रायपुर। सोशल मीडिया वाट्सअप में एक रेप पीड़िता की शिकायत पर विधानसभा थाना द्वारा शिकायत नहीं लिखने की एक सूचना वायरल हो रही है. जो सूचना वायरल हो रही है उसमें मामले को दबाने का आरोप विधानसभा थाना के कुछ पुलिस कर्मियों पर लगाया गया था. आरोप यह भी है कि लाखों रुपए लेकर पुलिस मामला दर्ज नहीं कर रही है. जिसके बाद पुलिस के आला अधिकारियों के कान खड़े हो गए. अधिकारियों ने इस मामले को भ्रामक बताया है और यह मैसेज वायरल करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही जा रही है.
आला अधिकारियों द्वारा इस बाबत एक प्रेस नोट भेजा गया है. प्रेस नोट में कहा गया है कि मामले की जानकारी मिलने के बाद एडिशनल एसपी मुकेश खरे को इसकी जांच सौंपी गई. एएसपी ने मामले की जांच की जिसमें उन्होंने गांव के लोगों का बयान लिया और रिपोर्ट तैयार की. रिपोर्ट के मुताबिक महिला एवं उसका पति विरेन्द्र वर्मा और आनावेदक देवेन्द्र वर्मा के खिलाफ पारिवारिक बातों को लेकर गाली गलौज करने की शिकायत किया था. थाना विधानसभा द्वारा 151 की कार्रवाई मामले में की गई थी. पुलिस का कहना है कि मामले में महिला की गवाही में ऐसा कोई तथ्य नहीं आया है कि उसके साथ ऐसी कोई घटना घटित हुई है. महिला के परिजनों ने रेप की रिपोर्ट दर्ज कराने और मेडिकल जांच से इंकार कर दिया है.
साथ ही प्रेस नोट में कहा गया है कि कुछ शरारती तत्वों द्वारा पुलिस पर अपने पक्ष में कार्रवाई कराने हेतु दबाव बनाए जाने एवं आपसी रंजिश से भ्रामक तथ्यों को हवा दी जा रही है. जिसकी पहचान की जा रही है. इसमें यह भी कहा गया है कि भ्रामक समाचार को तैयार कर प्रसारित करने वालों पर पहचान उपरातं कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
हालांकि प्रेसनोट में इस बात की स्पष्ट जानकारी नहीं है कि उस पुलिसकर्मी के ऊपर 4 लाख रुपए लेकर मामले को रफा दफा करने का आरोप मैसेज क्यों लगाया गया है? क्यों उस पुलिस कर्मी के ही ऊपर नामजद आरोप लगे हैं प्रेस नोट में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है? इस मामले में जिले के आला अधिकारी से बात करने के लिए फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन काट दिया.