बिलासपुर– अभय सिंह उर्फ बंटी के ठगी,ग़बन, षड्यंत्र और फिरौती उगाहने के कई प्रकरण हैं, यह प्रथम दृष्ट्या इनमें संलिप्त प्रतीत होता है, इसलिए इसे ज़मानत का लाभ नही दिया जा सकता.ज़मानत खारिज की जाती है.
जस्टिस राजेंद्र चंद्र सिंह सामंत के चैंबर से 7 मार्च से अभय सिंह उर्फ बंटी के ज़मानत पर सुरक्षित रखा गया फ़ैसला आज सार्वजनिक किया गया.
अभय सिंह बंटी खुद को राज्य में एंटी नक्सल ऑपरेशन में अंडर कव्हर कॉर्प बताता था.उस पर आरोप है कि खुद का परिचय सुरक्षा एजेंसियों के बडे अधिकारी के रुप में देते हुए प्रभावित करता था और घटनाओं को अंजाम देता था.
अभय सिंह उर्फ बंटी बलरामपुर जिले का निगरानी शुदा बदमाश है और इस पर जब पुलिस का शिकंजा कसा तो यह भूमिगत हो गया था, पुलिस ने इस पर ईनाम भी घोषित किया था.
कतिपय पुलिस के आला अधिकारियों के संरक्षण में उनके वसुली एजेंट की भूमिका निबाहते हुए यह अपराधिक घटनाओं को अंजाम देता था.
अभय सिंह उर्फ बंटी के विरुद्ध सरगुजा के अलग अलग जिलो में गंभीर अपराध दर्ज है.अभय सिंह की ओर से थाना शंकरगढ में क्राईम नंबर 81/2016 के तहत धारा 420,419,467,468,471/34 और 120 बी में दर्ज अपराध,थाना कोतवाली अंबिकापुर में क्राईम नंबर 829/2016 धारा 384,502,504,34 के तहत दर्ज अपराध,थाना कोतवाली अंबिकापुर में क्राईम नंबर 837/2017 धारा 120 बी,420/34 के तहत दर्ज अपराध और थाना शंकरगढ में क्राईम नंबर 88/2016 धारा 420,467,468,471,419 के तहत दर्ज अपराध में उच्च न्यायालय से ज़मानत के लिए आवेदन लगाया गया था.हाईकोर्ट ने इस पर सात मार्च को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था,जिसे आज सार्वजनिक किया गया. उच्च न्यायालय ने सभी प्रकरणों में ज़मानत देने से इंकार कर दिया और टिप्पणी में लिखा कि, गंभीर प्रकृति के कई अपराध है आवेदक अपराध में शामिल प्रतीत होता है, इसलिए ज़मानत खारिज की जाती है.
अभय सिंह ने इसके पहले खुद को अंडर कव्हर कॉर्प बताते हुए एक याचिका दायर की थी जिसमें
दावा किया था कि उसने विशेष ट्रेनिंग पाकर नक्सलियो के खिलाफ काम शुरु किया तो उसे पता चला कि पुलिस के आला अधिकारी ही नक्सलियो से मिले हुए है और उसे जान का ख़तरा है,हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने यह याचिका खारिज कर दी थी, इस मामले में डीबी में अपील पेश की गई थी जहाँ उसे भी खारिज कर दिया गया है.
यह वही अभय सिंह बंटी है जिससे मिलने पीसीसी चीफ़ भूपेश बघेल मिलने केंद्रीय जेल अंबिकापुर पहुँचे थे.