रायपुर।अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने कवर्धा कलेक्टर पर डाॅ. रमन सिंह की पंडरिया सभा के लिए जबरिया भीड़ जुटाने का आरोप लगाया है। अकबर ने कहा है कि पंडरिया कार्यक्रम के लिए 10 दिनों तक कलेक्टर ने प्रशानिक कार्य छोड़कर भीड़ जुटाते रहे। किसी राजनीतिक कार्यक्रम के लिए एक भारतीय प्रशानिक सेवा के अधिकारी का यह आचरण प्रजातांत्रिक व्यवस्था में स्वीकार करने योग्य नहीं है।  जिला प्रशासन के अधिकारियों, पंचायत सचिवों और सरपंचों पर भीड़ लाने के लिए दबाव डालना निंदनीय है।  सरपंचों को भीड़ नहीं लाने पर धारा 40 के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया था, जबकि सचिवों को निलंबित और ट्रांसफर करने की धमकी दी गई थी।  सबको गाड़ी नम्बर और जबरिया लाए गए लोगों की संख्या दर्ज करानें के निर्देश दिए गए थे।  शिक्षाकर्मियों की ड्यूटी भोजन परोसने के लिए लगाय गया था।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सेन्ट्रल सर्विस कंन्डक्ट रूल्स के अनुसार-  राजनैतिक मामलों में तटस्थ रहना चाहिए । अशिष्टता बेईमानी तथा पक्षपात नहीं करना चाहिए। निश्ठावान रहना चाहिए। सदैव कर्तव्य परायण रहना चाहिए।  स्वतंत्र एवं तटस्थ रहकर कर्तव्य पालन करना चाहिए। और अधीनस्थों को मौखिक निर्देश नहीं देना चाहिए।  लेकिन कबीरधाम जिले में इसके विपरीत जाकर काम किया गया । एक राजनैतिक दल को लाभ पहुँचाने के लिए अधिकारी अपने कर्तव्यों को भी भूल गए। राज्य के मुख्य सचिव एवं भारत निर्वाचन आयोग को स्वयं संज्ञान लेकर इस पर कार्यवाही करना चाहिए ।  मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह पंडरिया की सभा में आम जनता को यह जताने का प्रयास कर रहे थे कि वे 1 रूपये किलो में चांवल दे रहे हैं और उनके रहते कोई इसको बंद नहीं करा सकता ।  जबकि सच्चाई  यह है कि कांग्रेस के प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने खाद्य सुरक्षा कानून 2013 लाकर कर देश की दो तिहाई जनता को रियायती दरों पर खाद्यान्न पाने का कानूनी अधिकार दे दिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से 75  प्रतिशत और क्षेत्रों से 50 प्रतिशत लोगों को यह अधिकार प्राप्त है।  अब डाॅ. रमन सिंह खुद भी चाहे तो 1 रूपये किलो में मिलने वाला यह चांवल बंद होने वाला नहीं है।  जहां तक पंडरिया शक्कर कारखाने की बात है तो पसंदीदा ठेकेदार से निर्माण एवं पुरानी मशीनो के उपयोग के कारण फेल हो चुका है। गन्ना पर्ची की खरीदी बिक्री में भी करोड़ों भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन सत्ता पक्ष से जुड़े होने के कारण जिला प्रशासन इनके विरूद्ध कार्यवाही करने में असमर्थ हैं।