गरियाबंद। विशिष्ट जनजातियों का एक गांव जहां रहने वाले सभी 481 ग्रामीण जनवरी में जन्मे हैं। आपको आश्चर्य तो जरूर होगा लेकिन यह चमत्कार कर दिखाया है आधार कार्ड बनाने वालों ने। इससे पहले आधार बनाने वालों ने भगवान ओर महापुरुषों के नाम पर आधार बनाने का कारनामा कर दिखाया था।
ऐसा ही मामला छुरा के मलियार गांव का आया है जहां आधार कार्ड बनाने वालों ने गांव में रहने वाले सभी कमार, भुंजिया जनजाति के 481 लोगो का जन्म तिथि आधार कार्ड में 1 जनवरी दर्शा दिया है। तकरीबन डेढ़ साल पहले इस गांव में आधार कार्ड बनाया गया है। इन डेढ़ सालों में बैंक से लेकर सभी योजना में आधार लिंक किया गया लेकिन ताज्जुब की बात है कि इस अवधि में भी प्रशासन के किसी नुमाइंदे ने त्रुटि सुधार की पहल तक नहीं की।
बैंक में खाता खुलवाने से लेकर जनजातीय लोगों के लिए चल रही योजना में आधार को लेकर आई दिक्कत के चलते पिछले एक साल से ये आदिवासी जनजाति के लोग उन सभी योजनाओं से वंचित हो गए हैं।
जवाबदारों ने आधार को निराधार कर के आधार योजना का बंटाधार करने में कोई कसर नही छोड़ा। मामला जब मीडिया में आया तो ई-आधार के जिला समन्यक मिथलेश देवांगन ने गलतियों का सारा पिटारा ऑपरेटरों के माथे पर फोड़ते हुए जल्द सुधार करवाने की बात कह रहे हैं।
दो सगे भाई एक दिन जन्में
आधार बनाने के लिए मिले टारगेट को पूरा करने ठेका कम्पनी ने इस कदर खानापूर्ति किया कि दो सगे भाई मुकेश ओर प्रकाश दोनों की जन्म में पौने दो साल का अंतर था। जिसे 1 जनवरी 2011 बता कर एक दिन कर दिया, दोनों ही भाई अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ते हैं। आधार में त्रुटि के चलते इनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। ऐसा ही सीलु राम का परिवार आधार बनने के बाद निराधार हो गया है। बेटा राजकुमार, पत्नी डीलेस्वरी तीनों का जन्म तिथि एक तो है, पर इन्हें अलग-अलग मोहल्ले का निवासी बता दिया गया है। इनके जैसे पूरे 481 लोग हैं जिन्हें आधार में हुई बड़ी गलती की कीमत सरकारी योजनाओ से वंचित होकर चुकाना पड़ रहा है।