स्पोर्ट्स डेस्क– इंडियन क्रिकेट टीम में हर दौर में ऐसे-ऐसे क्रिकेटर आते रहे हैं, जो क्रिकेट की दुनिया में अपनी एक अलग ही छाप छोड़ने में कामयाब हुए। कभी सुनील गावस्कर थे, कभी सचिन तेंदुलकर, और आज विराट कोहली जैसे बल्लेबाज क्रिकेट में कमाल कर रहे हैं। आज 12 फरवरी है और आज ही के दिन एक ऐसे दिग्गज क्रिकेटर का जन्म हुआ। जिनके बल्ले से निकला शतक टीम के लिए जीत की गारंटी होती थी, खेल में ईमानदारी ऐसी, जिसे आज भी लोग याद करते हैं।
69 के हुए गुंडप्पा विश्वनाथ
आज गुंडप्पा विश्वनाथ 69 साल के हो चुके हैं। साल 1949 में मैसूर में जन्मे विश्वनाथ टीम इंडिया के मेन बल्लेबाज होने के साथ-साथ टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। गुंडप्पा विश्वनाथ ने 91 टेस्ट मैच में 41.93 के औसत से 6,080 रन बनाए हैं। अपने टेस्ट करियर में गुंडप्पा विश्वनाथ ने 14 शतक लगाए हैं। वहीं 25 वनडे मैच भी खेले हैं, जहां 439 रन बनाए हैं। विश्वनाथ के नाम पर प्रथम श्रेणी क्रिकेट के डेब्यू मैच में ही 230 रन बनाने का रिकॉर्ड है।

शतक मतलब जीत की गारंटी
91 टेस्ट मैच खेल चुके गुंडप्पा विश्वनाथ जब भी शतक लगाते थे मतलब टीम इंडिया हर हाल में उस मैच को जीत लेती थी। एक तरह से देखा जाए तो गुंडप्पा विश्वनाथ के शतक को टीम इंडिया काफी लकी मानती थी। अपने टेस्ट करियर के दौरान गुंडप्पा विश्वनाथ ने 14 शतक लगाए, और सभी मैच में टीम इंडिया जीत हासिल करने में कामयाब रही।

अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर
खेल की दुनिया में गुंडप्पा विश्वनाथ को उनकी ईमानदारी के लिए भी जाना जाता है। एक बार भारत और इंग्लैंड के बीच गोल्डन जुबली टेस्ट मैच के दौरान गुंडप्पा विश्वनाथ ने इंग्लैंड के बॉब टेलर को ये बोलकर खेलने के लिए वापस बुला लिया था कि वो आउट नहीं है। जबकि अंपायर ने उन्हें आउट दे दिया था। दूसरी बार मौका मिलने पर टेलर ने शानदार बल्लेबाजी कर अपनी टीम को जीत दिला दी। लेकिन आज भी गुंडप्पा विश्वनाथ की उस ईमानदारी को याद किया जाता है।

डेब्यू मैच में ही कमाल
गुंडप्पा विश्वनाथ उन चार क्रिकेटरों की लिस्ट में शामिल हैं। जिन्होंने अपने डेब्यू मैच की पहली पारी में तो खाता भी नहीं खोला, लेकिन दूसरी पारी में शतक जमा दिया। ऐसा कमाल गुंडप्पा विश्वनाथ कर चुके हैं। विश्वनाथ ने ये कारनामा साल 1969 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कानपुर टेस्ट मैच के दौरान किया था।
97 रन की यादगार पारी
क्रिकेटर अपने क्रिकेट करियर के दौरान कुछ ऐसी पारियां खेल जाता है जिसे हमेशा याद किया जाता है। गुंडप्पा विश्वनाथ ने भी साल 1974 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मद्रास में 97 रन की पारी खेली थी, जिसकी चर्चा आज भी होती है, ये पारी इसलिए बहुत खास थी क्योंकि इस मैच के दौरान विश्वनाथ ने उस दौर के खतरनाक गेंदबाज एंडी रॉबर्ड्स जैसे गेंदबाजों का सामना किया और इस तरह की अहम पारी खेली, जिसने खासी सुर्खियां बटोरीं।
क्रिकेट से संन्यास के बाद
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद गुंडप्पा विश्वनाथ कुछ समय तक मैच रैफरी की भूमिका में नजर आए, बीसीसीआई के चीफ सेलेक्टर और मैनेजर भी रह चुके हैं, तो वहीं गुंडप्पा विश्वनाथ को साल 2009 में सीके नायडू लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाजा गया।
गावस्कर से खास रिश्ता
सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ को रणजी क्रिकेट से ही जानते थे, लेकिन दोनों के बीच असल नजदीकी तब आई जब एक बार वेस्टइंडीज दौरे के दौरान जूनियर खिलाड़ी होने के चलते गावस्कर और विश्वनाथ को एक ही कमरा मिला था। यहीं से उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई। जिसके बाद विश्वनाथ का गावस्कर के घर आना जाना भी शुरू हो गया। इसी दौरान विश्वनाथ को गावस्कर की बहन पसंद आ गई। और फिर दोनों की शादी हो गई।