रायपुर। सरकारी विभागों की आपसी खींचतान का खामियाजा अब लोगों को भुगतना पड़ रहा है.  सरकार द्वारा 5 डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री पर पाबंदी लगा दी गई है. पाबंदी लगाने के बाद हाउसिंग बोर्ड और आरडीए सहित राजधानी के कई इलाकों में रहने वाले लोगों के मकानों और जमीनों की भी रजिस्ट्रियां होनी बंद हो गई है. 5 डिस्मिल से कम की कृषि जमीन या 21 सौ वर्गफीट की जमीन को अवैध प्लाटिंग माना जा रहा है. जिसके बाद से राजधानी के कई इलाकों में रहने वाले लोगों के मकान अवैध प्लाटिंग वाले मकानों की श्रेणी में आ गए हैं.
सरकार द्वारा 5 डिस्मिल से कम की जमीनों की रजिस्ट्रियों पर पाबंदी लगा दी गई है. यह नियम कृषि भूमि पर 1958 की धारा 98 के तहत लगाई गई है लेकिन इसका असर राजधानी के रिहाईशी इलाकों में रहने वाले लोगों पर सीधा पड़ा है. जिसमें की शंकर नगर, सड्डू, शक्ति नगर, सदर बाजार और सरकार का नया प्रोजेक्ट कमल विहार जैसी जगहों में रहने वाले लोगों या उनकी जमीनों पर पड़ा है. अब ये लोग अपनी जमीनों और मकानों को न तो बेच पा रहे हैं और न ही उन्हें बंधक रखकर लोन ही ले पा रहे हैं. दरअसल इन इलाकों में रहने वाले लोग जब अपनी जमीन या मकान को किसी अन्य को बेच रहे हैं तो उस दौरान वह मकान का खसरा कृषि भूमि का बताया जा रहा है. जबकि इसे सरकार की हाउसिंग बोर्ड और आरडीए जैसी संस्थानों ने बेचा है. सोमवार को प्रभावित कुछ लोगों ने महानिरीक्षक पंजीयक से मुलाकात कर उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया है. लोगों को कहना है कि उनकी जीवन भर की पूंजी मिट्टी में मिल गई है. एक व्यक्ति ने बताया कि उसने आरडीए द्वारा बनाया गया मकान को लिया है अब वह मकान को बंधक रख कर बैंक से लोन लेना चाह रहा है तो उसमें भी समस्या आ रही है. पीड़ितों के साथ महानिरीक्षक से मिलने गए सामाजिक कार्यकर्ता निश्चय वाजपायी का कहना है कि वे इस मामले में अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि इन जमीनों को ले-आउट की अनुमति इन्हें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के साथ ही नगर निगम से भी सारी अनुमति दी जा चुकी थी और नगर निगम द्वारा सालों से संपत्ति कर सहित सभी टैक्स ले रही है.
 उधर इस मामले में महानिरीक्षक पंजीयक कार्तिकेय गोयल ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया लेकिन पंजीयक रायपुर का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड और आरडीए की जमीन व मकानों की री-रजिस्ट्री करवाने के दौरान ये दिक्कतें आ रही है इन जमीनों को कृषि भूमि से डायवर्सन नहीं कराया गया है जिसके लिए हाउसिंग बोर्ड और आरडीए को पत्र लिखा जा रहा है. इसके साथ ही सभी से सुपर इंपोज नक्शा मंगाया जा रहा है.