रायपुर। रायपुर लोकसभा सीट के कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद दुबे ने नामांकन दाखिल किए जाने के बाद लल्लूराम डॉट कॉम से हुई खास बातचीत में जीत का दावा किया है. दुबे ने विपक्षी उम्मीदवार पर हमला बोलते हुए केंद्र की बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. दुबे ने कहा कि जो बिचारे चुनाव लड़ रहे हैं, जो 15-20 दिन के लिए बाहर निकलते हैं, उन्हें पसीना ज्यादा आता है. हम इसमें रहने के आदि है. हम 12 महीने काम करने वाले लोग हैं. हम पब्लिक के बीच रहते हैं.

उन्होंने कहा गुस्सा है लोगों में बीजेपी के कार्यकाल को लेकर, गुस्सा है लोगों में बीजेपी की चाल, चरित्र औऱ चेहरे को लेकर, गुस्सा है लोगों में जब उमा भारती कहती हैं कि एक साल में गंगा साफ नहीं करूंगी को कूद जाउंगी, गुस्सा है इस बात को लेकर की मोदी कहते हैं पकौड़ा बेचना भी रोजगार है, अब कहेंगे कटोरा लेकर भीख मांगों उसमें भी रोजगार है. ये वे लोग है जो जनता का मजाक उडाते हैं, ये वो लोग हैं जब अटल बिहारी बाजपेयी की अस्थि कलश आती है, तो मजाक उड़ाते हैं, ये जनता के किसी भी मुद्दों को न तो गंभीरता से लिए हैं और न ही लेंगे.

प्रमोद दुबे ने कहा कि  चुनाव तो चुनाव होता है, जितनी पहले चुनौतियां आती हैं, उसे हम स्वीकार करते आए हैं. उनके यहां हर कोई सिर्फ चुनौती देते आए हैं. पहले कहा 65 प्लस हमारा होगा इतनी बड़ी चुनौती देते हैं, तो हम घबरा जाते हैं, लेकिन उन चुनौतियों का जवाब फिर जनता देती है. ऐसा कौन सा काम कर दिया कि मोदी के चेहरे आधार पर वोट पड़ेंगे. ग्रेजुएट, इंजीनियर यहां पब्जी खेलने पर मजबूर हैं, माता-पिता ताने कसते हैं, क्योंकि रोजगार नहीं है. राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे, तब आईटी में बड़ा काम हुआ था. अमेरिका में भी जाकर लोग जाॅब कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार में भी रोजगार और व्यापार बढ़ा, लेकिन पिछले चार साल में गंभीरता से कोई मुद्दा आया क्या. कभी तीन तलाक आ जाता है, कभी राम मंदिर, जनवरी में अलग मुद्दा, फरवरी में अलग मुद्दा, यानी 12 महीने के 12 अलग-अलग मुद्दे. अब एयर स्ट्राइक आ गया. कांग्रेस जो स्ट्राइक करती थी, वह लोगों को 35 किलो चावल मिले इसलिए करती थी, कांग्रेस के लोग स्ट्राइक करते थे, क्योंकि बेरोजगार इंजीनियर को रोजगार मिले, कांग्रेस इसलिए स्ट्राइक करती थी कि लोग चैन की नींद सो सके कि इंकम टैक्स, सेल टैक्स वाला न आए. नोटबंदी के बाद जो भय का माहौल देश में बना था, उससे आज तक कोई उबर नहीं पाया है.  जीएसटी में जो हमाम साबुन था, जो सवा नौ रूप में मिलता था अब 14 रूपए में मिल रहा है. उज्जवला योजना में एक बार गैस की रिफिल कराई लेकिन अब चूल्हे में खाना पक रहा है. मौजूदा सरकार होर्डिंग में दिखती है, ऊपर-ऊपर लेकिन नीचे नहीं है.