रायपुर- अब भला बेचारे करते भी तो क्या। सरकार का डंडा जो चल गया था। करना पड़ा होगा। आखिर रातों रात सब कुछ अचानक से बदल गया।
आइए आप भी सुनिये हैरान करने वाली इस खबर को। दरअसल हुआ यूं कि दुर्ग पुलिस को अवैध शराब छिपाए जाने की सूचना मिली । पुलगांव थाना और क्राइम ब्रांच की टीम ने मौके पर जाकर पड़ताल शुरू की तो आंखें चौंधिया गई।
खेतों से सोने- चांदी के मटके निकलने के किस्से तो सबने सुन रखे थे, लेकिन आंखों के सामने जो नजारा था, उसने सारे किस्से कहानियों की कल्पनाओं को भी पीछे छोड़ दिया। यहां खेत अनाज की जगह शराब की बोतलें उगल रहे थे।
शराब संस्कृति के पुरोधाओं ने बकायदा अवैध शराब की पूरी खेप खेत के नीचे सजा रखी थी। पुलिस ने खेत की खुदाई शुरू की तो घड़ी की सुई धीरे-धीरे घंटों के काटों को पार करती चली गई, लेकिन खेत ने शराब की बोतलें उगलना बंद नहीं किया।
लल्लूराम ने पता किया कि बार और जमीन पुराने शराब ठेकेदार राजेश सिंह की है। इलाके के बड़े शराब ठेकेदार ने भविष्य की पूरी तैयारी कर रखी थी। जमीन पर अवैध शराब रखने की जगह मिली नहीं, सो तय किया गड़े धन की तरह जमीन के नीचे ही गाड़ दिया जाए।
शिवनाथ नदी से लगे बेलौदी मार्ग पर पुराने बार के ठीक पीछे लगी लगभग 12 एकड़ के खेत पर 13 से अधिक स्थानों पर शराब का जखीरा जमीन में गाड़ रखा था। खेत में ही निर्माणाधीन दो कमरों के किनारे बकायदा प्लास्टिक की तालपतरी भी रखी गई थी, जिससे खुदाई का पता ना चल सके और उस पर भी बड़ी सफाई से जीरा गिट्टी डाल दिया गया, जिससे एक नजर में कोई ये अंदाजा भी ना लगा पाए कि जमीन के नीचे मदहोश करने वाली शराब का जखीरा रखा गया है।
लेकिन थी भी तो रमन की पुलिस। उस रमन की जिसने ये सौगंध खा रही है कि अवैध शराब की बिक्री कोई नहीं कर सकेगा। सारे ठेके सिर्फ उनकी सरकार के ही होंगे। पुलिस ने बडी़ चालाकी से ये पता लगा ही लिया कि आखिर शराब की बोतलें खेत के किस-किस हिस्से में गड़ाया गया है। छह-छह फीट गहरा गड्ढा कर पुलिस शराब की बोतलें निकालती रही। दिन भर चली मशक्कत के बाद शराब इतनी निकली की उसकी जब्ती बनाकर उसे मेटाडोर से ले जाना पड़ा। बावजूद इसके खुदाई खत्म नहीं हुई। खेत की खुदाई के लिए बकायदा पुलिस प्रशासन ने 30 मजदूरों को काम पर लगाया था।
सेप्टिक टैंक में भला कोई शराब रखता हैं?
शराब पानी वालों को शराब चाहिए, ऐसे में शराब सेप्टिक टैंक में ही क्यों ना रख दिया जाए। खेत के करीब ही बनाए गए सेप्टिक टैंक की भी टोह जब पुलिस ने ली, तो सेप्टिक टैंक ने भी खूब बोतलें उगली। सेप्टिक टैंक के भीतर पुलिस को लोहे के बने तीन और टैंक मिले जिसके भीतर शराब की बोतलें रखी गई थी।
पुलिस ने फिलहाल पूरे खेत को अपने कब्जे में ले लिया है। खेत शराब ऐसे उगल रहे कि लगता है कि खुदाई एक- दो दिन और चलेगी। हालांकि पुलिस ने इस मामले में सिर्फ इतना कहा है कि खेत में खुदाई का काम जारी है। पूरा होने के बाद ही शराब की खेप के वास्तविक आंकड़ें सामने आ पाएंगे।
दुर्ग पुलिस की इस कार्रवाई के बाद इतना जरूर लग रहा है कि अब छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में सरकार सूंघ-सूंघ कर अवैध शराब का जखीरा बाहर निकालेगी।