रायपुर। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणा-पत्र को छत्तीसगढ़ भाजपा ने एक काल्पनिक वादों का बजट बताया है. पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने प्रेसवार्ता कर कांग्रेस के घोषणा-पत्र की कई खामियां गिनाई.  वैसे भाजपा ने यहीं पर नहीं रुकी बल्कि कांग्रेस घोषणा की कॉपियां भी जला दी.  अमर अग्रवाल ने यहां तक कह दिया कि घोषणा-पत्र में सेना के अधिकारों की कमी और आतंकवाद के प्रति नरमी दिखाई देती है.

पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि देश में लोकसभा के चुनाव चल रहे है. इस चुनाव में मुख्य रूप से राष्ट्रवाद, देश की सुरक्षा पर चर्चा चल रही है. जहां देश एक ओर सेना की प्रशंसा कर रहा है. सीमाओं की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त है, लेकिन आज कांग्रेस के जन घोषणा पत्र को देखें तो सीधा-सीधा इसमें सेना के अधिकारों पर कमी, सेना के बारे में गलत टिप्पणियां और आतंकवाद के लिए श्रेय की भावना दिखाई देती है.

पूर्व मंत्री ने कहा कि आफ्सा कानून की समीक्षा, देशद्रोह कानून को खत्म करने, सेना पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोपों पर विचार करने की बात घोषणा-पत्र में कही गई जो चिंता-जनक है.  कल ही उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर में फिर से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अलग होगा. आज कांग्रेस का घोषणापत्र जैसे ही जारी हुआ सबसे पहले उनकी ही बधाई सामने आई. और तो और इसमें अलगाववादी नेताओं का समर्थन दिखता है.

उन्होंने यह भी कहा कि इसमें जीएसटी को लेकर सरलीकरण की उम्मीद की जा रही थी. मैं जीएसटी काउंसिल के सदस्य रहा हूँ. जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के मंत्री सदस्य है. अब तक जीएसटी काउंसिल के जितने भी सदस्य रहे हैं उसमें उनके भी लोग रहे है. जीएसटी बनाने में कांग्रेस का समर्थन रहा है तो आज विरोध क्यों?  आजादी के बाद 50 सालों तक जिस दल ने राज किया वह नासमझी का परिचय दे रही है. जीएसटी से नगर पंचायत और स्वायत्त संस्थाओं को भी हिस्सा देंगे, लेकिन कानून में इसका प्रावधान नहीं है.

अमर अग्रवाल ने कहा कि. कांग्रेस के घोषणा पत्र का वहीं हश्र होगा जो 2004, 2009 में हुआ था. एक भी वादों को पूरा नहीं किया था. वन रैंक वन पेंशन जैसे कई वादे थे जिन्हें पूरा नरेंद्र मोदी ने किया. बड़े उत्साह के साथ राहुल गांधी कह रहे थे न्याय मिलेगा.  लेकिन सबसे पहले न्याय की बात कहने वालों को यह बताना चाहिए कि 70 सालों में देश की गरीबी क्यों दूर नहीं की. राहुल गांधी कहते हैं 72 हजार रुपये न्यूनतम आय होगी. पी चिदम्बरम कहते हैं कि क्रमशः लागू करेंगे. आखिर स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं की जाती ? छत्तीसगढ़ में रोज पढ़ने को मिल रहा है कि कोषालय में सैकड़ों करोड़ के बिल पड़े हुए है. मात्र 3 महीने में आर्थिक रूप से सम्पन्न छत्तीसगढ़ की दुर्दशा दिख रही है केंद्र सरकार ने छह हजार वार्षिक किसानों को देना तय किया था लेकिन राज्य के 30 लाख लाभान्वित होने वाले किसानों की सूची राज्य सरकार केंद्र को नहीं भेज रही है. ये बताता है कि किसानों को लेकर इनकी सोच क्या हैएक काल्पनिक वादों का बजट है.कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इसकी घोषणा करनी चाहिए कि न्यूनतम आय वर्ग के लोगों को 72 हजार रुपये सालाना दिया जाएगा.