Indian Army Mounted Gun System: इंडियन आर्मी भविष्य के टेक्नोलॉजी युद्ध को देखते हुए अपने खजाने में अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों को शामिल कर रहा है। इन्हीं में से एक है ‘माउंटेड गन सिस्टम’। भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक नया और अत्याधुनिक माउंटेड गन सिस्टम (MGS) विकसित किया है, जो भारतीय सेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी है। इसकी 45 किलोमीटर की रेंज, शूट एंड स्कूट क्षमता और स्वदेशी तकनीक और गोला दागते ही जगह बदलने की क्षमता इसे आधुनिक युद्ध के लिए आदर्श बनाती है। इसका यूजर ट्रायल शुरू हो चुका है।
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माउंटेड गन सिस्टम की अत्याधुनिक सिस्टम न केवल सेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगा बल्कि मेक इन इंडिया के सपने को भी साकार करेगा। इसे व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (VRDE), अहमदनगर ने डिज़ाइन और विकसित किया है।MGS अब सेना के उपयोगकर्ता परीक्षणों (यूज़र ट्रायल्स) के लिए तैयार है. जल्द ही विभिन्न इलाकों में इसका परीक्षण शुरू होगा।
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माउंटेड गन सिस्टम (MGS) क्या है?
माउंटेड गन सिस्टम एक ऐसी तोप प्रणाली है, जो एक बख्तरबंद हाई-मोबिलिटी वाहन (HMV) पर लगाई जाती है। यह 155 मिलीमीटर/52 कैलिबर की एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) पर आधारित है, जिसे DRDO की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) ने विकसित किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी शूट एंड स्कूट (फायर करके तुरंत स्थान बदलने की) क्षमता, जो इसे आधुनिक युद्ध में बेहद प्रभावी बनाती है।
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MGS को 8×8 टाट्रा हाई-मोबिलिटी वाहन पर लगाया गया है, जिसे भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) ने बनाया है। यह सिस्टम रेगिस्तान, पहाड़ी इलाकों और ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों जैसे सियाचिन में भी आसानी से काम कर सकता है। यह भारतीय सेना की फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान (FARP) का हिस्सा है, जिसके तहत सेना को 814 माउंटेड गन सिस्टम की जरूरत है।
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MGS की प्रमुख विशेषताएं
- रेंज और सटीकता: अधिकतम रेंज: 45 किलोमीटर (गोला बारूद के प्रकार पर निर्भर)।
- उच्च सटीकता: यह सिस्टम पिनपॉइंट एक्यूरेसी के साथ लक्ष्य को भेद सकता है, जो इसे हाई-वैल्यू टारगेट्स जैसे हवाई अड्डों, रडार स्टेशनों और कमांड सेंटर्स को नष्ट करने में सक्षम बनाता है।
- शूट एंड स्कूट: MGS की सबसे बड़ी ताकत इसकी तेजी है. यह 80 सेकंड में तैनात होकर फायर करने के लिए तैयार हो जाता है. 85 सेकंड में स्थान बदल सकता है। इससे दुश्मन को जवाबी हमला करने का मौका नहीं मिलता।
- फायरिंग रेट: यह एक मिनट में 6 गोले दाग सकता है (बर्स्ट रेट: 3 राउंड्स/30 सेकंड, इंटेंस रेट: 12 राउंड्स/3 मिनट). यह 50 वर्ग मीटर के क्षेत्र को पूरी तरह से निशाना बना सकता है।
- मोबिलिटी: यह सिस्टम रेगिस्तान, मैदानी इलाकों और ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में काम कर सकता है।
- गति: रफ इलाकों में 60 किमी/घंटा और मैदानी इलाकों में 90 किमी/घंटा. इसे रेल या C-17 परिवहन विमान से आसानी से ले जाया जा सकता है।
- वजन और डिज़ाइन: कुल वजन: 30 टन (15 टन तोप + 15 टन वाहन). यह 40 टन के पुलों पर आसानी से चल सकता है, जो इसे ज्यादातर इलाकों में उपयोगी बनाता है।
- क्रू: 7 सदस्यों के लिए जगह, जो बुलेटप्रूफ केबिन में सुरक्षित रहते हैं।
- स्वदेशी तकनीक: MGS में इस्तेमाल होने वाले 80% उपकरण भारत में ही निर्मित हैं, जिसमें 155mm/52 कैलिबर की तोप, गोला-बारूद और वाहन शामिल हैं।
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अन्य विशेषताएं
- स्वचालित गोला-बारूद हैंडलिंग सिस्टम: यह 24 गोले और उनके लिए बाय-मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम (BMCS) ले जा सकता है।
- इंटीग्रेटेड फायर कंट्रोल सिस्टम (FCS): यह आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ACCCS) के साथ संगत है, जो तकनीकी फायर कंट्रोल, फायर प्लानिंग और लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट को आसान बनाता है।
- आर्मर्ड केबिन: क्रू को दुश्मन के जवाबी हमले से बचाने के लिए बख्तरबंद केबिन (वर्तमान में स्टील, भविष्य में कम्पोजिट सामग्री)।
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सेना के लिए क्यों है गेम-चेंजर?
तेज तैनाती और गतिशीलता: आधुनिक युद्ध में गतिशीलता बहुत महत्वपूर्ण है. MGS की शूट एंड स्कूट क्षमता इसे दुश्मन के जवाबी हमले से बचाती है। यह मैकेनाइज्ड फोर्सेस की गति के साथ तालमेल रख सकता है।
हर इलाके में उपयोगी: चाहे सियाचिन की बर्फीली चोटियां हों, राजस्थान का रेगिस्तान हो, या पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाके, MGS हर स्थिति में प्रभावी है। इसका 8×8 टाट्रा चेसिस इसे ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी चलने में सक्षम बनाता है।
स्वदेशी तकनीक का प्रदर्शन: यह सिस्टम पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसे विदेशों में भी निर्यात किया जा सकता है, जैसे कि आर्मेनिया को 2023 में 6 यूनिट्स निर्यात की गईं।
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