दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज ना होना पड़े इसलिए घर की चारदिवारी से निकलकर महिलाओं ने रोजगार का दामन थामा. कोई कपड़े स्त्री करने का काम करती है तो कोई होटल चलाकर सालोंं से परिवार का पेट पाल रही है. इन सभी महिलाओं ने अपनी इच्छाओं अपने सपने को ताक पर रख घर की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया. इनके आर्थिक हालात ऐसे हैं कि किसी तरह परिवार का खर्च चल रहा है दो वक्त की रोटी आसानी से उप्लब्ध हो जाती. इसके अलावा अतिरिक्त भौतिक सुख-सुविधाओं की उप्लब्धता घर में ज्यादा नहीं है. जरूरत पड़ने पर इन्हे दूसरों से फोन मांगकर बात करनी पड़ती. कभी-कभी अपने मन को समझा लिया करती कि फोन लेने के लिए सक्षमता नहीं है. इन स्वावलंबी महिलाओं की इच्छाओं को पूरा किया प्रदेश की रमन सरकार ने. संचार क्रांति योजना के तहत इन महिलाओं को स्मार्ट फोन बांटे गए हैं. स्मार्ट फोन मिलने से महिलाएं पहले से कहीं ज्यादा आत्मनिर्भर हुई हैं.
विधि अग्निहोत्री । अभनपुर गांव की तस्वीर स्मार्ट फोन बांटे जाने के बाद कितनी बदली हैं यह खुद वहां के निवासी बताते हैं. धमतरी जाने वाली रोड़ पर एक होटल है अनीता लगभग 30 सालों से इस होटल का संचालन कर रही हैं. होटल में चाय, समोसे, पकोड़े बनाकर बेचती है तो महिने भर में लगभग 3000 रूपयों की आमदनी हो जाती है. इतनी आमदनी से ही पूरे परिवार का खर्च चलाना होता है. लिहाजा अतिरिक्त खर्च के लिए आमदनी से कुछ बचता ही नहीं. एेसे में अपने लिए कभी फोन लेने का अनिता ने सपना ही नहीं देखा. लेकिन जब कहीं बात करने लिए पड़ोसियों से फोन मांगना पड़ता तो लगता कि काश एक फोन वो अपने लिए ले पाती. लेकिन कम आमदनी के चलते फोन खरीद पाना मुश्किल था. अनीता की इस अधूरी ख्वाहिश को पूरा किया प्रदेश की रमन सरकार ने. संचार क्रांति योजना के तहत अनीता को भी स्मार्ट फोन मिला. उसने रूंधे हुए गले से बताया कि वो फोन मिल जाने से कितनी खुश है. मानो किसी ने अधूरा ख्वाब पूरा कर दिया हो. अब वह फोन चलाना सिख रही है. किसी से बात करनी होती है तो वह अपना फोन दिखाकर कहती है कि मैं इससे फोन लगा लेती हूं, रिश्तेदारों से बात कर लेती हूं. अब मुझे किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहींं.
सुलोचना भी सड़क किनारे अपनी छोटी सी दुकान मे कपड़े स्त्री करने का काम करती हैं. हर दिन 300 रूपये कमा लेती है बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए लोगों के कपड़े स्त्री करती है. सुलोचना कहती है कि उसके घर का खर्च बस किसी तरह चल जाए यही सोच के हर दिन जी तोड़ मेहनत करती है. सुलोचना का घर अभनपुर बस्ती में है छोटा सा घर है भौतिक सुविधाओं का अभाव है. एक स्मार्ट फोन खरीदने के लिए कभी सोच ही नहीं सकती क्योंकि आमदनी बहुत कम है. एेसे में परिवार का पेट पाले कि स्मार्ट फोन ले. लेकिन मन ही मन सोचती की अगर घर में एक स्मार्ट फोन होता तो अच्छा होता. सुलोचना को जब संचार क्रांति योजना से स्मार्ट फोन मिला तो मानो उसके सपनों को पर लग गए. अब फोन लगाकर ही ग्राहकों से बात कर लेती है. सुलोचना को यकीन नहीं हो रहा कि स्मार्ट फोन मिल जाने से उसके सारे काम इतने आसानी से हो रहे हैं. उसने ज्यादा कुछ चलाना तो सिखा नहीं है लेकिन फोन लगाना वीडियो कॉल करना उसने सीख लिया है.
इसी तरह लक्ष्मी आंगनबाड़ी में खाना बनाने का काम करती है स्मार्ट फोन मिल जाने से उसके और उसके बच्चों का काम आसान हो गया है. लक्ष्मी फोन पर ही सूचनाएं ले लेती हैं उसके बच्चे अभी स्कूल में पढ़ाई करते हैं कई बार तबियत खराब हो जाने या विषय समझ नहीं आने पर इंटरनेट से ही देखकर पढ़ाई कर लेते हैं इससे बच्चों की पढ़ाई आसान हो गई है. वो अब किसी भी विषय में पिछे नहीं रहते.
संचार क्रांति योजना सरकार की महती योजना है इस योजना का लाभ ना सिर्फ हितग्राहिओं को हो रहा है बल्कि पूरे परिवार को इससे लाभ हो रहा है. कोई देश दुनिया की खबर से अपडेट हो रहा है. कोई सरकारी योजनाओं की जानकारी ले रहा है, कोई पढ़ाई कर पा रहा है, तो किसी ने फोन से ही अपना व्यव्साय शुरू कर दिया है. इस योजना ने छत्तीसगढ़ की जनता को स्मार्ट बनाने का काम किया है.
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