रायपुर। पृथक राज्य बनने के 18 और राजभाषा बनने के 11 साल बाद भी छत्तीसगढ़ी माध्यम से न तो अब प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत हो सकी है और न सरकारी काम-काज की. इन स्थितियों के बीच अब एक और नई जानकारी निकलकर सामने आई जिसे लेकर छत्तीसगढ़ी सहित प्रदेश की मातृभाषाओं को लेकर आंदोलनरत् नंदकिशोर शुक्ल ने अनशन तक की चेतावनी दे दी है.

छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच के संयोजक नंदकिशोर शुक्ल ने कहा है कि सुनने में आया है कि भाजपा विधायक की ओर से विधानसभा के भीतर कोई अशासकीय संकल्प लाया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि सदन का मत है कि छत्तीसगढ़ी भाषा प्राथमिक शाला स्तर तक शैक्षेणिक पाठ्यक्रम में अनिवार्य किया जाए. लेकिन इसमें छत्तीसगढ़ी माध्यम के रूप में रहेगा या नहीं यह स्पष्ट नहीं है.  भाजपा विधायक छत्तीसगढ़ी को शिक्षा का माध्यम बनाने को लेकर संकल्प ला रहे हैं तो हम समर्थन करेंगे, बधाई देंगे. लेकिन सिर्फ एक विषय के रूप में पढ़ाने की बात होगी तो बर्दाशत नहीं किया जाएगा.  हमारी मांग सिर्फ और सिर्फ एक ही है कि 8वीं तक न सही तो कम से कम 5वीं तक माध्यम के रूप में मातृभाषा में शिक्षा दी जाए.

मातृभाषा में पढ़ाई-लिखाई के लिए न तो विधानसभा में किसी संकल्प की जरूरत और न आठवीं अनुसूची में शामिल होना. शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सरकार को इसे तत्काल लागू करना चाहिए.

अगर मातृभाषा में शिक्षा को लेकर किसी तरह की कोई खिलवाड़ या साजिश होगी तो अब आग्रह, निवेदन या मांग नहीं करेंगे बल्कि अनशन करेंगे. हमें भी देश की अन्य राज्यों की तरह मातृभाषा में पढ़ने-लिखने का अधिकार है. और इस अधिकार से हमें कोई भी सरकार वंचित नहीं रख सकती. उम्मींद है हमारी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी, हल्बी, गोंडी, कोड़ुक, सरगुजी, भतरी में शिक्षा देने सरकार आदेश जारी करेगी.