दंतेवाड़ा. कही तो छोड़ दो जनाब स्कूली बच्चों के कम से कम खेलने कूदने के सामान पर तो डाका नही डालो, मगर इन सब बातों का भी दन्तेवाड़ा जिले के शिक्षा विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों पर असर नही पड़ता है. दरअसल पूरा मामला शिक्षा विभाग के खेल गढ़िया में बंदरबांट से जुड़ा है. राज्य परियोजना राज्य शिक्षा विभाग ने सत्र 2019-20 में खेल गढ़िया योजना के तहत दन्तेवाड़ा जिले के प्राइमरी,माध्यमिक और हाई, हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को अभिरुचि के अनुसार खेल सामग्री खरीदी के लिए स्कुलो में स्तर अनुसार राशि जारी की थी. जिसमें दन्तेवाड़ा जिले के 820 स्कुलो के लिए 42 लाख 20 हजार रुपये स्कूलों के खाते में जारी किये. 543 प्राथमिक विद्यालय के लिए 5 हजार,188 उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए 10 हजार, हाई,हायर सेकेंडरी 59 विद्यालयों के लिए 25 हजार रुपये जारी हुए है.

लेकिन ज्यादातर जिले के प्राथमिक माध्यमिक शालाओं में जबरन घटिया क्वालटी के सामान पहुँचाकर पैसे की वसूली भी शुरू हो गयी है. जबकि स्कुलो के प्राचार्य को यह तक पता नही कि स्कूल में आया समान किसने और किसके कहने से छोड़ा है इतना ही नही जब शासन ने आरटीजीएस कर स्कुलो के खाते में पैसे डाले गये है तो फिर ये कैसी सप्लाई?

एक खेल कीट बैग में श्रीयांश कपड़ा दुकान,पिपरा वार्ड नम्बर 1 पिन नम्बर 494331 पिनकोड डाला हुआ प्लेन पेपर पर बिल थमाया गया स्कूलों में दिखा जिस पर जीएसटी नम्बर 22AJRPJB25OE12F के साथ मोबाइल नम्बर 6261686863 नम्बर पड़ा हुआ है, जिस पर 5000 रुपये के समान खरीदी भी का बिल भी है.

छोटा कैरम बोर्ड 29”, रस्सी, लूडो, फुटबाल,रबर रिंग फ्लाइंग डिस्क जैसे सामानों पर 5000 रुपये जोड़ दिये गए. समान घटिया और स्तरहीन तरीके का नजऱ आ रहे थे जिन्हें जबरन स्कूलों में थमाया जा रहा है.

गमावाड़ा के जामपारा में प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टर अरविंद तामो ने बताया कि नगद पैसा निकालकर संकुल में जमा करवा लिया गया. कोई बिल भी नही है मेरे पास वही कुम्हाररास मीडिल स्कूल में 47 बच्चे दर्ज है और वहां भी यह समान पहुँच गया है पर प्राचार्य ने सामान के पैसे नही दिये. इसी तरह से जिले के अन्य शैक्षणिक संस्थानों से भी इसी तरह सप्लाई की खबरे मिल रही है. जिस पर शिक्षा विभाग डीएमसी शोरी अनभिज्ञता दिखाते हुए बच रहे है. सबसे बड़ी बात यह है कि राजनीतिक रस्साकशी दन्तेवाड़ा के शिक्षा विभाग में जनचर्चा में घुसी पड़ी है. जिसके चलते बच्चो के अधिकारों में भी डाका डालने से गुरेज नही कर रहे. जिला स्तर के उच्च अधिकारियों को चाहिए कि तत्काल इस तरह से बिल थमाकर पैसे वसूलने वालो पर एक्शन ले साथ ही पारदर्षिता के साथ स्कुलो में खेल सामान बतवाये ताकि दन्तेवाड़ा जिले के आदिवासी बच्चो का अधिकार सुरक्षित रह सके.