रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जिंदगी के ऐसे कई अनकहे पहलू हैं, जिन्हें शायद ही कोई जानता होगा. उनके जीवन के ऐसे ही कुछ हिस्सों को उनकी पत्नी रेणु जोगी ने अपनी किताब “अजीत जोगी की अनकही कहानी” में शामिल किया है. अजीत जोगी के मन में राजनीति का बीज कब पड़ा और जोगी ने चुनाव जीतने के लिए किन-किन हथकंडों को अपनाया. इस बात का भी जिक्र रेणु जोगी ने अपनी किताब में किया है.

रेणु जोगी लिखती हैं कि अजीत जोगी आईएएस का प्रशिक्षण लेने के लिए मसूरी के लाल बहादुर प्रशासनिक अकादमी में दाखिला लिए थे उसी दौरान परम्परा के अनुसार अखिल भारतीय प्रशासनिक अकादमी में प्रतिवर्ष चार माह में एक बार पीएमसी अर्थात प्रसिडेन्ट ऑफ मैस कमेटी का चुनाव होता था. रेणु लिखती हैं कि लगता है इनकी (अजीत जोगी) राजनैतिक अभिरूचि का उदय तभी हुआ था. अजीत भी उस प्रतिष्ठित पद के प्रत्याशी बन गये.

रेणु लिखती हैं चुनाव प्रचार करना बहुत कठिन था क्योंकि प्रत्येक प्रदेश के अलग-अलग लोग चुन कर आए थे और शायद उनकी अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी उतना परिष्कृत नहीं था कि उत्तर-पूर्वी राज्य के और दक्षिण भारतीय प्रशिक्षुओं को सहज ही प्रभावित कर सकें. और फिर उन दिनों दक्षिण भारतीय लोगों के मन में हिन्दी भाषा को लेकर राजनैतिक कारणों से काफी आक्रोश भी था.

रेणु जोगी ने किताब में आगे जिक्र किया है,- फिर भी जो हथकंडे आजकल सामान्य तौर पर चुनाव जीतने के लिए अपनाए जाते हैं, वही कुछ अजीत ने तब भी किया था. 

आदिवासी एवं अनुसूचित वर्ग के प्रोबेशनर्स से अनुरोध किया कि मैं तुम्हारे ही वर्ग से हूं अतः चुनाव में मेरा साथ देना. हिन्दी भाषी प्रांत के जैसे मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार प्रांत के छात्रों से कहा कि मैं भी तुम्हारे समान हिन्दी बोलता हूं अतः तुम्हारा भाई हूं. दक्षिण भारत के राज्य के सदस्यों से कहा कि नर्मदा नदी के दक्षिण में हमारा रहन-सहन, भोजन(चावल और मछली) एक जैसा है इसलिए मेरा साथ देना.

और अंत में, आर्मी कैंटीन में चार रुपये में एक रम की बोतल मिलती थी. जिसके तीन-चार कैरेट अजीत ने अपने कमरे में रख लिए थे. जिस प्रोबेशनर की अभिरुचि होती थी वह अजीत के रुम में पहुंच जाता था. येन-केन-प्रकारेण अजीत चुनाव जीत गए.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अजीत जोगी चुनाव जीतने के लिए शराब और जातिवाद जैसे हथकंडों का सहारा लेते रहे हैं. साथ ही क्या राजनीति में शराब और जातिवाद का इतना महत्वपूर्ण स्थान है कि हम इनका उपयोग और दुरुपयोग किये बगैर चुनाव में उतार नहीं सकते.