रायपुर। राजनीति में ना कोई किसी का पक्का दोस्त होता है और ना ही दुश्मन. छत्तीसगढ़ में ऐसे ही राजनीति के दो विपरीत ध्रुव हैं डॉ रमन सिंह और भूपेश बघेल. झीरम कांड के बाद जब भूपेश बघेल पीसीसी अध्यक्ष बनाए गए तो उन्होंने एक फरमान जारी किया. फरमान था भाजपा नेताओं के साथ सार्वजनिक रुप से मंच शेयर नहीं करने का. भूपेश ने अपने उस फरमान को खुद निभाया भी, जब तक वे विपक्ष में रहे तब तक उन्होंने कभी डॉ रमन सिंह के साथ मंच साझा नहीं किया. कई दफा ऐसे मौके भी आए जब दोनों आमने सामने टकराए भी लेकिन उस दौरान भी दोनों ने कभी भी आपस में हाथ तक नहीं मिलाया.
2013 से शुरु हुई अदावत 2018 में जा कर तब पूरी हुई जब कांग्रेस ने राज्य में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री के लिए चुना गया. भूपेश ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण समारोह में जिन नेताओं को खुद फोन कर आमंत्रित किया था उनमें रमन सिंह का नाम सबसे पहले था. भूपेश के आमंत्रण पर डॉ रमन सिंह काफी पहले पहुंच भी गए और उन्होंने बाकी नेताओं के पहुंचने का मंच पर इंतजार भी किया. फिर वो घड़ी सामने आई जब भूपेश ने सूबे के तीसरे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और डा रमन सिंह के पास पहुंचे जहां दोनों नेताओं ने राजनीतिक गिले शिकवे मिटा कर पहले एक दूसरे से हाथ मिलाया फिर गले भी लग गए.