रायपुर। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज यहां पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के 102वें वार्षिक सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस सम्मेलन में राज्यपाल अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर कौशिक बसु विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में लाईफटाइम एचिवमेंट अवार्ड से प्रोफेसर अनिल कुमार ठाकुर और कौटिल्य अवार्ड से प्रोफेसर बी. रामा स्वामी को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि आज समय की यह आवश्यकता है कि प्रगति की प्रक्रिया को तेज किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रत्येक नागरिक समावेशी, दूरदर्शी और समृद्ध भारत के विकास की कहानी का हिस्सा बने। उन्होंने कहा कि हमें समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए, उन तक विकास और सुशासन का परिणाम पहुंचाना चाहिए। जब लंबे समय से विकास से वंचित लोगों का सशक्तिकरण होगा, तभी हमारा भारत सही मायने में एक खुशहाल भारत बन पाएगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि समावेशी विकास की यह संकल्पना हमारे सभी कार्यक्रमों में दिखनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को और अधिक लचीला बनाने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों में विमुद्रीकरण, क्रांतिकारी जी.एस.टी. की शुरूआत, एक राष्ट्र, एक कर के साथ ही काले धन पर अंकुश लगाने के कदम भी शामिल हैं। कर और कर्ज का अनुशासन अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत में बैंकिंग में डिजिटलीकरण और वित्तीय क्षेत्रों में सुधार के साथ ही विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को पारदर्शी और समय पर भुगतान किया जा रहा है। यह कदम समावेशी विकास करने में मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। कृषि में नई तकनीकों और नये अनुसंधानों का उपयोग कर कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके साथ ही कृषि उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाने में बुनियादी सुविधाएं और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है। श्री नायडू ने कहा कि युवा पीढ़ी को कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें नौकरी तलाशने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि खूबसूरत छत्तीसगढ़ राज्य में औद्योगिक विकास के लिए प्रचूर मात्रा में खनिज संपदा है। एक बड़ी आबादी पारंपरिक रूप से वनों पर निर्भर है, हमें विकास के लिए ऐसा संतुलन बनाना होगा जिससे प्रकृति का संरक्षण हो और उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग हो। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के लिए चुना गया विषय बहुत महत्वपूर्ण है। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में ‘आर्थिक विकास, राजकोषीय संघवाद, आजीविका और पर्यावरण’ पर विचार विमर्श कर बहुमूल्य नीतिगत सुझाव आएंगे, जो देश के आर्थिक विकास के लिए बहुपयोगी साबित होगी।
ऐसा आर्थिक विकास हो, जो समावेशी, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल हो : राज्यपाल
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि हम राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बात करें तो हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती ऐसा आर्थिक विकास करना हैं, जो समावेशी, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल हो। हमारे समक्ष ग्रामीण विकास महत्वपूर्ण मुद्दा है। ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका के नए अवसर पैदा किए जाएं, ताकि शहरों पर दबाव कम हो। इसके लिए कृषि और उससे जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। खेती में नये तकनीक को अपनाने के साथ ही गौ पालन, मछलीपालन तथा मुर्गीपालन, बकरी पालन करें तो किसान अपने लाभांश बढ़ा पाएंगे। शहरी क्षेत्रों में भी सेवा क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं। हमारे पास अंग्रेजी और आई.टी. का अच्छा ज्ञान रखने वाले युवाओं की फौज है। उन्हें साथ लेकर काम करें तो बहुत अनुकूल परिणाम मिलेंगे। सिंगापुर जैसे देश कुछ नहीं उपजाते फिर भी सेवा क्षेत्र के बूते विश्व में शीर्ष पर है। हमारे देश ने दुनिया को कौटिल्य दिया है। अपनी उर्वर-समझ को हम अपने उद्यम के लिए प्रयोग करें तो दुनिया भारत की ओर देखेगी।
अर्थशास्त्री देश को आर्थिक मंदी से उबारने पर करें मंथन: मुख्यमंत्री श्री बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य गठन के समय छत्तीसगढ़ राज्य का बजट 6 हजार करोड़ रूपए था, अब यह बढ़कर करीब एक लाख करोड़ पहुंच गया है, लेकिन गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 36 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है। श्री बघेल ने कहा कि गरीबी और अमीरी के बीच अंतर बढ़ना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि एक देश, एक कर प्रणाली जी.एस.टी. लागू होने के बाद भी कर संग्रहण में अपेक्षाकृत बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है, इसके साथ ही प्रदेश को इससे जो घाटा हुआ है, उसकी भरपाई नहीं हो पा रही है। इससे छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्य प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस अवसर पर उपस्थित अर्थशास्त्रियों से आग्रह किया कि इस सम्मेलन में देश को विद्यमान मंदी के दौर से कैसे निकाला जाए, इस पर विचार किया जाए और आवश्यक सुझाव देवें। अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर कौशिक बसु ने अपने विचार व्यक्त किए और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केशरी लाल वर्मा ने स्वागत भाषण दिया।
इस अवसर पर अतिथियों ने इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के स्मारिका का विमोचान किया। कार्यक्रम में इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर महेन्द्र देवे, सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर जी. विश्वनाथन और देश के विभिन्न भागों से आए अर्थशास्त्री और शोधार्थी उपस्थित थे।