सुकमा/ रायपुर- हिडमा….खौफ का एक पर्याय, जो बस्तर के बीहड़ों में अपना आतंक चलाता है। बस्तर के चप्पे-चप्पे में इस नाम का खौफ है। हिडमा वहीं शख्स हैं, जिसका नाम सुकमा के बुरकापाल नक्सल हमले के मास्टरमाइंड के तौर पर लिया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को अब तक मिले सुरागों से पता चला है कि हिडमा ने ही बुरकापाल आपरेशन प्लान किया था। हिडमा की बनाई रणनीति को ही नक्सलियों के मिलिट्री बटालियन ने अंजाम दिया औऱ सड़क निर्माण को सुरक्षा दे रहे सीआरपीएफ के 25 जवानों की शहादत ले ली। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि बीते कुछ सालों में हिडमा ने बस्तर में कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है। हिडमा पर पुलिस ने 25 लाख रूपए का इनाम घोषित किया हुआ है।
कौन है हिडमा?
देशभर में नक्सलियों के खूनी खेल का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर की कमान हिडमा के हाथों ही है। हिडमा का पूरा नाम माडवी हिडमा उर्फ इदमुल पोडियाम भीमा है। इसके पिता का नाम पोडियाम सोमा उर्फ दुग्गावडे है और मां का नाम पोडियाम भीमे बताया जाता है। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक हिडमा सुकमा के जगरगुंडा इलाके के पलोडी गांव का रहने वाला है। हिडमा ने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। माओवादियों के बीच हिडमा एक लोकप्रिय लड़ाका माना जाता है। गुरिल्ला वार में महारत हिडमा की काबिलियत के बूते ही उसे पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी ( पीएलजीए) की बटालियन एक का कमांडर बनाया गया। बताया जा रहा है कि इस बटालियन के तहत तीन यूनिट्स काम करती है। हिडमा के नेतृत्व वाली ये बटालियन्स सुकमा औऱ बीजापुर में सक्रिय है। हिडमा नक्सलियों की दंडकारण्य जोनल कमेटी ( डीकेएसजेडसी) का भी सदस्य है।
हिडमा का अपना परिवार भी है। उसने दो शादी की है। पहली पत्नि बडेशट्टी अब उसके साथ नहीं रहती, जबकि दूसरी पत्नि राजे उर्फ राजक्का हिडमा उसकी बटालियन का ही हिस्सा है। जानकारी कहती है कि हिडमा के तीन भाई भी है। तीन भाईयों में से दो भाई माडवी देवा और माडवी दुल्ला गांव में ही खेती का काम करते हैं। जबकि तीसरा भाई माडवी नंदा गांव में रहकर नक्सलियों को पढ़ाने का जिम्मा उठाता है। हिडमा की बहन भीमे दोरनापाल में रहती है। बताया जाता है कि कई नक्सल आपरेशन को अंजाम दे चुका दारा कोसा हिडमा का चचेरा भाई है, जिसने आंध्रप्रदेश पुलिस के सामने सरेंडर किया था।
छत्तीसगढ़ की बडी़ वारदातों में हिडमा का हाथ
हिडमा बस्तर में खौफ औऱ आतंक का दूसरा नाम है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुई बडी नक्सल वारदातें हिडमा की ही साजिश बताई जाती है। हाल ही में 11 मार्च को सुकमा के भेज्जी में हुए नक्सल हमले के पीछे भी हिडमा का ही हाथ बताया जाता है। इस हमले में सीआऱपीएफ के 12 जवान शहीद हुए थे। साल 2013 में झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले में हुए हमले के पीछे भी हिडमा भी शामिल था। इस हमले में कांग्रेस नेताओं समेत 30 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 2010 में चिंतलनार के करीब ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत के पीछे भी हिडमा का ही दिमाग माना जाता है।
सुरक्षा एजेंसियां जानती हैं कि वो फिलहाल चिंतलनार और चिंतागुफा के इलाके में सक्रिय है। लेकिन उसके ठिकाने की सही-सही जानकारी किसी को नहीं है। इसकी एक वजह इस इलाके को उड़ीसा और आंध्र प्रदेश की सीमा के नजदीक होना है। इससे नक्सली हमलों को अंजाम देने के बाद आसानी से दूसरे राज्यों में जाकर छिप जाते हैं। हिडमा के बारे में ये भी कहा जाता है कि बस्तर का वो इकलौता आदिवासी नक्सल लड़ाका है, जो किसी नक्सलियों की मिलिट्री बटालियन को लीड करता है।