रायपुर- पिछली सरकार में सत्ता के बेहद करीबी माने जाने वाले उद्योगपति बहादुर अली को लेकर इन दिनों कांग्रेस से जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों के भीतर गहरी नाराजगी है. खबर है कि बहादुर अली 24 फरवरी को राजधानी के गवर्नमेंट स्कूल में विशाल अल्पसंख्यक सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे हैं, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सम्मान भी किया जाना है. ऐसे में संगठन के भीतर इस बात की जमकर चर्चा है कि इस आयोजन के जरिए बहादुर अली सत्ता के गलियारों तक अपनी पैठ बनाने का रास्ता तलाश रहे हैं. इस सम्मेलन के लिए प्रदेश भर से मुस्लिम समाज के लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है. बताते हैं कि इस आयोजन का पूरा खर्चा बहादुर अली ही वहन कर रहे हैं. इसके जरिए उन्हें मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करने का मौका मिलेगा. यही वह आयोजन हो सकता है, जिसके बूते वह सत्ता की दहलीज तक पहुंचने में कामयाब हो सकते हैं. कांग्रेस से जुड़ा मुस्लिम समाज का एक प्रभावशाली धड़ा इसे लेकर बेहद नाराज है. सवाल उठाया जा रहा है कि बीते 15 सालों तक जिस बहादुर अली की बीजेपी सरकार से करीबी रही, जिसने समाज को नहीं पूछा, अब अचानक उनकी ओर से तस्वीर बदलने की कोशिश क्यों की जा रही है?

कांग्रेस से जुड़े मुस्लिम समाज के कई नेताओं ने कहा है कि बहादुर अली पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के बेहद करीबी रहे हैं. उन पर यह आरोप भी लगा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान राजनांदगांव की कई विधानसभा सीटों के साथ-साथ कवर्धा और पंडरिया में भी उन्होंने कांग्रेस के विरोध में काम करते हुए बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की थी. राजनांदगांव और कवर्धा जिले के कांग्रेसी नेताओं ने खुलकर बहादुर अली पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने बीजेपी के पक्ष में काम किया है.

पिछले दिनों कटी थी फैक्टरियों की बिजली

पर्यावरण नियमों की अनदेखी के चलते पिछले दिनों बहादुर अली की पांच फैक्ट्रियों की बिजली सरकार ने कटवा दी थी. पर्यावरण मंत्री मो.अकबर ने इस कार्रवाई के निर्देश दिए थे. बताते हैं कि फैक्ट्रियों की बिजली काटे जाने के बाद बहादुर अली ने मो.अकबर से मुलाकात भी की थी, लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से गुहार लगाई थी. तब जाकर नियम प्रक्रियाओं का पालन करने की शर्त के साथ बिजली बहाल की गई थी.