कर दी. पुलिस इस मामले में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. आपको बता दें कि मृतक कांस्टेबल सुरेश वत्स पीएम मोदी की रैली के वक्त ड्यूटी पर था. रैली खत्म होने के बाद जब लौट रहे थे तो प्रदर्शनकारी भीड़ ने उन पर हमला कर दिया. इस हमले में उनकी मौत हो गई. योगी ने मृतक के परिवार को 50 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी के साथ ही पेंशन दिये जाने की बात कही है. वहीं मॉतक कांस्टेबल के बेटे वीपी सिंह ने कहा कि ‘पुलिस खुद की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है. हम उनसे क्या अपेक्षा कर सकते हैं? अब मुआवजा लेकर हम क्या करेंगे? इससे पहले भी बुलंदशह और प्रतापगढ़ में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं.’

बुलंदशहर में इसी माह गोकशी के शक में भीड़ ने इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या कर दी थी. इस मामले में भाजपा नेता और बजरंगदल के नेता मुख्य आरोपी हैं, उन पर भीड़ को भड़काने का भी आरोप है.

इससे पहले अगस्त माह में प्रतापगढ़ में एक सपा नेता की हत्या के बाद भीड़ ने सड़क पर जाम लगा दिया था. जाम हटाने पहुंची पुलिस पर भीड़ ने हमला कर दिया था. हमले में जैसे-तैसे पुलिस कर्मियों ने भाग कर अपनी जान बचाई थी लेकिन इस हमले में कई पुलिस कर्मी गंभीर रुप से घायल हो गए थे.

इसी साल अगस्त माह में गो-तस्करी के शक में भीड़ ने दो युवकों के ऊपर हमला कर दिया था. भीड़ ने दोनों युवकों के साथ जमकर मारपीट की थी और उनकी परेड कराई थी.

2015 में बिसाहड़ा गांव में गोमांस के अफवाह पर भीड़ ने अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. कुछ लोगों ने दावा किया था कि अखलाक के घर में बछड़े का मांस पकाया गया है. जिसके चलते गांव का गांव इकट्ठा हो गया और भीड़ ने बगैर किसी सुनवाई के अखलाक हत्या कर दी थी. इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और देश विदेश में काफी आलोचना हुई थी.

इनके अलावा और भी मामले हैं जो सिर्फ इतना बताने के लिए काफी है कि योगी के राज में कानून दम तोड़ते जा रहा है और लाठी-डंडों व हथियारों से लैस भीड़ ही कानून की जगह लेती जा रही है. जिसकी वजह से कई निर्दोंषों का अपनी जान गंवानी पड़ रही है.