रायपुर. पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्राकर ने कहा है कि पंचायत संवर्ग के शिक्षकों द्वारा संविलियन की मांग को लेकर विगत 14 दिनों से स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को ठप करते हुए जो आंदोलन किया जा रहा है, वह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। चंद्राकर ने कहा कि उनकी संविलियन की मांग संवैधानिक दृष्टि से पूर्ण नहीं की जा सकती. इसका कारण बताते हुए श्री चंद्राकर ने कहा – संविधान के 73वें संशोधन के जरिये त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था लागू की गई है. इससे देश में चार स्तरीय लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू हो गई है. जिसमें विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका के बाद एक और लोकतांत्रिक व्यवस्था पंचायत राज संस्थाओं के रूप में शामिल हैं. शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति पंचायत राज संस्थाओं द्वारा की गई है, इसलिए वे पंचायत संवर्ग के कर्मचारी है.
चंद्राकर ने कहा कि जिस प्रकार सरकारी सेवाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा, न्यायिक सेवा और पुलिस सेवा आदि संवर्गों में से किसी भी एक संवर्ग के अधिकारी का संविलियन दूसरे संवर्ग में नहीं हो सकता, ठीक उसी तरह पंचायत संवर्ग के शिक्षकों का संविलियन भी तकनीकी दृष्टि से संभव नहीं है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संविलियन को छोड़कर उनकी सभी मांगों पर विगत वर्षां में समय-समय पर संवेदनशीलता के साथ विचार करते हुए उनकी आर्थिक स्थिति को लगातार बेहतर बनाया है. मुख्यमंत्री ने उन्हें सरकारी शिक्षकों के समतुल्य वेतनमान भी दिया है. फिर भी शिक्षाकर्मी अपनी हठधर्मिता का परिचय दे रहे हैं.
चंद्राकर ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षाकर्मियों के प्रतिनिधियों से उनकी मांगों पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था. अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल ने शिक्षाकर्मियों को आमंत्रित कर यह पेशकश की थी, जिसे आंदोलनकारी शिक्षाकर्मियों ने मानने से इंकार कर दिया. यह भी उनकी हठधर्मिता का परिचायक है.
पंचायत मंत्री ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्य पूर्ण है कि शिक्षाकर्मियों को प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों नौनिहालों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है और वे सिर्फ संविलियन की मांग को लेकर अड़ियल रूख अपनाए हुए हैं और स्कूली बच्चों की पढ़ाई का नुकसान कर रहे हैं.