ये हैं सुखलिया बाई. चेहरे पर पड़ी झुर्रियां जिंदगी के संघर्ष को बयां कर रही है, लेकिन इन झुर्रियों के बीच चेहरे पर छाई मुस्कान उनके संघर्षों को फीका करने का एक जरिया बना है. इस मुस्कान के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है. कैमरे के सामने तस्वीर खिंचाने के मौके सुखलिया बाई को शायद बेहद कम ही अवसर पर मिले होंगे, लेकिन आज वह अपने स्मार्टफोन के जरिए सेल्फी ले रही है. यह सेल्फी ही उनके मुस्कान की सबसे बड़ी वजह है. ग्रामीण जीवन जीने वाली सुखलिया के लिए सेल्फी जैसे शब्द नए हैं, लेकिन वह इस बात से खुश है कि उसके हाथों स्मार्टफोन आया है. दरअसल छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने का संकल्प लेकर चल रहे सूबे के मुखिया डाॅ.रमन सिंह के सपने का यह एक नया आयाम ही है कि राज्य के सुदूर अंचलों में भी अब हर हाथों में स्मार्टफोन है. यह महज एक मोबाइल ही नहीं है, बल्कि ग्रामीण बसाहटों में रहने वाली लाखों जिंदगी को विकास से जुड़ने की एक कामयाब कोशिश है. इस कोशिश के बूते ही रमन सरकार का सपना अब साकार होने जा रहा है. रमन ने ग्रामीण इलाकों को देश और दुनिया से जोड़े जाने का जो वादा किया था, अब वह वादा पूरा हो रहा है. आज छत्तीसगढ़ मोबाइल क्रांति की दिशा में लंबी छलांग लगाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. सुखलिया की तरह सैकड़ों-हजारों चेहरे हैं, जो न केवल मोबाइल की रोशनी में चमक रहे हैं, बल्कि यह चमक विकास की एक नई इबारत भी लिखने जा रही है. 

कोरिया जिले के बैकुंठपुर विकासखंड के बुढ़ार गांव में रहने वाली सुखलिया के लिए यह एक सपने की तरह ही है कि उसके हाथों में आज स्मार्टफोन है. कल तक सुखलिया के लिए स्मार्टफोन खरीदना सपने खरीदने जैसा था. कभी गांव में किसी के हाथों फोन देख उसकी भी चाहत होती कि कभी उसके हाथों भी ऐसा ही स्मार्टफोन आए. चाहत को उस वक्त परवान चढ़ा, जब रमन सरकार ने संचार क्रांति योजना (स्काई) के तहत स्मार्टफोन बांटे जाने का ऐलान किया था. रमन के इस ऐलान के साथ देश के सुदूर इलाकों में रहने वाली महिलाओं की चाहत खिल गई. वक्त करीब आता गया और सपना महज चंद दहलीज पर जा खड़ा हुआ. मोबाइल तिहार कार्यक्रम में जब सुखलिया के हाथों मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्मार्टफोन सौंपा, तो चेहरा तो खिला ही सबसे पहले सुखलिया ने अपने फोन से अपनी ही सेल्फी ले ली. सुखलिया कहती है कि-
ऐसी शायद ही कोई तस्वीर हो जो मेरे जेहन में बसी हो. लेकिन यह तस्वीर मेरे लिए बेहद खास है. घर पर इससे पहले कोई स्मार्ट फोन नहीं था. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि खुशियों को खरीदा जा सके. मजदूरी करके परिवार का गुजारा होता है. ऐसे में स्मार्ट फोन खरीदना कहां आसान था. घर पर एक मोबाइल था लेकिन कीपैड वाला. उससे स्मार्ट फोन जैसी खुशियां कहां मिलती. मजदूरी करते वक्त जब कभी दूसरों को फोन से फोटो खींचते देखती, उससे एक-दूसरे को बात करते देखती तो इच्छा होती कि एक दिन वैसा ही स्मार्टफोन मेरे पास भी आए. आज यह इच्छा पूरी हो गई है. रमन सरकार के स्मार्ट फोन से अब मैं कुछ स्मार्ट हो गई हूँ. मैं सेल्फी भी ले लेती हूँ, मैं वीडियो कॉल भी कर लेती हूँ. 
सुखलिया की चाहत स्मार्टफोन में महज सेल्फी लेने तक सीमित नहीं है. वह इस बात को बखूबी समझती भी है कि यह फोन उसे सरकार की जनहित योजनाओं से भी जोड़ेगा. मोबाइल फोन में मौजूद अलग-अलग योजनाओं से जुड़कर उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी आएगा. सुखलिया कहती है कि सरकार ने उसे मोबाइल तो दिया ही है, लेकिन अब वह उस मोबाइल के जरिए सरकारी योजनाओं के और भी ज्यादा करीब हो जाएगी. 

देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी योजना

संचार क्रांति योजना देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन बांटे जाने वाली योजना है. लेकिन यह महज सिर्फ एक योजना नहीं है, यह रमन सरकार की विकास को अंतिम छोर तक पहुंचाने की बड़ी कल्पना का छोटा सा हिस्सा है. संचार क्रांति योजना शुरू होने के पहले छत्तीसगढ़ की ऐसी तस्वीर नहीं थी. सुदूर इलाकों में मोबाइल कनेक्टिविटी का न होना विकास से उस क्षेत्र को दूर करने जैसा था. रमन सरकार ने बेहतर कनेक्टिविटी के लिए संकल्प लिया और फिर इस संकल्प का ही नतीजा रहा कि मुख्यमंत्री ने संचार क्रांति योजना को जन्म दिया. अब प्रदेश के कोने-कोने में मोबाइल टाॅवर खड़े किए जा रहे हैं. टाॅवर खड़ा कर बेहतर कनेक्टिविटी तैयार की जा रही है. कनेक्टिविटी बेहतर होगी, तो जाहिर है सुदूर इलाकों में रहने वाले लोग भी विकास की कड़ी का अहम हिस्सा होंगे. विकास से जुड़ने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. 

रमन ने कहा मैं स्मार्टफोन रखता हूं, तो प्रदेश के लोग आखिर क्यों नहीं.

मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह कहते हैं कि स्काई योजना प्रदेश के लोगों को विकास से जोड़ने की एक पहल है.मोबाइल तिहार के कार्यक्रमों में रमन अक्सर कहते हैं कि- जो स्मार्टफोन मैं अपनी जेब में रखता हूं, आखिर प्रदेश के आदिवासी, गांव-गरीब, किसान, अनुसूचित वर्ग के लोग क्यों नहीं रख सकते. आखिर क्यों ग्रामीण अंचलों की महिलाएं, काॅलेजों में पढ़ने वाले युवाओं को तकनीक से जोड़ा जाए? रमन कहते हैं कि स्काई योजना दरअसल विकास की लंबी छलांग लगाने की योजना है. आसमानी छलांग, जो राज्य को विकास के सबसे ऊंचे पायदान पर जाकर खड़ा कर दे. 
(sponsored)