• कल्लूरी ने कहा- बस्तर में वर्दी पहुंचकर जो लड़ते है उससे ज्यादा ताकतवर सफेद पॉश लोग है.
  • सालाना 1100 करोड़ रुपये वसूलते हैं नक्सली, ये वसूली मिनरल कॉन्ट्रेक्टर, ब्यूरोक्रेट, फारेस्ट से की जाती है.
  • किसी की पगड़ी गिर जाती है, तो बस्तर में अच्छा काम करने वाले अधिकारी को हटा दिया जाता है

रायपुर- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट के सामने क्या छत्तीसगढ़ की पुलिस अपना पक्ष रखने में कमजोर पड़ जाती है? ये सवाल बस्तर आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी के बयान के बाद उठ खड़े हुए हैं। दरअसल एसआरपी कल्लूरी ने बौद्धिक आतंकवाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कहा कि- दिल्ली में एनएचआरसी और सुप्रीम कोर्ट में हम कमजोर पड़ रहे हैं।

कल्लूरी ने कहा कि मानवाधिकार आय़ोग का परसेप्शन बस्तर को लेकर बिल्कुल अलग है। कल्लूरी यही नही रुके। बस्तर से पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर पर सांकेतिक तौर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि- किसी की पगड़ी गिर जाती है, तो बस्तर में अच्छा काम करने वाले अधिकारी को हटा दिया जाता है। कोई महिला दस लोगों को साथ लेकर कुछ कर देती है, तो हंगामा मच जाता है। लेकिन आज एक बच्चा ब्लास्ट में खत्म हो गया तो कुछ नही। आईजी एसआरपी कल्लूरी ने कहा- बस्तर में वर्दी पहुंचकर जो लड़ते है उससे ज्यादा ताकतवर सफेद पॉश लोग है। एसआरपी कल्लूरी ने कहा- इस परिचर्चा में मैं सिर्फ सुनने आया था। बोलने नहीं, क्योंकि ज्यादातर लोगों को पता है कि क्यों? उन्होंने कहा कि बस्तर में अक्सर लोग हवाई जहाज से जाते हैं और इसलिए ही बस्तर को लेकर हवाई जानकारी भी रखते हैं। नक्सलियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले कहते है कि पिछड़ापन की वजह से नक्सलवाद है, लेकिन नक्सलियों की मिलिट्री बॉडी ये कोशिश करती है कि पिछड़ापन समाप्त ना हो। उनकी कथनी और करनी में गैप है।

कल्लूरी ने कहा- 2004 से अब तक नक्सल क्षेत्र में ही काम कर रहा हूँ। नक्सलवादी बस्तर से सालाना 1100 करोड़ रुपये वसूलते है। ये वसूली मिनरल कॉन्ट्रेक्टर, ब्यूरोक्रेट, फारेस्ट से की जाती है। उन्होंने कहा कि- ये अन्तराष्ट्रीय साजिश है कि भारत सुपर पावर ना बन पाए। हमारे पास ऐसी रिपोर्ट है कि माओवादियों का इंटरनेशन स्पोर्ट है और अर्बन नक्सली उन्हें प्रोटेक्ट करते है। बौद्धिक आतंकवाद एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विषय पर आयोजित इस परिचर्चा का आयोजन हिन्दू युवा मंच ने किया था। इस परिचर्चा में फ़िल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री और सुप्रीम कोर्ट मोनिका अरोरा ने भी मानवाधिकार के लिए लड़ने का दावा करने वाले संगठनों पर जमकर निशाना साधा।