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देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने समान काम के लिए समान वेतन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि देश में समान काम के लिए समान वेतन के सिद्धांत पर अमल होना आवश्यक हैं। सभी अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के बराबर वेतन दिया ही जाना चाहिए। प्रदेश में लगभग 25000 उपनाम कर्मचारी अतिथि शिक्षक /आउटसोर्सिंग पीआरडी आदि को लगाकर प्रदेश भर में 42000 से भी अधिक अनियमित कर्मचारियों की संख्या हैं।
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उपनल कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पहले 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने संविदा कर्मियों के नियमितीकरण को लेकर पॉलिसी तैयार करते हुए 10 साल सेवा देने वाले संविदा कर्मियों को नियमित करने का फैसला किया था। इसके बाद 2013 में इस पॉलिसी की जगह एक नई पॉलिसी लाई गई और कांग्रेस सरकार ने 5 साल की सेवा देने वाले संविदा कर्मियों को नियमित करने का प्रावधान रखा। कई वर्षों की सेवा देने के बाद भी उपनल कर्मचारियों का कोई भविष्य नहीं है और न ही उनको इस महंगाई के दौर में अपना जीवन यापन करने लायक वेतन भी नहीं दिया जाता है। 15 से 20 वर्षों से कार्य कर रहे उपनल कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है।
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SC के आदेश का नहीं किया जा रहा पालन
यशपाल आर्य ने आगे कहा कि अभी कुछ समय पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट ने लंबी अवधि से सेवा दे रहे कर्मियों को स्थाई नियुक्ति देने का आदेश दिया है। लेकिन सरकार व शासन की ओर से इस पर भी कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया। हालांकि, राज्य सरकार ने इस आदेश पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया और इसके बजाय सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर दी, जो बाद में खारिज हो गई। यह सब अपने अनिश्चित भविष्य के लिए जूझ रहे हैं। ऐसे में यह मन लगाकर कैसे कार्य कर पाएंगे। इसलिए हमारी मांग है पूर्व में कार्य कर रहे हुए कर्मचारियों को स्थाई करते हुए आगे होने वाली समस्त नियुक्तियां स्थाई होनी चाहिए।
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