- स्कूली शिक्षा में नवाचार एवं श्रेष्ठ अभ्यास पर कार्यशाला
- रमन ने कहा- नक्सल प्रभावित 7 जिलों में स्कूलों को नक्सलियों ने उड़ाया, तो दिल्ली के दाढ़ी वालों ने आवाज क्यों नहीं उठाई?
- प्रकाश जावड़ेकर ने किया ऐलान- होगी पांचवी,आठवीं की परीक्षा, बंद होंगे डिग्री बेचने वाले शैक्षणिक संस्थान
रायपुर- शिक्षा में लापरवाही हुई तो अब सूबे के मुखिया बर्दाश्त नहीं करेंगे। तल्ख लहजे में कह दिया है कि- शिक्षा की गुणवत्ता में थोड़ी भी गफलत हुई तो सहन नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ के बाहर दिल्ली में जब शिक्षा की जब बात होती थी, तो यहां के बस्तर जैसे इलाकों में शिक्षा के हालात की तुलना हरियाणा, पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों से की जाती थी। ये समझे बगैर कि हर किसी के कपडे़ एक साइज के नहीं होते। केंद्र में सरकार बदलने के बाद मंत्री से लेकर अधिकारी तक प्रदेश और खासतौर पर बस्तर जैसे सुदूर इलाकों में शिक्षा के हालातों को बेहतर तरीके से समझते हैं। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह स्कूली शिक्षा में नवाचार एवं श्रेष्ठ अभ्यास पर आय़ोजित कार्य़शाला में बोल रहे थे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वी क्षेत्रीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के अलावा पं.बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के प्रतिभागी शामिल हुए। इस दौरान केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की मौजूद थे।
कथित मानवाधिकार संगठनों पर निशाना साधते हुए डा.रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित 7 जिलों के हजारों स्कूलों को ध्वस्त कर दिया गया, लेकिन दिल्ली में बैठे दाढ़ी वालों ने इनके खिलाफ कभी आवाज नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि हमने ऐसे इलाकों में शिक्षा पहुंचाने के लिए एक विकल्प ढूंढा और अभिनव पहल करते हुए पोटा केबिन बनाया। 120 करोड़ रूपए खर्च कर दंतेवाडा़ में एजुकेशन सिटी बनाया, जहां आज साढ़े सात हजार बच्चे रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों के प्रतिभावान बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए प्रयास संस्था शुरू की। डा.रमन सिंह ने कहा कि एजुकेशन को लेकर हमने देश को बेहतर माडल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब दंतेवाड़ा जिले के दौरे पर आए थे, तो एजुकेशन सिटी को देखकर हतप्रभ रह गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीढ़ियों के निर्माण के लिए ये नवाचार जरूरी है।
जब सीएम ने कहा- हमारा दिल बड़ा, लेकिन पैसा कम
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि शिक्षा में नवाचार की पहल कर रहे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पहले देश का पर्यावरण ठीक करने में लगे थे, अब शिक्षा को ठीक कर रहे हैं। उनके इतना काम करते मैंने किसी को नही देखा। उन्होंने कहा कि हर किसी के लिए पहली से पांचवी तक की शिक्षा गोल्डन पीरियड होती है। मुझे आज भी पांचवी तक के शिक्षकों के नाम याद हैं। उन्होंने कहा – डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की याद में छत्तीसगढ़ में हमने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने का एक प्रयोग किया है। धीरे धीरे इसमें सुधार आ रहा है। मुझसे लेकर मंत्री सचिव तक खुद स्कूलों में पढ़ाने जाते हैं। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मांग की कि अन्य जिलों में शुरू हो रहे प्रयास संस्था को मानव संसाधन विकास मंत्रालय गोद ले ले। उन्होंने कहा कि हमारा दिल बड़ा है, लेकिन पैसा कम है। मुख्यमंत्री ने प्रकाश जावड़ेकर से प्रदेश में 47 गर्ल्स हास्टल खोले जाने की भी मांग की। साथ ही कहा कि केंद्रीय मंत्री को दंतेवाडा़ और सुकमा में शिक्षा के क्षेत्र में हुए काम को देखने का न्यौता देते हुए कहा कि शिक्षा के मंदिर का दर्शन करना है, जहां जाकर आपको सुकून महसूस हो सके तो दंतेवाड़ा और सुकमा के मंदिर में जरूर आ जाये।
पांचवीं-आठवीं की परीक्षा अनिवार्य होगी, डिग्री बेचने वाले बाजार बंद होंगे- जावड़ेकर
वर्कशाप में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पिछली सरकारों ने शिक्षा की गुणवत्ता को ताक पर रख दिया था। अब उसे दोबारा पटरी पर लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में पांचवी-आठवीं की परीक्षाएं जल्द दोबारा शुरू की जाएगी। इसे लेकर संसद में बिल पेश किया जाएगा। जावड़ेक ने देश के शिक्षकों के स्तर पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिक्षक ही बेहतर शिक्षा के घटक हैं, लेकिन देश में ज्यादातर जगहों पर इसमें धूल जम गई है। शिक्षकों का प्रशिक्षण ठीक नहीं है और जब प्रशिक्षण ठीक नहीं होगा, तो गुणवत्ता कैसी होगी? प्रकाश जावड़ेकर ने दो टूक कहा कि देश में बीएड-डीएड की डिग्री बांटने का बड़ा बाजार चल रहा है। ऐसी छह हजार शैक्षणिक संस्थाओं को नोटिस जारी किया गया है। ऐसे बाजार को हम जल्द बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगड़, मध्यप्रदेश में अब निजी स्कूल से निकलकर वापस सरकारी स्कूलों में आ रहे हैं। लेकिन देश के दूसरे जगहों पर ऐसा नही हो रहा। लोगों को लगता है कि प्रायवेट स्कूल में अच्छी शिक्षा मिल रही है। यही वजह है कि गरीब से गरीब परिवार भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में डाल रहे हैं। लोगों को लगता है कि अंग्रेजी स्कूलों में अच्छी शिक्षा मिलती है। लेकिन ऐसा नहीं है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि- एक पीढ़ी का भविष्य हमारे हाथ मे हैं। यदि बच्चों की प्राथमिक शिक्षा ही ठीक नही होगी तो उनका भविष्य ठीक नही हो सकता। इसे ही दुरुस्त करने की पहल कर रहे हैं। जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर एक जम्बूरी भी करेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार ने ये अच्छी पहल की है कि सीएम से लेकर अधिकारी तक स्कूलों में जा रहे हैं।
24 पोटा केबिन के लिए मिले 60 करोड़
जावड़ेकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में स्कूलों को जलाने वाले देश के सबसे बड़े दुश्मन है। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की मांग पर उन्होंने प्रदेश में 24 पोटा केबिन बनाने के लिए 60 करोड़ रूपए देने का ऐलान किया। साथ ही पोटा केबिन में अब दसवीं तक की पढ़ाई कराई जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रयास संस्था के लिए भी बेहतर प्रयास किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता की बेहतर मानिटरिंग के लिए 100 करोड़ रूपए की मंजूरी केंद्र सरकार ने दी है। टेबलेट के जरिए ये मानिटरिंग की जाएगी। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार को आश्वासन देते हुए कहा कि शिक्षा गुणत्ता के लिए कभी भी पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा की जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स चोरी रूकेगी। सरकार की आय दोगुनी हो जाएगी। इससे होने वाली आय में बड़ा हिस्सा शिक्षा के लिए खर्च किया जाएगा।