रायपुर। कांग्रेस ने जिला खनिज कोष (डीएमएफ) की राशि को लेकर सरकार पर एक बड़े घोटाले का सनसनीखेज आरोप लगाया है. कांग्रेस ने यह आरोप सीएसई की रिपोर्ट के हवाले से लगाया है. पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने आज एक प्रेसवार्ता में ये आरोप लगाया है. भूपेश का दावा है कि ये घोटाला तीन जिलों में अंजाम दिया गया है.
राष्ट्रीय एजेंसी सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट(सीएसई) ने कल जिला खनिज कोष पर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के 9 जिलों का अध्ययन किया गया है. छत्तीसगढ़ में 3 जिलों में बड़ी माईंस हैं जहां से सबसे ज्यादा डीएमएफ के तहत पैसा इकट्ठा होता है. इनमें कोरबा, दंतेवाड़ा और रायगढ़ शामिल है. भूपेश ने सीएसई की रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाया है कि सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छत्तीसगढ़ की रमन सरकार निवेश को जनता से जोड़ने की बजाय निर्माण पर निवेश करने में लगा दिया.
खनन से प्रभावित लोगों तक सबसे ज्यादा धन जाना चाहिए था लेकिन उन तक 1 प्रतिशत राशि भी नहीं पहुंच पा रही है. उन्होंने कहा कि नियमानुसार डीएमएफ का पैसा खर्च करने में जनता की भागीदारी होनी थी लेकिन रमन सिंह ने खनन प्रभावित लोगों की भागीदारी खत्म कर दी है और सिर्फ अधिकारी ही इसके बारे में निर्णय ले रहे हैं.
भूपेश ने कहा कि रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी है कि कैसे राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के बनाए गए नियमों को बदल दिया और कैसे नियम विरुद्ध निवेश भी किए गए. उन्होने कहा कि चुनावी वर्ष में लाभ लेने के लिए डीएमएफ का पैसा प्रधानमंत्री उज्जवला योजना तक में लगा दिया गया है.

केन्द्र का आंकड़ा: बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषित और एनीमिया के शिकार

भूपेश ने आरोप लगाया है कि 15 साल में छत्तीसगढ़ देश का सबसे ज्यादा गरीब राज्य बन गया है. उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री के दिए गए आंकड़ों के अनुसार आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जी रही है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने लोकसभा मे  जो आंकड़े दिए हैं उसके अनुसार छत्तीसगढ़ के गांवों में 51.10 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और 82.10 प्रतिशत बच्चे एनीमिया के शिकार हैं. वहीं गांवों में 45.7 प्रतिशत महिलाएं कुपोषण का शिकार हैं और 59.8 प्रतिशत लोग एनीमिया से पीड़ित हैं.
उन्होंने कहा कि डीएमएफ का पैसा गरीबी, भुखमरी, शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत सुधारने के लिए अच्छा जरिया हो सकता था लेकिन उनकी प्राथमिकता में जनता है ही नहीं.  सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छत्तीसगढ़ में डीएमएफ के पैसों का निवेश निर्माण प्रेरित है. डीएमएफ का पैसा निर्माण कार्यों में खर्च किया जा रहा है.

राज्य सरकार नियमों का वायलेशन कर रही

भूपेश ने कहा कि 99 फीसदी राशि कलेक्टरों के जरिये कमीशनखोरी में जा रही है. डीएमएफ के पैसों का खुला बंदरबाट प्रदेश में चल रहा है. डीएमएफ की राशि के खर्च किये जाने को लेकर जनप्रतिनिधियों को बैठक में बुलाया नहीं जाता. हमने मांग की थी कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कमिटी में रखा जाय.  जहां उत्खनन हो रहा है, उन क्षेत्रों में प्रभावितों पर उसका क्या असर पड़ रहा है, इसे लेकर कोई आकलन नहीं किया जाता. डीएमएफ के पैसों से सड़क बन रही है, एयरपोर्ट बनाया जा रहा है लेकिन बुनियादी जरुरतों पर खर्च नहीं किया जा रहा. डीएमएफ के पैसों से आखिर क्यों डॉक्टरों की सुविधा नहीं बढ़ाई जा सकती. कोरबा में डीएमएफ से सम्मेलन कक्ष और मल्टीस्टोरी पार्किंग बनाने का क्या लाभ? बगैर ग्राम सभा के डीएमएफ की स्वीकृति नहीं होनी चाहिए. नियमों का वायलेशन राज्य सरकार कर रही है. फिलहाल हम इस मुद्दे पर आंदोलन कर जांच की मांग करेंगे.

कांग्रेस की सरकार आने पर..

भूपेश ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर डीएमएफ को लेकर कई तरह के कदम उठाए जाएंगे. डीएमएफ को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया जाएगा.
जनप्रतिनिधि व ग्राम सभा की भागीदारी सुनिश्चित करेंगे.
डीएमएफ की राशि के उपयोग में अधिकारियों का प्रभुत्व खत्म करेंगे.
विकास की अवधारणा को निर्माण में निवेश से बदलकर जनता पर निवेश की नीति बनाएंगे.