शैलेंद्र पाठक,बिलासपुर. छग विधानसभा में विज्ञापन प्रक्रिया का पालन किए बिना 2005-06 में सहायक मार्शल के पद पर 7 लोगों की नियुक्ति कर दी गई थी औऱ पहले विज्ञापन के बाद इंटरव्यू तक पहुंचे लोगों को नौकरी से वंचित कर दिया गया था. इस मामले में अनिल द्विवेदी सहित अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, अब हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अवैध तरीके से की गई नियुक्ति को निरस्त कर दिया है.

दरअसल छत्तीसगढ़ गठन के बाद विधानसभा में सहायक मार्शल की नियुक्ति के लिए 2001 में भर्ती निकली, जिसका बकायदा विज्ञापन जारी किया गया. इसमें रायपुर के अनिल द्विवेदी सहित अन्य ने आवेदन जमा किया था. लिखित परीक्षा के बाद उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया गया. इसके बाद नियुक्ति आदेश जारी नहीं किया गया. इस मामले की जानकारी उम्मीदवार लेते रहे और विधानसभा के अधिकारी जल्दी नियुक्ति करने का आश्वासन देते रहे 2005 में बीजेपी सरकार बन गई. सूचना के अधिकार के तहत याचिकाकर्ता ने जानकारी निकाली तो बताया गया कि 2001 की भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी गई है. यह जानकारी 2006 में दी गई.

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 लागू होने के बाद विधानसभा से जानकारी मांगी गई, तो गड़बड़ी सामने आई. इसके बाद अनिल कुमार द्विवेदी सहित अन्य ने अधिवक्ता प्रतीक शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका लगा दी. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस पी सैम कोशी की बेंच ने याचिका मंजूर करते हुए अवैध तरीके विधानसभा द्वारा संविधान के विपरीत बिना विज्ञापन से हुई नियुक्तियां निरस्त कर दी हैं. याचिकाकर्ता अनिल द्विवेदी सहित अन्य ने इस अन्याय के खिलाफ 14 साल कानूनी लड़ाई लड़ी अब इनकी नौकरी की उम्र निकल गई है.