विप्लव गुप्ता. पेंड्रा. आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में रहने वाली आठवीं की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.. छात्रा शीतकालीन अवकाश के बाद 5 दिन पूर्व ही छात्रावास आई थी. परिजनों का आरोप है कि छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही की वजह से उनकी मासूम बेटी की मौत हुई है. परिजन अब इस मामले में जांच और कार्यवाही की मांग कर रहे हैं.

एमसीएच हॉस्पिटल सेनेटोरियम जिस महिला की चित्कार से गूंज रहा है उसने अभी-अभी अपनी 11 साल की मासूम बेटी को हमेशा के लिए खो दिया है. छात्रा 5 दिन पूर्व ही अपने घर से पढ़ने के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय गौरेला आई हुई थी. छात्रा की 3 दिनों पूर्व ही उसकी मां से बातचीत हुई थी, बच्ची ने अपनी मां से सब कुछ ठीक होने और अच्छे से पढ़ने-लिखने की बात कही थी, पर शनिवार को जब वह छात्रावास प्रबंधन के बुलाने पर पहुंची तो उसके सामने उसकी बेटी की मरणासन्न हालत थी.

मामला गौरेला विकासखंड का है, जहां दूरस्थ वनांचल बोकरामुड़ा में रहने वाले अशोक सिंह नायक ने अपनी होशियार और पढ़ने लिखने में तेज बेटी को गौरेला कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय पढ़ने के लिए भेजा था. बेटी होनहार थी और परिवार भी उसके पढ़ाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता था इसलिए उन्होंने उसे शहर भेजने का निर्णय लिया. शीतकालीन अवकाश में घर गई बेटी बीते 1 सप्ताह पहले ही यहां लौट आई थी, और 3 पहले वृंदा की मां से उससे बातचीत भी हुई थी, जिसमें सब कुछ ठीक था.

बेटी ने अपनी मां को बताया कि मेरी चिंता मत करना, मैं अच्छे से पढ़ाई कर रही हूं, यहां भी सब कुछ ठीक है. वृंदा की मां का कहना है कि उसकी बेटी कभी भी बीमार नहीं पड़ी थी, मां का आरोप है कि उसकी बेटी की छात्रावास में अच्छे से देखभाल नहीं हुई और ठंड भी लग गई सुबह जब हमें सूचना दी गई तो बेटी कुछ भी बात नहीं कर रही थी और देख नहीं रही थी, थोड़ी देर में ही डॉक्टरों ने बता दिया कि आपकी बेटी मर चुकी है.

महिला ने बताया कि मेरी एक ही बेटी थी और एक साल भी नहीं हुआ है, हॉस्टल भेजें, उसके साथ ऐसा हो गया. जबकि बेटी की मौत से आहत पीड़ित पिता कुछ भी बोलने की स्थिति में नहींं है. बड़ी मुश्किल से दिल पर पत्थर रखकर यही बता पा रहा है कि छात्रावास से उन्हें सूचना दी गई कि उसकी तबीयत खराब है आप आ जाओ. जब हम आए तो बेटी ना तो देख ही पा रही थी, और ना ही बात ही का कर पा रही थी,

मां का कहना है कि अधीक्षिका शारदा उइके ने हमें बताया कि उल्टी दस्त हो रही थी, जिसके लिए कल रात मैं इलाज कराया गया था और आज अचानक उसकी हालत गंभीर हो गई. पिता और परिजन अपनी बेटी की मौत के पीछे छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही की बात कह रहे हैं. उनका आरोप है कि उसकी देखभाल अच्छे से नहीं की गई इसलिए उसकी मौत हो गई.. वहीं बच्ची की लोकल गार्जियन का कहना है कि जब मुझे सूचना दी गई तो मैं अस्पताल बच्ची को देखने आया, तब तक बच्ची मुझे पहचान नहीं पा रही थी और देखते ही देखते खत्म हो गई, जब हम छात्रावास पहुंचे तो अधीक्षक ने कहा कि उसकी डेट बॉडी जल्दी ले जाओ. परिजन उसकी मौत के कारणों को सामने लाने के लिए पोस्टमार्टम कराने पर अड़े हुए हैं.

वहीं मामले में छात्रावास अधीक्षक का कहना है कि कल रात में उसे उल्टी दस्त हो रही थी जिसके बाद उसे सेनेटोरियम में लाया गया था, और उसकी तबीयत ठीक हो गई थी. सुबह अचानक तबीयत बिगड़ी और फिर उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि कल जब उसे लाया गया तो उल्टी-दस्त की शिकायत थी पर जब आज सुबह उसे लाया गया तब उसकी हालत काफी गंभीर थी. कल और आज की स्थिति में उसकी हालत में काफी बदलाव हो गया था. एक दिन पूर्व उसके पेट दर्द और बुखार था पर सुबह की जो स्थिति थी, वह काफी गंभीर थी चिकित्सकों का मानना है कि शायद मस्तिष्क ज्वर भी उसकी मृत्यु का एक कारण हो सकता है. छात्रावास की छात्रा की अचानक मौत के मामले में प्रशासन भी पहुंचा हुआ था प्रशासन फिलहाल चुप है और जांच विस्तृत जांच के बाद ही कार्यवाही की बात कह रहा है.